गोरखपुर में ड्रेकोनिड्स उल्कावृष्टि आज रात दिखेगी:टूटते तारों जैसा नजारा, खुली आंखों से निहार सकेंगे

खगोल प्रेमियों के लिए यह सप्ताह खास है। गुरुवार और शुक्रवार की रात शहर के आसमान में ड्रेकोनिड्स उल्कावृष्टि देखी जा सकेगी। रात 8 बजे से 12 बजे तक खुली जगह से यह दृश्य स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। इसके लिए किसी टेलीस्कोप या उपकरण की आवश्यकता नहीं है, बस साफ आसमान और धैर्य चाहिए। ड्रेकोनिड्स उल्कावृष्टि क्या है?
वीर बहादुर सिंह नक्षत्रशाला के खगोलविद अमर पाल सिंह के अनुसार, यह उल्का वृष्टि धूमकेतु 21पी/जियाकोबिनी जिनर द्वारा छोड़े गए बर्फ और धूल के कणों से होती है। जब पृथ्वी इन कणों से गुजरती है, तो वे वायुमंडल में जल उठते हैं और तेज चमक के साथ आकाश में दिखाई देते हैं। आम भाषा में इसे ‘टूटते हुए तारे’ कहा जाता है।
इतिहास में असाधारण दृश्य
ड्रेकोनिड्स सामान्यतः शांत उल्कावृष्टि होती है, जिसमें प्रति घंटे केवल 4-5 उल्काएं दिखाई देती हैं। हालांकि 1933, 1946 और 2011 में यह असाधारण रूप से चमकी और सैकड़ों उल्काओं ने खगोलीय प्रेमियों को मंत्रमुग्ध किया। 10 अक्तूबर की रात विशेष
10 अक्तूबर की रात घटते चंद्रमा और प्लीएड्स तारक समूह (सेवन सिस्टर्स) एक-दूसरे के बेहद करीब, मात्र एक डिग्री की दूरी पर दिखाई देंगे। चंद्रमा की रोशनी कुछ छोटे तारों को ढक सकती है, लेकिन सबसे चमकीले सितारे पूरी दृश्यावली को रोशन करेंगे। ड्रैको नक्षत्र से संबंध
अमर पाल सिंह के अनुसार, इसका नाम ड्रेकोनिड्स इसलिए रखा गया क्योंकि यह ड्रैको नक्षत्र की दिशा से आती प्रतीत होती है। ‘ड्रेको’ का अर्थ है अजगर, इसलिए इसे ‘ड्रैगन की उल्कावृष्टि’ भी कहा जाता है।

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