प्रयागराज में लोक संस्कृति उत्सव में कवि सम्मेलन आयोजित:तीन दिवसीय आयोजन में दिखा माटी की खुशबू और लोक परंपराओं का रंग

प्रयागराज में व्यंजना आर्ट एंड कल्चर सोसायटी की ओर से आयोजित लोक संस्कृति उत्सव का मंगलवार को भव्य समापन हुआ। प्रयाग संगीत समिति के मेहता सभागार में आयोजित तीन दिवसीय इस आयोजन में उत्तर प्रदेश की लोक कला, परंपरा, संगीत, वेशभूषा और साहित्य की जीवंत झलक देखने को मिली। समापन समारोह में कवि सम्मेलन और लोक परिधान प्रतियोगिता मुख्य आकर्षण रहे, जहां दर्शकों की भारी भीड़ उमड़ी। कार्यक्रम के पहले चरण में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में भारतीय लोक संस्कृति की समृद्ध परंपरा एवं नवाचार विषय पर चर्चा हुई। संगोष्ठी में डॉ. सरोज ढींगरा और पं. विजय शंकर मिश्र विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहे। इस दौरान कल्पना सहाय, डॉ. रामभजन सिंह, प्रवीण शेखर, ऋतिका अवस्थी, डॉ. अनुपम परिहार, डॉ. मृत्युंजय राव परमार, प्रो. रेनू जौहरी, डॉ. नम्रता देब और डॉ. राजा राम यादव सहित कई विशेषज्ञों ने अपने विचार साझा किए। प्रो. राजा राम यादव ने संगोष्ठी को ‘समुद्र मंथन’ की उपमा देते हुए कहा कि इससे निकला अमृत समाज में लोक संस्कृति की रंगत को और गहरा करेगा। लोक परिधान प्रतियोगिता में बनारसी साड़ी को लेकर विशेष उत्साह देखा गया। एक प्रतिभागी की यह टिप्पणी “घर अयोध्या हा, पतोहिया इलाहाबाद हईं, लेकिन सड़िया बनारस के ही प्यारी बा” सभागार में खूब सराही गई। कार्यक्रम में कथा कथन, कठपुतली नृत्य, ग्रामीण खेल, और आल्हा गायन जैसी प्रस्तुतियों ने दर्शकों को पारंपरिक भारत की मिट्टी से जोड़ने का काम किया। डॉ धनंजय चोपड़ा की रोचक कथा ने सबकी भावविभोर कर दिया इलाहाबाद विश्वविद्यालय के सेंटर ऑफ मीडिया स्टडीज के समन्वयक डॉ. धनंजय चोपड़ा ने अपनी रोचक कथा शैली से श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। उन्होंने संत पलटू साहब, वीरांगना झलकारी बाई, गायिका गिरिजा देवी की कहानियां सुनाई वहीं हनुमान गुप्ता के भजन “पहिले-पहिल हम कईनी छठी मईया व्रत तोहार” ने पूरे माहौल को भक्तिमय बना दिया। आल्हा की प्रस्तुती को लोगों ने सराहा फौजदार सिंह की आल्हा प्रस्तुति पर दर्शकों ने जमकर तालियां बजाईं। समापन अवसर पर आयोजित कवि सम्मेलन में नीलोत्पल मृणाल, शिवम् भगवती, आर. के. अग्रवाल, रुचि चतुर्वेदी और प्रकाश उदय जैसे चर्चित कवियों ने अपनी रचनाओं से मंच को जीवंत कर दिया। अंत में कार्यक्रम की आयोजक डॉ. मधु शुक्ला ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि, “व्यंजना आर्ट एंड कल्चर सोसायटी एक ऐसे गुलाब की तरह है, जिसकी हर पंखुड़ी भारतीय संस्कृति की सुंदरता को समेटे हुए है। यह उत्सव आने वाले समय में लोक संस्कृति के दस्तावेज के रूप में याद किया जाएगा।”

Curated by DNI Team | Source: https://ift.tt/fn1NBaX