भाई-बहन अलग-अलग मनाएंगे छन्नूलाल की तेरहवीं:बेटा-बेटी ने कार्ड छपवाकर बांटना किया शुरू, संपत्ति विवाद में उलझा परिवार
शास्त्रीय गायक पद्मविभूषण पं. छन्नूलाल मिश्र के निधन के बाद उनके परिवार में तेरहवीं संस्कार को लेकर विवाद शुरू हो गया है। पंडित जी की तेरहवीं दो स्थानों पर होगी। दुर्गाकुंड स्थित हनुमान प्रसाद पोद्दार महाविद्यालय में बेटे पं. रामकुमार मिश्र तेरहवीं करेंगे। जबकि सबसे छोटी बेटी डॉ. नम्रता मिश्र इसी दिन रोहनिया स्थित स्थान पर तेरहवीं संस्कार का आयोजन करेंगी। उन्होंने कार्ड भी छपवा लिया है और उसे वाराणसी के विभिन्न स्थानों पर वितरण करने खुद जा रही है। पहले दोनों कार्ड देखिए…. अब पहले जानिए छोटी बेटी नम्रता ने क्या कहा…
नम्रता ने कहा – पिताजी जैसे सनातनी व्यक्ति जिन्होंने अपना पूरा जीवन राम नाम लेकर बिताया, ऐसे व्यक्ति जिनका जीवन धर्म और अध्यात्म पर टिका था, उनकी तेरहवीं न होना और उनके अंतिम संस्कार का विधि-विधान अनुसार न होना बेहद कष्टदायक है। उनका कहना है कि, पिताजी हमेशा चाहते थे कि उनका हर कार्य पूरे विधि-विधान और संस्कारों के साथ हो। वह प्रतिदिन शालिग्राम भगवान को स्नान कराकर भोग लगाते थे और अपने जीवन के आखिरी समय में भी रामधुन गा रहे थे। उन्होंने कहा बड़े भाई ने ब्राह्मण भोज नहीं कराया, त्रिरात्रि में 13 पंडितों को बुलाया गया और लिफाफा पकड़ाकर भेज दिया गया। नम्रता मिश्रा ने बताया- बड़े भाई ने भले ही पिता का अंतिम संस्कार सनातनी परंपरा के अनुसार नहीं कराया, लेकिन अब वह 14 अक्टूबर को बनारस में छन्नू लाल मिश्रा के आवास पर विधि-विधानपूर्वक ब्रह्मभोज का आयोजन कर रही है। त्रिरात्रि किसी तरह से नहीं सही – नम्रता
नम्रता ने कहा – हमने अपने भैया से पहले भी कहा था कि आप लोग पिताजी के पूजन कार्यक्रम में आकर बस शामिल हो जाना। लेकिन वह त्रिरात्रि करके चले गए। त्रिरात्रि कभी माता-पिता की नहीं होती है। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति शान से इस दुनिया में जी कर गया, उसका आप त्रिरात्रि कैसे कर सकते हैं। जब काशी के विद्वानों ने बोला तो वह भी तेरहवीं का कार्यक्रम कर रहे हैं। जो 25 हजार दाह-संस्कार में नहीं दिया, वह ब्रह्मभोज कैसे कराएगा
बेटी ने बताया- जिस बेटे के पास 25000 रूपया दह-संस्कार के लिए नहीं था। जब वहां खर्चा मांगा गया तो उन्होंने कहा कि जिसने व्यवस्था कराई है, वही देगा, तो अगर भैया की इतनी दीन-हीन व्यवस्था है। तो वह लाखों खर्च करके किस तरह से ब्रह्मभोज कैसे करवा पाएगा। शर्म आनी चाहिए रामकुमार भैया को यह सब करके। अब जानिए पंडित छन्नूलाल के पुत्र रामकुमार मिश्रा ने क्या कहा…
पं. रामकुमार मिश्र ने कहा- पिताजी जब बीमार थे, तब हमारे पुत्र राहुल सेवा कर रहे थे। तभी उन्होंने उससे कहा था कि हमारे मरने के बाद हमारी शव को आग तुम ही लगाना। मेरी क्रिया तीन दिन में निपटा देना नहीं तो 10 दिन तक हमारी आत्मा भटकती रहेगी। पिताजी के कहने पर ही हमने अपने पुत्र से उन्हें मुखाग्नि दिलाई और त्रिरात्रि अनुष्ठान भी किया। पं. रामकुमार मिश्र ने कहा- नम्रता ने पिताजी का पुराना मकान (छोटी गैबी) बिना पिताजी को बताए बेच दिया। जब मुख्यमंत्री यहां आए थे, तो नम्रता ने नकली रिश्तेदारों को उनके सामने प्रस्तुत कर दिया। जहां तक कर्मकांड की बात है, उसे वह पूरी निष्ठा से कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि नम्रता संपत्ति के लालच में इस तरह का आरोप लगा रही है। अगर मैं पिताजी के संस्कार सनातन के हिसाब से करूंगा, तो मैं तय करूंगा, इसका प्रचार नहीं करूंगा।
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