सहारा बनाम नगर निगम मामला:लखनऊ हाईकोर्ट में आज सुनवाई, सहारा ने सीलिंग की कार्रवाई को बताया अवैध
राजधानी लखनऊ में सहारा इंडिया कॉमर्शियल कॉर्पोरेशन लिमिटेड और नगर निगम के बीच जमीन विवाद एक बार फिर अदालत की चौखट पर पहुंच गया है। सहारा ने नगर निगम की हालिया कार्रवाई को चुनौती देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में याचिका दायर की है। इस याचिका पर आज बुधवार को न्यायमूर्ति संगीता चंद्रा और न्यायमूर्ति अमिताभ कुमार राय की खंडपीठ सुनवाई करेगी। आज हो सकती है अहम सुनवाई मामले की सुनवाई आज दोपहर तक होने की संभावना है। सहारा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अदालत के समक्ष तर्क रखेंगे कि नगर निगम की कार्रवाई न केवल अनुचित है बल्कि कंपनी की वैध संपत्तियों पर अवैध कब्जे की कोशिश है। वहीं, नगर निगम अपने आदेशों को नियमसम्मत बताते हुए अपना पक्ष पेश करेगा। सहारा ने नगर निगम की कार्रवाई को बताया अनुचित, आदेश रद्द करने की मांग सहारा की ओर से दायर याचिका में नगर निगम द्वारा जारी आदेशों को अवैध और मनमाना करार दिया गया है। कंपनी ने 8 और 11 सितंबर 2025 को नगर निगम द्वारा पारित आदेशों को निरस्त करने की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि निगम ने सहारा शहर में लीज पर दी गई जमीनों और उन पर बनी संपत्तियों में अवैध हस्तक्षेप किया, जबकि इन परिसंपत्तियों पर सहारा का वैध स्वामित्व और विकास अधिकार है। सिविल कोर्ट में पहले से स्थगन आदेश लागू सहारा का कहना है कि इस विवाद से जुड़ा मामला पहले से सिविल कोर्ट में विचाराधीन है और अदालत ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश भी दिया है। इसके बावजूद नगर निगम ने कार्रवाई शुरू कर दी, जो न्यायालय के आदेश की अवहेलना है। कंपनी ने यह भी कहा है कि कार्रवाई से पहले उसे अपना पक्ष रखने का अवसर नहीं दिया गया, जिससे प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन हुआ है। आर्बिट्रेशन में भी सहारा के पक्ष में निर्णय याचिका में यह भी उल्लेख किया गया है कि इस मामले में पहले हुई मध्यस्थता (आर्बिट्रेशन) की प्रक्रिया में नगर निगम को सहारा के साथ लीज एग्रीमेंट बढ़ाने के निर्देश दिए गए थे। सहारा का कहना है कि निगम ने उस आदेश का पालन नहीं किया और इसके विपरीत मनमाने तरीके से संपत्तियों में हस्तक्षेप शुरू कर दिया। नगर निगम ने दी थी जमीन, सहारा ने किया 2480 करोड़ का निवेश मामले के अनुसार, नगर निगम ने 22 अक्टूबर 1994 और 23 जून 1995 को गोमती नगर क्षेत्र में सहारा इंडिया को जमीन पट्टे पर दी थी। इन जमीनों पर कंपनी ने करीब 2480 करोड़ रुपए की लागत से 87 आवासीय और वाणिज्यिक परियोजनाएं विकसित की हैं। सहारा का दावा है कि उसने सभी विकास कार्य नगर निगम की स्वीकृति से किए और पट्टा शर्तों का पूर्ण पालन किया।
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