वो 6 चेहरे, जो मायावती के साथ मंच पर होंगे:बसपा फिर आजमा रही सोशल इंजीनियरिंग का फॉर्मूला; भीड़ से पता चलेगी पकड़
लखनऊ की सड़कों पर लंबे अर्से के बाद फिर बसपा कार्यकर्ता नजर आ रहे हैं। बसपा के समर्थक अलग-अलग राज्यों से ट्रेन-बस से एक दिन पहले ही लखनऊ पहुंच गए थे। रमाबाई और कार्यक्रम स्थल कांशीराम स्मारक में नीले झंडे के साथ बसपा के समर्थकों का जमावड़ा हो गया। दरअसल, मायावती एक बार फिर सोशल इंजीनियरिंग की पिच पर खेल रही हैं। पहली बार मायावती के साथ मंच पर सोशल इंजीनियरिंग के 6 चेहरे रहेंगे। जानिए वो 6 चेहरे कौन हैं… मायावती समेत ये 7 चेहरे होंगे मंच पर
कांशीराम स्मारक स्थल पर बसपा की ओर से दो मंच तैयार कराए गए। एक पर खुद मायावती और उनकी सोशल इंजीनियरिंग के सभी 7 चेहरे मौजूद रहेंगे। दूसरे मंच पर प्रदेश के मंडल कोआर्डिनेटर को जगह मिलेगी। लोगों की सबसे ज्यादा उत्सुकता मुख्य मंच को लेकर है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, मायावती के साथ इस मंच पर उनके भाई और पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष आनंद कुमार, पार्टी में नवनियुक्त राष्ट्रीय समन्वयक आकाश आनंद, राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा, वेस्ट यूपी प्रभारी मुनकाद अली, विधानसभा में पार्टी के इकलौते विधायक उमाशंकर सिंह, प्रदेश बसपा अध्यक्ष विश्वनाथ पाल को जगह मिलेगी। वरिष्ठ पत्रकार आनंद राय कहते हैं- बसपा 2007 में सोशल इंजीनियरिंग के फार्मूले पर सत्ता में खुद के बहुमत से आई थी। लेकिन, 2012 में जब उन्हें सत्ता नहीं मिली तो वे इस फार्मूले से दूर होती गई। अगड़ी जाति और ओबीसी के लोग एक-एक कर पार्टी से दूर होते गए। उमाशंकर सिंह को छोड़ दें, तो ज्यादातर का कद मायावती घटाती-बढ़ाती रही हैं। इन 7 चेहरों में कुछ तो पार्टी तक से निकाले भी गए थे, लेकिन फिर वापस ले लिए गए। अब बसपा के सोशल इंजीनियरिंग का प्लान समझिए
बसपा 2007 में सोशल इंजीनियरिंग के बलबूते ही सत्ता में आई थी। तब बसपा ने दलितों के अलावा ब्राह्मणों, अति पिछड़ों और मुस्लिमों को जोड़ा था। तब पार्टी को 30 फीसदी से अधिक मत मिले थे। बसपा प्रमुख मायावती ने कांशीराम परिनिर्वाण के मौके पर मंच पर इसी सोशल इंजीनियरिंग का खाका खींचा। मंच पर दलितों का प्रतिनिधित्व जाटव समाज से आने वाली खुद मायावती, उनके भाई आनंद और भतीजे आकाश होंगे। दलित आइकॉन के तौर पर मौजूद रहेंगे आकाश : पहली बार सार्वजनिक मंच पर एक साथ बुआ मायावती और भतीजे आकाश दिखेंगे। प्रदेश में दलितों की लगभग 22 फीसदी आबादी, खासकर युवाओं के बीच आकाश की लोकप्रियता को भुनाने के लिए मायावती उन्हें यूपी में कोई बड़ी भूमिका सौंप सकती हैं। आकाश के जरिए वह आजाद समाज (कांशीराम) पार्टी के अध्यक्ष एवं नगीना सांसद चंद्रशेखर की काट के तौर पर आगे बढ़ाने का संदेश देंगी। सतीश चंद्र मिश्रा : पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव एवं मायावती के सबसे भरोसेमंद लोगों में से एक हैं। मायावती के सभी कानूनी मसलों को देखते हैं। 