संत प्रेमानंद की 5 दिन हो रही डायलिसिस, कितने सीरियस?:मथुरा में ऑन कॉल इलाज कर रहे डॉक्टर बोले- महाराज पर बीमारी हावी नहीं

प्रेमानंद महाराज 2 अक्टूबर से पदयात्रा नहीं कर रहे हैं। केली कुंज आश्रम ने इसके पीछे उनके स्वास्थ का हवाला दिया है। सामने आया कि हफ्ते में 7 दिन उनकी डायलिसिस होने लगी थी। मगर अब फिर 5 दिन डायलिसिस की जा रही है। स्वास्थ में सुधार है, मगर पद यात्रा कब शुरू करेंगे? इस संबंध में केली कुंज आश्रम की तरफ से कोई स्पष्ट मैसेज नहीं है। भक्त हर रोज रास्ते पर यही आस लेकर आश्रम के रास्ते पर पहुंचते हैं कि शायद आज प्रेमानंद महाराज के दर्शन हो जाएं। हालांकि, प्रेमानंद महाराज आश्रम में अनुयायियों से एकांत मुलाकात कर रहे हैं। 4 अक्टूबर को केली कुंज आश्रम की ओर से X पर पोस्ट किया गया महाराज जी के स्वास्थ्य को देखते हुए, पद यात्रा को अनिश्चितकाल के लिए बंद किया गया है। इसलिए आप सभी से प्रार्थना है कि कोई भी महाराजजी के दर्शन करने के लिए रास्ते में खड़े ना हों। प्रेमानंद महाराज को 2006 से किडनी की बीमारी पॉलीसिस्टिक है। प्रेमानंद जी की सेहत कैसी है? क्या उन्हें ट्रांसप्लांट की जरूरत है? ये जानने के लिए दैनिक भास्कर टीम मथुरा के सीनियर नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. आशीष शर्मा के पास पहुंची। वो 2023 से प्रेमानंद महाराज का ऑन कॉल इलाज कर रहे हैं। पढ़िए पूरी बातचीत… सवाल. संत प्रेमानंद महाराज का इस वक्त इलाज कैसा चल रहा है? डॉक्टर. प्रेमानंद महाराज के लिए किडनी की बीमारी कोई समस्या नहीं है। महाराजजी एक ज्वलंत उदाहरण है, उन्होंने अपने किडनी रोग को अपनाया है। लोग जानते हैं कि उन्होंने एक किडनी का नाम राधा, दूसरी किडनी का नाम कृष्ण रखा। लोगों को सीख लेनी चाहिए कि महाराजजी ने अपने रोग को अपने अंदर ही समेट लिया। उन्होंने बीमारी के इलाज को भी अपनाया। आप समझिए कि उन्होंने अपने निवास स्थान पर ही एक अलग कमरे में डायलिसिस की मशीनें लगवाई हैं। मैं वहां आता-जाता रहता हूं, वो ऑटो टैम्परेचर कंट्रोल रूम है, बहुत हाई क्वालिटी RO लगा हुआ है, बहुत साफ-सफाई रहती है। उम्दा क्लास के टेक्नीशियन रहते हैं। जब किडनी काम नहीं कर रही, तो दवाएं और डायलिसिस जितनी अच्छे तरीके से होगी, आपका स्वास्थ्य उतना बेहतर रहेगा। सवाल. महाराज का स्वास्थ्य खराब बताया जा रहा है, क्या कंडीशन है? डॉक्टर. उनकी स्थिति के पीछे ऐज फैक्टर भी है। उनकी दिनचर्या देखें, तो रात में 12.30 बजे वो जाग जाते हैं, स्नान-ध्यान करके पदयात्रा करते हुए केली कुंज आश्रम जाते हैं। फिर वहां अनुयायियों के साथ रहते हैं, ऐसी दिनचर्या के बाद थकान भी होती है। उनकी तबीयत खराब होने के पीछे सभी फैक्टर किडनी से जुड़े नहीं हो सकते हैं। लेकिन मैं बताना चाहूंगा कि वो अपनी सेहत को लेकर बहुत ज्यादा सीरियस