ऑडिट रिपोर्ट नहीं देने पर 127 राजनीतिक दलों को नोटिस:सीईओ ने वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट और चुनाव खर्च का ब्योरा नहीं देने वाले राजनीतिक दलों की सुनवाई की
मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिणवा ने बीते छह वर्षों में लोकसभा और विधानसभा चुनाव में प्रतिभाग करने के बाद भी वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट और चुनाव खर्च का ब्योरा नहीं देने वाले 127 राजनीतिक दलों को नोटिस दिया है। जनपथ स्थित सीईओ दफ्तर में बुधवार को ऐसे राजनीतिक दलों की सुनवाई की गई। सीईओ ने प्रदेश के पते पर पंजीकृत ऐसे राजनैतिक दल जो विगत 06 वर्षों में लोक सभा एवं विधान सभा चुनाव में प्रतिभाग करने के बाद भी निर्धारित तिथि तक अपनी अंशदान रिपोर्ट, वार्षिक लेखा परीक्षण (ऑडिट) रिपोर्ट एवं निर्वाचन व्यय विवरणी आयोग को प्रस्तुत नहीं करने वाले राजनीतिक दलों की सुनवाई की। 8 अक्टूबर को 45 दलों को सुनवाई के लिए बुलाया गया था। इसमें से 24 राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि सुनवाई में पहुंचे। सीईओ ने प्रत्येक दल की ओर से प्रस्तुत किए गए अंशदान रिपोर्ट,वार्षिक लेखा परीक्षण (ऑडिट) रिपोर्ट एवं निर्वाचन व्यय विवरणी जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेजों का गहन परीक्षण किया और सभी दलों के मोबाइल नंबर,पंजीकरण संख्या,वर्तमान पता व ईमेल की भी जांच की। मुख्य निर्वाचन अधिकारी द्वारा उत्तर प्रदेश के पते पर पंजीकृत ऐसे 127 राजनैतिक दलों को कारण बताओं नोटिस जारी किया गया था, जो वर्ष 2019 से अब तक विगत 06 वर्षों में लोक सभा एवं विधान सभा चुनाव में प्रतिभाग करने के बाद भी विगत तीन वित्तीय वर्षों से अपनी वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट एवं निर्वाचन व्यय विवरणी निर्धारित समय सीमा तक प्रस्तुत नहीं किया था। ऐसे दलों को अपना निर्वाचन व्यय विवरणी, शपथपत्र, वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट एवं अन्य आवश्यक अभिलेखों के साथ सुनवाई के लिए मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय में उपस्थित होने के निर्देश दिए गए थे। दूसरे दिन की सुनवाई में ऐसे 24 राजनैतिक दलों के प्रतिनिधियों ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी के सम्मुख उपस्थित होकर अपना पक्ष रखा और अपने दल के तीन वर्षों 2021-22, 22-23 व 23- 24 की वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट और निर्वाचन व्यय विवरणी प्रस्तुत किया। सुनवाई के दौरान मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने कहा कि चुनाव में प्रतिभाग करने वाले प्रत्येक राजनैतिक दल को प्रतिवर्ष 30 सितम्बर तक अपनी अंशदान रिपोर्ट तथा 31अक्टूबर तक अपने आय-व्यय की ऑडिट रिपोर्ट देना अनिवार्य है। इसी प्रकार लोकसभा चुनाव के बाद 90 दिनों में तथा विधानसभा चुनाव के बाद 75 दिनों में अपने आय व्यय का ब्योरा भी सभी दलों को देना होता है। प्रत्येक दल को चंदे के रूप में प्राप्त 20 हजार रुपए से अधिक के अंशदान की रिपोर्ट भी देनी है। इसी प्रकार लोक सभा एवं विधान सभा चुनाव लड़ने वाले प्रत्येक प्रत्याशी को भी अपने आय-व्यय के खर्चों का विवरण निर्वाचन समाप्त होने के बाद 30 दिनों में देना है। उन्होंने कहा कि सभी दलों के प्रतिनिधियों को अपनी पार्टी का ईमेल, मोबाइल नंबर तथा वर्तमान पता को अपडेट रखना होगा, जिससे समय समय पर आयोग के निर्देशों, अन्य तथ्यों व नियमों की जानकारी उपलब्ध कराया जा सके। उन्होंने अधिकारियों को भी सभी दलों के वर्तमान पते का सत्यापन कराने के निर्देश दिए।
बुधवार की सुनवाई में राष्ट्रीय जनता पार्टी-गौतमबुद्धनगर, भारतीय वंचित समाज पार्टी-कन्नौज, भारतीय मानव समाज पार्टी-जौनपुर, नेशनल लोकमत पार्टी-मेरठ, इंसाफवादी पार्टी-वाराणसी, गरीब बेरोजगार विकास पार्टी-बरेली, किसान मजदूर बेरोजगार संघ-औरैया, राष्ट्रीय अपना दल-प्रयागराज, प्रगतिशील समाज पार्टी-प्रयागराज, नैतिक पार्टी-लखनऊ, मानवीय भारत पार्टी-जौनपुर, पिछड़ा समाज पार्टी-बिजनौर, मोडरेट पार्टी-देवरिया, मेधा पार्टी-प्रयागराज, राष्ट्रीय जन अधिकार पार्टी (यूनाईटेड)-रायबरेली, कर्तव्य राष्ट्रीय पार्टी-मेरठ, नक़ी भारतीय एकता पार्टी-मेरठ, राष्ट्रीय काँग्रेस (जेo) पार्टी-मुरादाबाद, राष्ट्रीय अम्बेडकर दल-वाराणसी, राष्ट्रवादी पार्टी ऑफ इंडिया-गोरखपुर, एकलव्य समाज पार्टी-लखनऊ, लोकतांत्रिक जनवादी पार्टी-वाराणसी, किशोर राज पार्टी-लखनऊ एवं लोक दल-लखनऊ जिले में पंजीकृत राजनैतिक दलों के पदाधिकारियों ने प्रतिभाग किया।
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