तालिबान के विदेश मंत्री आज से 8 दिन के भारत दौरे पर, जानिए क्या है एजेंडा?

तालिबान के विदेश मंत्री आज से 8 दिन के भारत दौरे पर, जानिए क्या है एजेंडा?

अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी आज से 8 दिन के भारत दौरे पर रहेंगे. ये यात्रा विदेश मंत्री एस. जयशंकर के निमंत्रण पर हो रही है. खास बात ये है कि ये अगस्त 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद काबुल से भारत की पहली मंत्रीस्तरीय यात्रा है.

इस दौरे की खास बात यह है कि इसे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की मंजूरी के बाद ही संभव बनाया जा सका है. UNSC ने मुत्ताकी को उन पर लगे यात्रा प्रतिबंध से अस्थायी छूट दी है ताकि वे भारत आ सकें. आइए जानते हैं मुत्ताकी के भारत दौरा का एजेंडा क्या है?

क्या है मुत्ताकी के दौरे का एजेंडा?

रॉयटर्स और अन्य रिपोर्ट्स के मुताबिक, मुत्ताकी का शेड्यूल काफी व्यस्त रहेगा. वो न सिर्फ भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर से मिलेंगे, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, भारतीय कारोबारी संगठनों और भारत में रह रहे अफगान नागरिकों से भी मुलाकात करेंगे. पीएम मोदी से उनकी मुलाकात होगी या नहीं, फिलहाल इसकी पुष्टि नहीं की गई है.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बातचीत का एजेंडा कुछ इस तरह हो सकता है:

1. व्यापारिक सहयोग पर चर्चा- दोनों देशों के बीच सूखे मेवों, मसालों और दवाओं के निर्यात-आयात को लेकर नए रास्ते तलाशे जाएंगे.

2. स्वास्थ्य क्षेत्र में साझेदारी- भारत अफगानिस्तान को चिकित्सा सहायता, दवाएं और मेडिकल प्रशिक्षण देने पर सहमत हो सकता है.

3. कांसुलर सेवाएं और वीजा प्रक्रिया- अफगान छात्रों और मरीजों के लिए वीजा में ढील और नई कांसुलर सुविधाओं की बात होगी,

4. दूतावासों का विस्तार- काबुल और नई दिल्ली दोनों में पूरी तरह सक्रिय दूतावास और कांसुलेट बहाल करने पर चर्चा होगी.

5. नए राजदूत की नियुक्ति- तालिबान चाहता है कि भारत में अब उनका नियुक्त प्रतिनिधि ही राजदूत के रूप में काम करे.

6. निवेश और इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स- तालिबान भारत से पुराने प्रोजेक्ट्स दोबारा शुरू करने और नई निवेश योजनाओं की मांग कर सकता है.

7. सुरक्षा गारंटी- भारत अपने सुरक्षा हितों की रक्षा और आतंकवाद के खिलाफ ठोस आश्वासन मांग सकता है.

तालिबान को भारत देगा मान्यता?

2021 में अमेरिका के अफगानिस्तान से निकलने के बाद जब तालिबान ने काबुल पर कब्जा किया, तब भारत ने अपना दूतावास बंद कर दिया था. तब से दोनों देशों के बीच कोई औपचारिक रिश्ता नहीं रहा, हालांकि बैकडोर बातचीत और मानवीय सहायता का सिलसिला जारी रहा. रूस के अलावा तालिबान को कोई भी देश मान्यता नहीं देता है. अब मुत्ताकी की यह यात्रा तालिबान की उस कोशिश का हिस्सा मानी जा रही है, जिसमें वे भारत जैसे क्षेत्रीय देशों से रिश्ते सुधारकर अंतरराष्ट्रीय वैधता पाना चाहते हैं. जानकारों का कहना है कि भारत फिलहाल तालिबान शासन को आधिकारिक मान्यता देने से बचेगा.

UN की मंजूरी और मुत्ताकी पर लगे प्रतिबंध

अमीर खान मुत्ताकी को 25 जनवरी 2001 को संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंध सूची में शामिल किया गया था. इस सूची में शामिल लोगों पर यात्रा प्रतिबंध, संपत्ति फ्रीज और हथियार खरीद पर रोक जैसी पाबंदियां होती हैं. हालांकि, 30 सितंबर 2025 को UNSC की तालिबान सैंक्शन कमिटी ने उन्हें 9 से 16 अक्टूबर तक भारत यात्रा की मंजूरी दी है. इस समिति की अध्यक्षता पाकिस्तान कर रहा है, जबकि गयाना और रूस उपाध्यक्ष हैं.

बगराम विवाद पर तालिबान के समर्थन में भारत

भारत ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की उस योजना का विरोध किया है, जिसमें उन्होंने अफगानिस्तान से बगराम एयरबेस वापस लेने की बात कही थी. इस मुद्दे पर तालिबान, पाकिस्तान, चीन और रूस ने भारत का सपोर्ट किया है. यह बयान मंगलवार को मॉस्को में हुई ‘मॉस्को फॉर्मेट कंसल्टेशंस’ की बैठक के बाद आया, जिसमें भारत, अफगानिस्तान, ईरान, कजाकिस्तान, चीन, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के प्रतिनिधि शामिल थे. भारत आने से पहले मुत्ताकी ने मास्को फॉर्मेट की बैठक में भी हिस्सा लिया था.

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