हैं। सवाल. महाराज को देखकर नहीं लगता कि वो बीमार है? डॉक्टर. आप देखिए कि वो कहां से आए हैं? ये चमत्कार ही है कि 19 साल से वो डायलिसिस करवा रहे हैं, मगर उनके चेहरे पर तेज देखकर उनकी बीमारी का एहसास नहीं होता। इसकी वजह यह है कि वो अपनी बीमारी का पॉसिबल इलाज करवा रहे हैं। सवाल. महाराज की हफ्ते में 5 दिन डायलिसिस हो रही, ये कितना सीरियस है? डॉक्टर. हमारी किडनी तो हर मिनट काम कर रही है। ऐसा तो होता नहीं है कि किडनी 2 घंटे काम करके फिर आराम करेगी। एक डायलिसिस 4 घंटे में होती है। अब अगर हफ्ते में 3 बार डायलिसिस 4-4 घंटे की हो रही है, तो ये ज्यादा तो नहीं है। जो कुदरती शक्ति हमारी किडनी को मिली है, अगर डेली 4-4 घंटे की डायलिसिस हो रही है, तो भी उतनी शक्ति किडनी को दोबारा नहीं मिल सकती है। मेडिकल साइंस में हफ्ते में 3 डायलिसिस का नियम बनाया गया है, ताकि दवाइयों के साथ आराम से जीवन चल सके। सवाल. मेडिकल साइंस में कहते हैं कि दोनों किडनी फेल हो जाएं, तो जिंदगी पर खतरा बढ़ जाता है? डॉक्टर. ये बिल्कुल गलत है, दोनों किडनी खराब होने के बाद सबसे अच्छा सपोर्टिंग सिस्टम डायलिसिस है। देखिए, आकस्मिक मौत को कोई रोक नहीं सकता है। मेडिकल साइंस में जैसा एडवाइस किया गया है, अगर उतनी डायलिसिस हो रही है, तो लाइफ एक्सपेक्टेंसी और क्वालिटी दोनों अच्छी हो सकती है। सवाल. क्या ज्यादा डायलिसिस के साइड इफेक्ट भी हो सकते हैं? डॉक्टर. ऐसी डायलिसिस में कुछ कॉम्पलिकेशन भी माने गए हैं, आप कितने भी एक्सपर्ट हों, मगर कॉम्पलिकेशन हो सकते हैं। अगर मैं अपने हॉस्पिटल का उदाहरण दूं, तो पिछले 2.5 साल में एक भी केस में कॉम्पलिकेशन नहीं हुई है। बता दूं कि, जब प्रेमानंद महाराज का इलाज करते हैं, तो हर बारिक चीज की मॉनिटरिंग होती है। सवाल. प्रेमानंद महाराज अक्सर कपड़े हटा सीने पर एक टैप दिखाते हैं, वो परमानेंट लगा रहा है? डॉक्टर. ये सही है, डायलिसिस में हर मिनट 250-300 मिली ब्लड शरीर के बाहर आता है। इसमें शरीर के किसी हिस्से में एक्सेस चाहिए होता है। जहां से ब्लड वाला प्रोसेस किया जा सके। ज्यादातर किडनी के स्पेशलिस्ट डॉक्टर एवी फिस्टुला प्रिफर करते हैं, जिसमें हाथ की 2 नसों को जोड़कर बनाया जाता है। मगर कुछ मरीजों की नस की स्थिति उतनी अच्छी नहीं होने से ऐसा संभव नहीं हो पाता। उनके सीने में दिल की बड़ी नस (जुगुलर वेन) में परमानेंट कैथेटर डाला जाता है। वही महाराजजी दिखाते हैं। उसी से डायलिसिस होती है। सवाल. आप कितने समय में उनको देखने जाते हैं, क्या आश्रम से आपके पास कॉल आते हैं? डॉक्टर. देखिए, महाराजजी को ज्यादा देखने की जरूरत नहीं पड़ती है। रेगुलर में कोई दिक्कत नहीं होती है। लास्ट टाइम में तब गया था, जब उन्हें कुछ दिक्कत आई थी। वो प्रॉब्लम सॉल्व हो गई। जब कोई जरूरत होती है, उनके केयरटेकर की टीम में कोई न कोई कॉल करता