क्यों जरूरी है SP ग्रुप के लिए टाटा संस की लिस्टिंग, 10 हजार करोड़ के लोन से जुड़ा है मामला
शापूरजी पलोनजी ग्रुप को दिसंबर तक करीब 1.2 बिलियन डॉलर यानी लगभग 10,000 करोड़ रुपये का कर्ज चुकाना है. इसके लिए ग्रुप ने टाटा संस में अपनी पूरी हिस्सेदारी 18% से थोड़ा ज्यादा गिरवी रख दी है. सूत्रों के मुताबिक, ग्रुप ने पहले से लिए 3.2 बिलियन डॉलर के कर्ज को रीफाइनेंस किया है, लेकिन अब दो महीने में प्रिंसिपल और ब्याज दोनों चुकाने की चुनौती है. मिस्त्री परिवार पर प्रमोटर लेवल का कर्ज 25,000-30,000 करोड़ रुपये है, जो ग्रुप के कुल 55,000-60,000 करोड़ रुपये के कर्ज का लगभग आधा है. इतना पैसा जुटाना मुश्किल हो सकता है, जिससे टाटा संस से उनकी हिस्सेदारी बेचने की बातचीत में दिक्कत आ सकती है.
टाटा संस का सहारा
टाटा संस के शेयर गिरवी रखने की मुश्किलें सूत्रों ने बताया कि लेंडर्स SP ग्रुप से और सिक्योरिटी या संपत्ति बेचने की योजनाओं की साफ जानकारी मांग सकते हैं. ये कर्ज टाटा संस के शेयरों सहित SP ग्रुप की दूसरी संपत्तियों पर आधारित है. लेकिन टाटा संस के शेयर नॉन-लिस्टेड हैं, यानी इन्हें खुले बाजार में बेचना आसान नहीं है. बिना टाटा ग्रुप की इजाजत के इन्हें बाहरी खरीदार को बेचना भी मुमकिन नहीं है. अभी तक टाटा ग्रुप ने SP ग्रुप को अपनी हिस्सेदारी बेचने या बाहर निकलने का कोई ऑफर नहीं दिया है. SP ग्रुप को इस बारे में पूछे गए सवालों का जवाब भी नहीं मिला.
लिस्टिंग से मिलेगी राहत
टाटा संस की लिस्टिंग हो तो राहत मिले SP ग्रुप का मानना है कि अगर टाटा संस को स्टॉक मार्केट में लिस्ट किया जाए, तो ये सभी शेयरहोल्डर्स के लिए सबसे अच्छा और पारदर्शी रास्ता होगा. इससे SP ग्रुप अपनी हिस्सेदारी खुले बाजार में अच्छी कीमत पर बेच सकता है. साथ ही, टैक्स के मामले में भी फायदा होगा. लिस्टिंग के जरिए बेचने पर सिर्फ 12% कैपिटल गेन्स टैक्स लगेगा, जबकि टाटा संस द्वारा हिस्सेदारी वापस खरीदने पर 36% टैक्स देना पड़ेगा.
कर्ज का हिसाब-किताब SP ग्रुप की प्रमोटर कंपनी स्टर्लिंग इन्वेस्टमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड ने 2021 में एरेस मैनेजमेंट और फैरलॉन कैपिटल से 3.5 साल के लिए 2.6 बिलियन डॉलर का कर्ज लिया था. इस कंपनी की टाटा संस में 9% से थोड़ी ज्यादा हिस्सेदारी है. इस साल की शुरुआत में SP ग्रुप ने 3.2 बिलियन डॉलर के कर्ज को रीफाइनेंस किया, जिसमें डेविडसन केम्पनर और सेर्बेरस कैपिटल ने लीड लिया, और एरेस व फैरलॉन ने भी कुछ हिस्सा रोलओवर किया.
SP ग्रुप के लिए मुश्किलें
ग्रुप ने पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन (PFC) से भी कम ब्याज पर कर्ज लेने की कोशिश की, लेकिन PFC ने अज्ञात कारणों से इसे मंजूरी नहीं दी. पहले मनीकंट्रोल ने बताया था कि SP ग्रुप की दूसरी कंपनी गोस्वामी इंफ्राटेक ने अफकॉन्स इंफ्रास्ट्रक्चर के IPO और गोपालपुर पोर्ट में हिस्सेदारी अडानी ग्रुप को बेचकर 14,300 करोड़ रुपये का कर्ज चुकाया था. कुल मिलाकर SP ग्रुप के सामने कर्ज चुकाने की बड़ी चुनौती है और टाटा संस की हिस्सेदारी बेचना आसान नहीं. अगर टाटा संस लिस्टेड कंपनी बन जाए, तो बात बन सकती है, लेकिन अभी ये सिर्फ एक उम्मीद है.
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