स्वयं सहायता समूह महिलाओं के सशक्तिकरण में अहम:राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत एक दिवसीय बैंकर्स उन्मुखीकरण कार्यशाला आयोजित

सिद्धार्थनगर के अम्बेडकर सभागार में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत एक दिवसीय बैंकर्स उन्मुखीकरण कार्यशाला आयोजित की गई। यह कार्यशाला जनपद के ग्रामीण क्षेत्रों के बैंक शाखा प्रबंधकों के लिए सूक्ष्म वित्त और वित्तीय समावेशन विषय पर केंद्रित थी। मुख्य विकास अधिकारी बलराम सिंह ने दीप प्रज्ज्वलित कर इसका शुभारंभ किया। कार्यशाला में उपायुक्त स्वयं रोजगार और नेशनल रिसोर्स पर्सन सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी मौजूद रहे। इस अवसर पर मुख्य विकास अधिकारी बलराम सिंह ने कहा कि स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) महिलाओं और समाज के कमजोर वर्गों के आर्थिक उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। जीडीपी पर भी दिख रहा सकारात्मक प्रभाव उन्होंने बताया कि इनके माध्यम से महिलाओं का वित्तीय समावेशन बढ़ा है, जिसका सकारात्मक प्रभाव देश की जीडीपी पर भी दिख रहा है।सीडीओ ने आगे कहा कि स्वयं सहायता समूहों की आर्थिक आवश्यकताएँ अक्सर छोटी होती हैं, जिन्हें सूक्ष्म वित्त (माइक्रोफाइनेंस) के जरिए आसानी से पूरा किया जा सकता है। उन्होंने माइक्रो फाइनेंस को आर्थिक उन्नति का एक महत्वपूर्ण माध्यम बताया। उन्होंने बैंकर्स से स्वयं सहायता समूहों के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने और उन्हें प्राथमिकता के आधार पर ऋण उपलब्ध कराने का आग्रह किया। बलराम सिंह ने यह भी उल्लेख किया कि छोटी वित्तीय सहायता बड़े सामाजिक बदलाव की नींव रखती है। उन्होंने घोषणा की कि स्वयं सहायता समूहों के उत्पादों की गुणवत्ता सुधारने और उनकी मार्केटिंग क्षमता बढ़ाने के लिए विशेष प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए जाएंगे। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। कार्यशाला के दौरान वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी मास्टर सर्कुलर और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन की बैंक संबंधी प्रक्रियाओं पर विस्तृत जानकारी दी गई। इसके अतिरिक्त, बैंक शाखा प्रबंधकों और स्वयं सहायता समूह सदस्यों की समस्याओं के समाधान हेतु आवश्यक दिशा-निर्देश भी प्रदान किए गए।

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