नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के चीफ प्रॉक्टर की डिग्री पर बवाल:अवध विश्वविद्यालय ने भेजा नोटिस, लखनऊ में 14 दिन में दाखिल करना होगा जवाब

लखनऊ के डॉ.राम मनोहर लोहिया नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के चीफ प्रॉक्टर डॉ.केए पांडेय ने नौकरी करते हुए PHD डिग्री हासिल कर ली। उन पर फुलटाइम PHD करने के दौरान UGC नियमों का उल्लंघन करने और डमी कैंडिडेट से थीसिस जमा कराने का गंभीर आरोप लगा है। अयोध्या के अवध विश्वविद्यालय ने उनको नोटिस जारी कर 2 सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक अधिवक्ता की शिकायत पर कार्रवाई की गई है। हालांकि, नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी प्रशासन ने मामले की जानकारी न होने की बात कह पल्ला झाड़ लिया है। विस्तार से पूरा मामला पढ़िए… अयोध्या के अवध विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार की तरफ से केए पांडेय को 27 सितंबर को नोटिस भेजी गई थी। इसमें 14 दिन के अंदर जवाब मांगा गया है। शिकायत में आरोप लगाया गया है कि डॉ.पांडेय ने अवध विश्वविद्यालय से फुलटाइम पीएचडी करते समय बिना किसी स्टडी लीव के ही कोर्स पूरा कर लिया। इस दौरान वो बतौर शिक्षक नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में पढ़ाते भी रहे। इसलिए नहीं ली स्टडी लीव शिकायत में कहा गया है कि उनकी तरफ से लॉ यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार को दाखिल किए गए जवाब में कहा गया है कि उस समय अवध विश्वविद्यालय में कानून विषय में शोध की सुविधा उपलब्ध नहीं थी, यही कारण था कि उन्होंने स्टडी लीव नहीं ली। ऐसे में उनके शोध की प्रामाणिकता पर सवाल उठते हैं। शिकायत में यह भी आरोप है कि थीसिस की प्रस्तुति में फर्जीवाड़ा कर किसी डमी उम्मीदवार के माध्यम से सब्मिट कराई गई है। नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी कार्यपरिषद ने प्रमोशन रोका इससे पहले भी डॉ.केए पांडेय की पीएचडी डिग्री सवालों के घेरे में रही है। गंभीर आरोपों के चलते RMLNLU की कार्य परिषद उनकी प्रोफेसर पद पर पदोन्नति पर रोक लगा दी थी। हालांकि, इस पूरे मामले में अब तक नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी प्रशासन बोलने से बच रहा है। 2006 में नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में किया था जॉइन 26 जून 2006 को प्रॉक्टर केए पांडेय ने नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में लेक्चरर ग्रेड 1 यानी असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर जॉइन किया था। अयोध्या के डॉ.राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय से पीएचडी में दाखिला लिया। 2006 से 2011 तक अवध विश्वविद्यालय में फुलटाइम पीएचडी स्कॉलर के रूप में केए पांडे एनरोल रहे। 2011 में उन्हें पीएचडी की डिग्री हासिल हुई। इसके बाद 2015 इन्हें एसोसिएट प्रोफेसर के पद प्रमोशन मिला। इसके बाद से ही उनकी पीएचडी डिग्री को लेकर विवाद शुरू ही गया। जिसके चलते उनका प्रोफेसर पद पर प्रमोशन नहीं हो सका। शासन ने जांच के लिए दोनों यूनिवर्सिटी भेजा पत्र 2019 में शासन की तरफ से उच्च शिक्षा विभाग के संयुक्त सचिव ने दोनों विश्वविद्यालयों के रजिस्ट्रार को लेटर लिखकर केए पांडेय की पीएचडी की डिग्री से जुड़े सवाल पूछे थे। साल 2023 में उच्च शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव ने पत्र लिखकर केए पांडेय की पीएचडी डिग्री विवाद के चलते प्रमोशन न दिए जाने की बात कही थी। शिकायत के आधार पर अवध विश्वविद्यालय ने शुरू की कार्रवाई इस बीच 6 सितंबर 2025 को हाईकोर्ट के अधिवक्ता की तरफ से केए पांडेय की पीएचडी डिग्री पर सवाल उठाते हुए अयोध्या के यूनिवर्सिटी के कुलपति से कार्रवाई करने की मांग की थी। एक महीने के भीतर अवध विश्वविद्यालय ने नोटिस जारी कर दी थी। डिग्री विवाद को लेकर चीफ प्रॉक्टर ने दी सफाई इस मामले पर RMLNLU के चीफ प्रॉक्टर डॉ.केए पांडेय ने बताया कि अवध विश्वविद्यालय की तरफ से अब तक मुझे कोई नोटिस नहीं मिली है। न ही किसी तरह की नोटिस जारी होने की मुझे जानकारी है। पीएचडी डिग्री को लेकर कोई विवाद नहीं है बस कुछ लोग निहित स्वार्थ के मकसद से इसे तूल दे रहे हैं। जबकि डॉ.राम मनोहर विश्वविद्यालय राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के प्रवक्ता डॉ.शशांक शेखर ने बताया- अब तक इस मामले में अवध विश्वविद्यालय से कोई लेटर नहीं मिला है। अवध विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार ने दिया ये तर्क अवध विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार विनय सिंह ने दैनिक भास्कर को बताया कि 27 सितंबर को उनके स्थानीय आवास के एड्रेस पर रजिस्ट्री के जरिए नोटिस भेजी गई है। पर वो वापस आ गई है। अब उनके लखनऊ के एड्रेस पर नोटिस भेजी जा रही है। पीएचडी डिग्री को लेकर शिकायत मिली उनकी पीएचडी डिग्री को लेकर शिकायत आई है। नौकरी के साथ बिना छुट्टी लिए रेगुलर पीएचडी डिग्री करने का आरोप है। डमी के जरिए थीसिस सब्मिट कराने का भी आरोप है। ऐसे में उनके पक्ष के लिए नोटिस जारी की गई थी। उन्होंने बताया- पीएचडी बड़ी डिग्री, कोर्स वर्क या रिसर्च के काम से इनको अवध विश्वविद्यालय कैंपस में रुकने पड़ा होगा, स्टडी लीव भी लेना पड़ा होगा। यदि ऐसा नहीं किया तो ये जांच का विषय है। उनका पक्ष आ जाने के बाद ही आगे का निर्णय लिया जाएगा। इससे पहले शासन की तरफ कोई लेटर आया है या नहीं इसकी मुझे जानकारी नहीं है। ……………………………. यहां पढ़ें पूरी खबर सहारा को लखनऊ हाईकोर्ट से नहीं मिली राहत: नगर निगम की कार्रवाई को दी थी चुनौती, 30 अक्टूबर को अगली सुनवाई सहारा को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच से राहत नहीं मिली है। सहारा समूह ने 7 अक्टूबर को लखनऊ नगर निगम की सहारा शहर में की जा रही कार्रवाई को चुनौती दी थी। न्यायमूर्ति संगीता चंद्रा और न्यायमूर्ति अमिताभ कुमार राय की पीठ ने आज यानी 8 अक्टूबर को याचिका पर सुनवाई की। यहां पढ़ें पूरी खबर

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