सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी पर प्रयागराज में विरोध प्रदर्शन:नागरिक समाज बोला- अलोकतांत्रिक कार्रवाई, अडानी को दिए जा रहे ठेके

प्रयागराज के सिविल लाइंस स्थित पत्थर गिरिजाघर धरना स्थल पर बुधवार को नागरिक समाज इलाहाबाद ने विरोध प्रदर्शन किया। मशहूर शिक्षाविद् और पर्यावरणविद सोनम वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA/रासुका) के तहत गिरफ्तार किए जाने को लेकर नागरिक समाज ने इस कार्रवाई को ‘अलोकतांत्रिक’ और ‘खतरनाक’ करार दिया है। ​प्रदर्शनकारियों ने सीधे तौर पर केंद्र की भाजपा सरकार पर वादाखिलाफी और स्थानीय संसाधनों को बड़े कॉर्पोरेट घरानों को सौंपने का गंभीर आरोप लगाया है। ​अखिल भारतीय किसान मजदूर सभा के महासचिव डॉ. आशीष मित्तल ने कहा कि लद्दाख में एक आंदोलन चल रहा था। जिसमें अलग राज्य की मांग थी और छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग की गई थी। यह इलाका आदिवासी क्षेत्र है और अनुसूची छह के तहत लोकल बॉडीज को जमीन और प्रकृति पर प्राधिकार मिलता है ताकि उनकी अनुमति के बिना किसी कंपनी को जगह न दी जाए। ​डॉ. मित्तल बोले कि सोनम वांगचुक एक शांतिप्रिय आंदोलन चला रहे थें। यहाँ तक कि भूख हड़ताल पर भी बैठे थे। वांगचुक ने लद्दाख के विकास के लिए कई काम किए हैं। जैसे जल संग्रह के लिए बर्फ का पिंड बनवाना और सैनिकों के लिए सोलर टेंट बनाना। ​उन्होंने कहा, “उस आंदोलन में जब थोड़ी हिंसक कार्रवाई हुई तो उनको राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) में खतरा बताकर जेल में डाल दिया गया है।” ​नागरिक समाज का आरोप है कि इस कार्रवाई के पीछे सरकार की नीयत ठीक नहीं है। पूरे लद्दाख के एरिया को सोलर पार्क बनाने के लिए अडानी को दिया जा रहा है। वहाँ रेयर अर्थ एलिमेंट्स के लिए अडानी, अंबानी, टाटा और बहुत सारी कंपनियों को खदान बनाने की जगह दी जानी है। ​ इन प्रोजेक्ट्स से वहाँ का पर्यावरण और जलवायु प्रभावित होगा। पशुपालक किसानों की आजीविका का आधार, यानी हरियाली, खत्म हो जाएगी। उनकी जो स्थानीय परिस्थिति है जिससे वो सैकड़ों सालों से वहाँ पर बसे हुए हैं। उसका आधार ही खत्म हो जाएगा। तो यह उनके अस्तित्व का सवाल है।

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