अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस पर पीरियड फेस्ट और पैड यात्रा:लाल रंग अब शर्म का नहीं, शक्ति का प्रतीक है; माहवारी पर हुई खुलकर बात
अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर आज मेरठ शहर ने एक ऐतिहासिक बदलाव की दिशा में बड़ा कदम बढ़ाया। “ पीरियड फेस्ट ” और “ पैड यात्रा ” का तीसरा संस्करण शहर में बड़े उत्साह और जनभागीदारी के साथ संपन्न हुआ। यह आयोजन एसबीआई फाउंडेशन और सच्ची सहेली द्वारा किया गया। जिलाधिकारी कार्यालय और शिक्षा विभाग का भी मिशन शक्ति के तहत अपना पूरा सहयोग व समर्थन दिया गया। यह आयोजन SBI फाउंडेशन एवम सच्ची सहेली के प्रोजेक्ट नया सवेरा के अंतर्गत कराया गया है.नया सवेरा एक साल तक मेरठ के 75 से ज़्यादा सरकारी विद्यालयों, 18,000 से अधिक छात्र-छात्राओं में किशोरावस्था में होने वाले बदलावों की सही उम्र पर सही जानकारी देने के उद्देश्य से चलाया जाएगा आज का यह समारोह इसी प्रोजेक्ट का अहम हिस्सा है। ढोल-नगाड़ों और नारों के साथ निकली जागरूकता की पैड यात्रा सुबह 9:15 बजे मेरठ की सड़कों पर एक अनोखा दृश्य देखने को मिला — एक ऐसी यात्रा, जो सिर्फ कदमों की नहीं, बदलाव की आहट थी। यह कोई साधारण मार्च नहीं था, बल्कि एक ‘ पैड यात्रा ’ थी — जहाँ शर्म और झिझक को तोड़ते हुए 1000 से अधिक सशक्त छात्राएं और संवेदनशील छात्र माहवारी जैसे मुद्दे पर खुलकर आवाज़ उठा रहे थे।
ढोल-नगाड़ों की थाप पर गूंजते नारों के बीच जब बच्चों ने पुकारा -“अब पता चलने दो… माहवारी शर्म की नहीं, गर्व की बात है!” शिक्षक और समाज के प्रतिष्ठित लोग भी बच्चों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रहे थे। तेजगढ़ी चौराहा से लेकर सीसीएस यूनिवर्सिटी के नेताजी सुभाष चंद्र बोस ऑडिटोरियम तक फैली यह यात्रा उस सोच को साफ़ दर्शा रही थी, जो चुप्पी को तोड़कर संवाद की ओर बढ़ रही है। रंग-बिरंगे पोस्टरों, मुस्कुराते चेहरों और जोश भरी आवाजों के बीच यह संदेश गूंज उठा —
“ हम बोलेंगे मुँह खोलेंगे तभी ज़माना बदलेगा। ” सीसीएस यूनिवर्सिटी में हुआ पीरियड फेस्ट पैड यात्रा के बाद बच्चे सीसीएस यूनिवर्सिटी के नेताजी सुभाष चंद्र बोस ऑडिटोरियम पहुंचे जहाँ बच्चे सच्ची सहेली द्वारा लगाए गए फ़न ज़ोन्स और इंटरएक्टिव स्टॉल्स पर खेल-खेल में वो बातें सीख रहे थे, जिन्हें अक्सर समाज कहने से कतराता है। माहवारी से जुड़े मिथ्स बच्चे गेम्स खेल कर तोड़ रहे थे। एक कोने में खड़ी “विश ट्री” पर बच्चों ने अपने सपनों और भावनाओं से भरी छोटी-छोटी चिट्ठियां टांगीं —
स्टेज पर डांस, ड्रामा और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन हुआ जिसे देख कर बच्चे ख़ुशी से झूम उठे। हेल्थ एक्सपर्ट्स और मेंस्ट्रुअल एजुकेटर्स ने बच्चों को मेंस्ट्रुअल हेल्थ एंड हाइजीन पर जागरूक किया। सम्मानित अतिथियों की उपस्थिति ने इस कार्यक्रम को और भी प्रभावशाली बना दिया। श्री संजय प्रकाश, एमडी एवं सीईओ, एसबीआई फाउंडेशन ने कहा —“एसबीआई को इस पहल से जुड़कर गर्व है, जिसने हमारी बेटियों को सशक्त बनाया और मासिक धर्म को एक प्राकृतिक प्रक्रिया के रूप में स्वीकारने में मदद की।” डॉ. दीक्षा, संयुक्त मजिस्ट्रेट, मेरठ ने कहा- “यह जरूरी है कि हमारी बेटियां ही नहीं, बेटे भी शरीर में होने वाले प्राकृतिक बदलावों को समझें। यह पहल समाज को अधिक जागरूकता और स्वीकार्यता की ओर ले जा रही है।” डॉ. सुरभि सिंह, संस्थापक, सच्ची सहेली, ने कहा -“आज हम सब यहाँ उन दीवारों को तोड़ने, और उस शर्म की बेड़ियों को तोड़ने के लिए एकजुट हुए हैं, जिन्होंने हमें कभी पीछे रोके रखा था। आज से लाल रंग शर्म का नहीं, बल्कि शक्ति का प्रतीक होगा – गर्व और सशक्तिकरण का प्रतीक।” नया सवेरा ने मेरठ में पहले भी 50 से अधिक सरकारी स्कूलों में जागरूकता फैलाई है, और इस बार 75 नए स्कूलों के साथ इसका प्रभाव और गहरा रहा। इस बदलाव को देख कर लगता है की मेरठ में वो दिन दूर नहीं जब माहवारी पर शर्म नहीं बल्कि गर्व होगा।
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