2007 की सोशल इंजीनियरिंग के बड़े चेहरे रहे हैं। तब ब्राह्मणों को पार्टी से जोड़ने के लिए उन्होंने पूर्वांचल सहित प्रदेश में कई अहम चेहरों को शामिल कराया था। तब बसपा ने 86 ब्राह्मणों को टिकट दिया था। इनमें से 42 विधायक चुने गए थे। यूपी में ब्राह्मण आबादी लगभग 10-12 फीसदी है। प्रदेश में 100 सीटों पर ब्राह्मण निर्णायक माने जाते हैं। मुनकाद अली : बसपा में कभी नसीमुद्दीन सिद्दकी मुस्लिमों के बड़े चेहरों में गिने जाते थे। बसपा प्रमुख मायावती ने नसीमुद्दीन सिद्दकी के पार्टी से बाहर जाने के बाद से उनसे अदावत रखने वाले मुनकाद अली का लगातार कद बढ़ाया है। मुनकाद की पश्चिम में मुस्लिमों में बड़े चेहरे के तौर पर पहचान है। प्रदेश में मुस्लिमों की कुल आबादी 19 फीसदी से अधिक है। प्रदेश की 143 सीटों पर ये प्रभाव रखते हैं। 73 सीटों पर मुस्लिमों की आबादी 20-30% है, जबकि 40 सीटों पर ये 30% से अधिक है। उमाशंकर सिंह : विधानसभा में पार्टी के इकलौते विधायक हैं। पूर्वांचल बेल्ट के बलिया से आते हैं। उमाशंकर सिंह राजपूत हैं। मायावती ने तबीयत खराब होने पर घर पहुंच कर कुशलक्षेम जाना था। रक्षाबंधन पर उन्होंने उमाशंकर को राखी भी बांधी थी। बसपा ने 2007 में 38 राजपूतों को टिकट दिए थे। इनमें से 18 जीतने में सफल रहे थे। बसपा उमाशंकर सिंह के जरिए राजपूतों को साधने की कोशिश में जुटी है। प्रदेश में लगभग 8 फीसदी राजपूतों की आबादी है। प्रदेश की 85 सीटों पर इनका प्रभाव है। विश्वनाथ पाल : मायावती ने लगातार दूसरी बार विश्वनाथ पाल को यूपी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया है। विश्वनाथ पाल ओबीसी समाज से आते हैं। बसपा हमेशा से ओबीसी में अति पिछड़ों पर अधिक जोर देती रही है। अयोध्या से आने वाले विश्वनाथ पाल का कद बढ़ाकर मायावती अति पिछड़ों को फिर से रिझाने में जुटी हैं। प्रदेश में पाल-गड़रिया की आबादी करीब 4.4 फीसदी है। 40 विधानसभा सीटों पर इनकी संख्या प्रभावी मानी जाती है। आनंद कुमार: मायावती को अपने भाई आनंद कुमार पर पूरा भरोसा है। उन्होंने भी अपनी सरकारी नौकरी छोड़कर मायावती की सेवा की। साथ ही दिल्ली में पार्टी के सभी जरूरी काम देखते हैं। देशभर में पार्टी के लोगों से संपर्क बनाकर रखते है। इसकी पूरी जानकारी समय-समय पर मायावती को देते हैं। ————————- ये खबर भी पढ़ें- भास्कर इंटरव्यू : केशव मौर्य सिर्फ नाम के डिप्टी CM- स्वामी प्रसाद मौर्या, योगी को बहराइच-फतेहपुर का गजवा-ए-हिंद नहीं दिखता बरेली में जो कुछ हुआ, उसकी जिम्मेदार सरकार है। सीएम की भाषा सुनी, कि हम ‘गजवा-ए-हिंद’ नहीं बनने देंगे। लेकिन जब बहराइच जल रहा था, दंगाई मुस्लिमों की दुकानें जला रहे थे, घर पर चढ़कर मजहबी झंडे उतारे जा रहे थे, उस दिन ‘गजवा-ए-हिंद’ क्यों नहीं दिखाई दिया? पढ़िए पूरी खबर…
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