उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान की संगोष्ठी:श्रीनारायण चतुर्वेदी सहित कई साहित्यकारों को श्रद्धांजलि
उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान ने हिन्दी भवन के निराला सभागार में एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया। यह संगोष्ठी श्रीनारायण चतुर्वेदी, रामधारी सिंह ‘दिनकर’, रामकुमार वर्मा, रामचन्द्र शुक्ल, श्याम नारायण पाण्डेय और कुँवर चन्द्र प्रकाश सिंह की स्मृति में आयोजित की गई थी। इस अवसर पर देश के प्रसिद्ध साहित्यकारों ने अपने विचार साझा किए। कार्यक्रम में पद्मश्री डॉ. विद्याविन्दु सिंह, पद्मकांत शर्मा ‘प्रभात’, डॉ. राहुल पाण्डेय, डॉ. सूर्यप्रसाद दीक्षित, डॉ. रामकठिन सिंह और शशि प्रकाश सिंह अतिथि के रूप में उपस्थित थे। संस्थान की प्रधान सम्पादक डॉ. अमिता दुबे ने स्मृति चिह्न और उत्तरीय भेंट कर सभी अतिथियों का स्वागत किया। वर्मा की रचनाओं में छायावाद और प्रगतिवाद स्पष्टा की झलक डॉ. विद्याविन्दु सिंह ने श्रीनारायण चतुर्वेदी को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि वे ऐसे साहित्य मनीषी थे, जिनके सान्निध्य में कई साहित्यकारों ने अपनी साहित्यिक यात्रा शुरू की। पद्मकांत शर्मा ने दिनकर जी की राष्ट्रवादी चेतना और उनके ओजस्वी काव्य पर जानकारी साझा की ।डॉ. राहुल पाण्डेय ने डॉ. रामकुमार वर्मा को बहुआयामी व्यक्तित्व बताया, जो कविता, नाटक, आलोचना और इतिहास जैसे सभी क्षेत्रों में सक्रिय थे। उन्होंने उल्लेख किया कि वर्मा की रचनाओं में छायावाद, प्रयोगवाद और प्रगतिवाद की त्रयी स्पष्ट रूप से झलकती है। संगोष्ठी में विभिन्न रचनाओं का पाठ भी किया गया डॉ. सूर्यप्रसाद दीक्षित ने आचार्य रामचन्द्र शुक्ल को युगद्रष्टा आलोचक बताया। उन्होंने कहा कि शुक्ल जी ने काव्य और समीक्षा के मध्य एक सेतु का निर्माण किया था। उनकी निबंध शैली विशिष्ट और प्रभावी मानी जाती है।डॉ. रामकठिन सिंह ने श्याम नारायण पाण्डेय को वीर रस का जन्मजात कवि कहा, जिनकी रचनाएं आज भी युवाओं को प्रेरित करती हैं। वहीं, शशि प्रकाश सिंह ने अपने पिता कुँवर चन्द्र प्रकाश के साहित्य को संरक्षित करने की प्रेरणा साझा की। संगोष्ठी में विभिन्न रचनाओं का पाठ भी किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. अमिता दुबे ने किया, जिन्होंने सभी विद्वानों, साहित्य प्रेमियों और मीडियाकर्मियों का आभार व्यक्त किया।
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