है। वो टीम भी बहुत जानकार है, जब जैसी सेवा होती है, वो की जाती है। सवाल. क्या महाराजजी को किडनी डोनेशन की जरूरत है? कई भक्त ऐसी इच्छा जाहिर कर चुके हैं। डॉक्टर. मेडिकल साइंस में किडनी फेल्योर का पैरलल इलाज किडनी ट्रांसप्लांट है। मगर मैं उनसे मिलता रहता हूं। इतना जानता हूं कि वो जिस जगह पर बैठे हैं, जिस लीला में हैं, वो किसी भी मनुष्य की किडनी लेकर सुखी रहेंगे। वे अपनी दोनों किडनी को राधा-कृष्ण नाम दे चुके हैं। लेकिन ट्रांसप्लांट ही किडनी फेल्योर का आखिरी इलाज है। अब पढ़ते हैं महाराज की बीमारी के बारे में 2006 में पेट दर्द हुआ, तो पता चला किडनी खराब है
संत प्रेमानंद महाराज को पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज है। उनको इसकी जानकारी 19 साल पहले 2006 में तब हुई, जब उनके पेट में दर्द हुआ। वह कानपुर में डॉक्टर को दिखाने पहुंचे। डॉक्टर ने बताया कि आपको अनुवांशिक किडनी की बीमारी है। फिर वह दिल्ली गए। वहां एक डॉक्टर को दिखाया। डॉक्टर ने उन्हें बताया कि आपकी दोनों किडनी खराब हैं। जीवन सीमित है। फिर वो काशी रहे और शिव भक्ति की। इसके बाद वह वृंदावन आ गए। वृंदावन में उन्होंने राधा नाम का जप शुरू किया। तब से वह लगातार राधा नाम जप कर रहे हैं। पहले सोसाइटी, अब आश्रम में होती है डायलिसिस
संत प्रेमानंद महाराज श्री कृष्ण शरणम् सोसाइटी में रहते हैं। इस सोसाइटी में उनके 2 फ्लैट हैं। HR 1 ब्लॉक के फ्लैट नंबर 209 और 212 उनके पास हैं। 2 BHK इन फ्लैट में से एक में वह रहते हैं, जबकि दूसरे फ्लैट में डायलिसिस का इंतजाम किया हुआ है। इसी फ्लैट में उनकी हफ्ते में 3 से 4 बार डायलिसिस होती रही है। मगर अब पूरा सेटअप आश्रम केली कुंज में लगाया गया है। यहां आस्ट्रेलिया के नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. दीपक उनके साथ 24 घंटे रहते हैं। साथ में, 4 हेल्पर भी हैं। बता दें कि किडनी की बीमारी से जूझ रहे संत प्रेमानंद महाराज की पहले कभी-कभी डायलिसिस होती थी। फिर यह हफ्ते में 5 दिन और अब रोज हो रही है।
कौन-कौन महाराज को किडनी देने की जता चुका इच्छा, जानिए प्रेमानंद जी के बचपन से लेकर प्रसिद्ध संत बनने तक की कहानी… 13 साल की उम्र में प्रेमानंद महाराज ने घर छोड़ा
प्रेमानंद महाराज का कानपुर के नरवल स्थित अखरी गांव में जन्म और पालन-पोषण हुआ। यहीं से निकलकर वो इस देश के करोड़ों लोगों के मन में बस गए। उनके बड़े भाई गणेश दत्त पांडे बताते हैं- मेरे पिता शंभू नारायण पांडे और मां रामा देवी हैं। हम 3 भाई हैं, प्रेमानंद मंझले हैं। प्रेमानंद हमेशा से प्रेमानंद महाराज नहीं थे। बचपन में मां-पिता ने बड़े प्यार से उनका नाम अनिरुद्ध कुमार पांडे रखा था। हर पीढ़ी में कोई न कोई बड़ा साधु-संत निकला
