Karwa Chauth: न चांद की पूजा, न सोलह श्रृंगार… इस गांव में महिलाएं नहीं मनाती करवा चौथ, विधवा हुई नई दुल्हन का श्राप!
एक तरफ पूरा देश आज (10-10-2025) को करवाचौथ का व्रत धूमधाम से मना रहा है, महिलाएं 2 दिन पहले से ही इसकी तैयारियों में जुटी हैं और सोलह श्रृंगार कर रही हैं. ऐसे में उत्तर प्रदेश के मथुरा के सुरीर इलाके के एक मोहल्ले में न तो कोई महिला करवाचौथ का व्रत रखती है न ही सोलह श्रृंगार कर अपने पति के सामने आती है. इस परंपरा के पीछे एक लंबी कहानी है जिसे इस मोहल्ले के लोग सुनाते हैं. इस मोहल्ले पर सती का श्राप है जिसकी वजह से सैकड़ों सालों से यहां पर इस प्रथा को किया जा रहा है. चलिए जानते हैं आस्था और भय से जुड़ी इस परंपरा के बारे में…
करवा चौथ के दिन हिंदू विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती हैं. इस दिन हर महिला की चाहत होती है कि वो सोलह श्रृंगार करें और सबसे सुंदर नजर आए. लेकिन सुरीर इलाके के मोहल्ले में आज के दिन अधिक अंधेरा रहता है. इसका मतलब है कि यहां कोई महिला करवाचौथ नहीं करती और न हीं श्रृंगार और पूजा करती है.
कहा जाता है कि बात सैकड़ों साल पुरानी है जब नौहझील के गांव रामनगला का एक ब्राह्मण युवक यमुना के पार स्थित ससुराल से अपनी नवविवाहिता पत्नी को विदा कराकर साथ ला रहा था. वह सुरीर के रास्ते भैंसा बग्गी से लौट रहा था. तभी रास्ते में सुरीर के कुछ लोगों ने बग्गी में बंधे आ रहे भैंसे को अपना बता कर विवाद शुरू कर दिया. विवाद के दौरान सुरीर के लोगों ने ब्राह्मण युवक की हत्या कर दी. यह पूरा दृश्य उसकी नवविवाहिता पत्नी के सामने घटित हुआ.
पति के वियोग में सती हुई महिला
अपने ही सामने पति की मौत से महिला बहुत दुखी हो गई और पति के अंतिम संस्कार के दौरान उसने भी अपने प्राण त्याग दिए. लेकिन, मरने से पहले महिला ने सुरीर इलाके में रहने वाले लोगों को श्राप दे दिया. महिला अपने पति के साथ सती हुई थी उस दौरान उसने कहा था कि जैसे मैं अपने पति के शव के साथ सती हो रही हूं, उसी तरह आप में से कोई भी महिला अपने पति के सामने सज-धज कर सोलह श्रृंगार करके नहीं रह सकेगी.
मोहल्ले पर सती माता का श्राप
महिला अपने पति के अंतिम संस्कार के दौरान सती हो गई. इसके बाद मानों पूरे सुरीर के इस मोहल्ले में मौत का तांडव मच गया. नौजवान युवक एक-एक कर मरने लगे. जिसके बाद बुजुर्गों ने उस सती माता का यहां पर मंदिर बनवाया और माफी मांगी. सती का श्राप कहें कि पति की मौत से से बिलखती पत्नी के कोप का कहर. ये घटना मोहल्ले पर काल बन कर टूटी और जवान युवकों की मौत होने लगी. तमाम विवाहितायें विधवा हो गयीं और मोहल्ले पर मानो आफत की बरसात सी होने लगी. उस समय बुजर्गों ने इसे सती के कोप का असर माना और उस सती का मन्दिर बनवाकर क्षमा याचना की. बस इसी के बाद से ये परंपरा शुरू हो गई.
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