‘AI और संस्कृत साथ मिलकर गढ़ेंगे नया आयाम’:संस्कृत विश्वविद्यालय के गोल्ड मेडलिस्ट बोले- जन-जन तक पहुंचेगी संस्कृत भाषा
‘हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर पूरी तरह निर्भर नहीं रह सकते हैं। लेकिन अगर दोनों साथ में चलें तो समाज के लिए एक अच्छा आयाम गढ़ा जा सकता है। साथ ही AI से संस्कृत को जन-जन तक पहुंचाया जा सकता है।’ ये कहना सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के 43वें दीक्षांत समारोह में सर्वाधिक गोल्ड मेडल पाने वाले अंकित प्रकाश सिंह का; अंकित को कुल 8 स्वर्ण पदक मिले हैं। राजघाट के रहने वाले अंकित के पिता शिक्षक हैं और स्वयं अंकित भी शिक्षक बन संस्कृत को जन-जन तक पहुंचाना चाहते हैं। ऐसे में उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को इसका सबसे बड़ा माध्यम बताया। संस्कृत और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस किस तरह से काम करके संस्कृत का संवर्धन कर सकते हैं और इससे संस्कृत का फायदा हो रहा है। इन सब विषयों पर दैनिक भास्कर ने संस्कृत विश्वविद्यालय के गोल्ड मेडलिस्ट छात्रों से बात किया। पढ़िए रिपोर्ट… AI और संस्कृत को साथ चलना होगा
संस्कृत साहित्य में गोल्ड मेडल पाने वाले अंकित प्रकाश सिंह को कुल 8 स्वर्ण पदक मिले हैं। अंकित ने कहा – मैंने अपने माता-पिता और गुरुजनों के आशीर्वाद से यह सफलता अर्जित किया है। आगे मेरा लक्ष्य अध्यापन कार्य करने का है क्योंकि मेरे पिता जी भी अध्यापक हैं। वहीं उन्होंने संस्कृत और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर कहा – मैंने भी पढ़ाई के लिए चैट जीपीटी का इस्तेमाल किया। लेकिन हम पूरी तरह से AI पर निर्भर नहीं रह सकते हैं। हमें दोनों को साथ लेकर चलना होगा। इससे हम सफलता के पथ पर आगे बढ़ेंगे। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस संस्कृत में उपयोगी
एक महाविद्यालय में संस्कृत व्याकरण के विभागध्यक्ष और योगतंत्र में गोल्ड मेडल पाने वाले डॉक्टर ध्रुव सापकोटा ने अपनी सफलता का श्रेय अपने गुरु और कर्मचारियों को दिया। कहा- उन्हीं के आशीर्वाद और प्रेरणा से यह संभव हुआ है। मै व्याकरण विभाग का विभागध्यक्ष हूं तो मेरा लक्ष्य संस्कृत को और मजबूत करना है। जहां तक AI की बात है। हम AI के साथ संस्कृत का संवर्धन और विकास आसानी से कर सकते हैं। हम AI से संस्कृत को जन-जन तक पहुंचा सकते हैं। संस्कृत का मुकाबला नहीं कर सकता AI
मुजफ्फरनगर रहने वाली अनन्या त्यागी को बीए आयुर्वेदाचार्य में सर्वाधिक अंक पाने पर गोल्ड मेडल मिला है। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और अध्यापकों को दिया। उन्होंने कहा मेरा लक्ष्य आगे पीजी कोर्स करना है। संस्कृत और AI पर उन्होंने कहा- संस्कृत अपने आप में भाषा का सागर है। उसका मुकाबला AI नहीं कर सकता है। दोनों को साथ लेकर काम किया जा सकता है। लेकिन यह कहना गलत है कि संस्कृत से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आगे निकल जाएगा। महत्वपूर्ण कड़ी बन रहा है AI
संस्कृत विश्वविद्यालय में वाचस्पति (डी-लिट) की उपाधि पाने वाले डॉ उमेश कुमार मिश्रा ने अपनी सफलता पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा सौभाग्य है कि पहली डी लिट उपाधि मुझे मिली। यह सफलता मेरी मेहनत के अलावा मेरे माता-पिता का आशीर्वाद है। डॉ उमेश कुमार मिश्रा ने बताया – जहां तक आर्टिफिशियल इंटिलिजेन्स और संस्कृत की बात है तो आज के युग में यह महत्वपूर्ण कड़ी है संस्कृत संवर्धन के लिए। आने वाले समय में AI संस्कृत के विकास में बड़ी भूमिका निभाएगा। अभी इसका छोटा रूप दिख रहा है, लेकिन आने वाले समय में यह अपना बड़ा रूप दिखाएगा।
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