गणेश पांडे ने बताया- हमारे पिताजी पुरोहित का काम करते थे। मेरे घर की हर पीढ़ी में कोई न कोई बड़ा साधु-संत होकर निकलता है। पीढ़ी दर पीढ़ी अध्यात्म की ओर झुकाव होने के चलते अनिरुद्ध भी बचपन से ही आध्यात्मिक रहे। बचपन में पूरा परिवार रोजाना एक साथ बैठकर पूजा-पाठ करता था। अनिरुद्ध यह सब बड़े ध्यान से देखा-सुना करता था। शिव मंदिर में चबूतरा बनाने से रोका, तो घर छोड़ दिया
बचपन में अनिरुद्ध ने अपनी सखा टोली के साथ शिव मंदिर के लिए एक चबूतरा बनाना चाहा। इसका निर्माण भी शुरू करवाया, लेकिन कुछ लोगों ने रोक दिया। इससे वह मायूस हो गए। उनका मन इस कदर टूटा कि घर छोड़ दिया। घरवालों ने उनकी खोजबीन शुरू की। काफी मशक्कत के बाद पता चला कि वो सरसौल में नंदेश्वर मंदिर पर रुके हैं। घरवालों ने उन्हें घर लाने का हर जतन किया, लेकिन अनिरुद्ध नहीं माने। फिर कुछ दिनों बाद बची-कुची मोह माया छोड़कर वह सरसौल से भी चले गए। नंदेश्वर से महाराजपुर, कानपुर और फिर काशी पहुंचे
आज जिन प्रेमानंद महाराज के भक्तों में आम आदमी से लेकर सेलिब्रिटी तक शुमार हैं, उनकी पढ़ाई-लिखाई सिर्फ 8वीं कक्षा तक हुई है। 9वीं में भास्करानंद विद्यालय में एडमिशन दिलाया गया था, लेकिन 4 महीने में ही उन्होंने स्कूल छोड़ दिया। इसके बाद वह भगवान की भक्ति में लीन हो गए। सरसौल नंदेश्वर मंदिर से जाने के बाद वह महाराजपुर के सैमसी स्थित एक मंदिर में कुछ दिन रुके। फिर कानपुर के बिठूर में रहे। बिठूर के बाद प्रेमानंद जी काशी चले गए। संन्यासी जीवन में कई दिन भूखे रहे
काशी में प्रेमानंद महाराज जी ने करीब 15 महीने बिताए। उन्होंने गुरु गौरी शरण जी महाराज से गुरुदीक्षा ली। वाराणसी में संन्यासी जीवन के दौरान वो रोज गंगा में तीन बार स्नान करते। तुलसी घाट पर भगवान शिव और माता गंगा का ध्यान-पूजन करते। वह दिन में केवल एक बार भोजन करते थे। प्रेमानंद महाराज भिक्षा मांगने की जगह भोजन प्राप्ति की इच्छा से 10-15 मिनट बैठते थे। अगर इतने समय में भोजन मिला तो उसे ग्रहण करते, नहीं तो सिर्फ गंगाजल पीकर रह जाते थे। संन्यासी जीवन की दिनचर्या में प्रेमानंद महाराज ने कई दिन बिना कुछ खाए-पीए बिताए। ……………………………….. ये खबर भी पढ़िए- रैपर-सिंगर बादशाह पहुंचे स्वामी प्रेमानंद की शरण में:पूछा- सत्य बोलने से रिश्ते और प्यार दूर होते हैं; संत बोले- भगवान साथ देता है बॉलीवुड रैपर-सिंगर बादशाह वृंदावन में मशहूर संत स्वामी प्रेमानंद के आश्रम में पहुंचे। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया गया है। इसमें सिंगर बादशाह अपने सहयोगी के साथ स्वामी प्रेमानंद के सामने घुटनों पर बैठे हैं। इस दौरान बादशाह एकटक संत को निहारते रहे, जबकि उनकी ओर से सहयोगी ने मन की दुविधा संत के सामने रखी। पूरे समय बादशाह शांत मुद्रा में बैठे दिखे और संत की बात को एकाग्र होकर सुनते रहे। पढ़ें पूरी खबर

Curated by DNI Team | Source: https://ift.tt/yr0Gqga