जाणता राजा में स्कूली बच्चों ने किया इंतजार:करीब दो घंटे के बाद देखा नाट्य मंचन, अचानक हुई बारिश के कारण कुछ देर के लिए रुका शो

आगरा में इन दिनों छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन पर आधारित ऐतिहासिक महानाट्य ‘जाणता राजा’ चर्चा का केंद्र बना हुआ है। मंगलवार को इस नाट्य मंचन को देखने पहुंचे स्कूली बच्चों और शिक्षकों को दो घंटे तक इंतजार करना पड़ रहा है। उन्हें शाम 4:30 बजे का समय दिया गया था, लेकिन कार्यक्रम लगभग 6:30 बजे शुरू हो रहा है। लंबे इंतजार के बाद बच्चों को नाट्य मंचन देखने का अवसर मिला। जिससे वे काफी उत्साहित भी नजर आए। लेकिन नाट्यमंचन के दौरान बारिश भी शुरू हो गई। कुछ देर शो रोकने के बाद नाटक फिर से शुरू कर दिया गया। कलाकृति कन्वेंशन सेंटर में चल रहे ‘जाणता राजा’ महानाट्य के 1209 वें मंचन में मंगलवार को दर्शकों को लगभग दो घंटे तक इंतजार करना पड़ा। छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन पर आधारित इस प्रस्तुति को देखने पहुंचे स्कूली बच्चों और शिक्षकों को निर्धारित समय से काफी देर तक कार्यक्रम शुरू होने का इंतजार करना पड़ा। और इस दौरान बारिश भी शुरू हो गई। जिसके कारण 15 20 मिनट के लिए शो को रोकना पड़ा। और उसके बाद फिर से वहीं से शुरू किया गया। प्रिल्यूड पब्लिक स्कूल की एक शिक्षिका ने बताया कि उन्हें शाम 4:30 बजे का समय दिया गया था और वे समय पर पहुंच गईं, वहीं दादा-दादी एजुकेशनल स्कूल की शिक्षक ने कहा कि वे 5:00 बजे पहुंचीं, लेकिन कार्यक्रम लगभग 6:30 बजे आरंभ हुआ। उन्होंने कहा कि “बच्चों को इस तरह के ऐतिहासिक नाट्य मंचन से बहुत कुछ सीखने को मिलता है। इससे उनमें इतिहास, संस्कृति और राष्ट्रप्रेम के प्रति रुचि बढ़ती है।”
दादा-दादी एजुकेशनल स्कूल से लगभग 37 बच्चे इस नाट्य मंचन को देखने पहुंचे। दो घंटे के इंतजार के बाद भी बच्चे उत्साहित बने रहे, हालांकि दर्शक दीर्घा में कई सीटें खाली नजर आईं। राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत भव्य मंचन ‘जाणता राजा’ मंचन ने अपने भव्य स्वरूप, प्रभावशाली प्रस्तुति और मराठा गौरव से ओतप्रोत दृश्यों से दर्शकों को शिवस्वराज्य के स्वर्ण युग में पहुँचा दिया। हिंदवी स्वराज की संकल्पना पर आधारित यह नाट्य प्रस्तुति मातृभूमि के प्रति समर्पण और सेवा का प्रेरक संदेश देती है।
आगरा के 100 कलाकारों सहित 400 कलाकारों की सहभागिता, विशाल मंच, पारंपरिक मराठी संगीत, दरिया भवानी की आराधना और जीवंत युद्ध दृश्यों ने पूरे वातावरण को “जय भवानी, जय शिवाजी” के जयघोष से गूंजा दिया। साईबाई भोसले का अभिनय बना आकर्षण नाटक में शिवाजी महाराज की पत्नी साईबाई भोसले की भूमिका अभिनेत्री मानसी ने अत्यंत सौम्यता और शक्ति के साथ निभाई। उनका अभिनय एक सशक्त भारतीय नारी की छवि को सामने लाता है, जो स्वराज्य के सपने में अपना सब कुछ समर्पित कर देती है। दर्शकों ने उनके भावपूर्ण संवादों पर जोरदार तालियाँ बजाईं। सेवा, संस्कृति और राष्ट्रभाव का संगम दिव्य प्रेम सेवा मिशन के संस्थापक डॉ. आशीष गौतम (भैया जी) के मार्गदर्शन में आयोजित यह नाट्य मंचन केवल सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि सेवा और राष्ट्रभाव का प्रतीक है। मिशन का उद्देश्य समाज में संस्कार, स्वाभिमान और राष्ट्रभक्ति के मूल्यों को पुनर्जीवित करना है। डॉ. अजीत राव आप्टे की 45 वर्षों की साधना महानाट्य के महासचिव डॉ. अजीत राव आप्टे वर्ष 1980 से इस नाटक से जुड़े हैं। उन्होंने बताया कि ‘जाणता राजा’ के संवाद 1980 में रिकॉर्ड किए गए थे, और आज भी वही मूल रिकॉर्डिंग उपयोग में लाई जाती है। इस नाटक का मंचन 1985 में पहली बार पुणे में हुआ था और तब से यह देश के दस राज्यों के अलावा अमेरिका और लंदन में भी प्रस्तुत किया जा चुका है। डॉ. आप्टे मंच पर शाहजी राजे, कवि भूषण और औरंगज़ेब जैसे पात्र निभाते हैं। उनका कहना है कि “जब मैं कवि भूषण के रूप में उतरता हूँ तो दर्शक मेरे साथ उस युग में जीने लगते हैं, और जब औरंगज़ेब बनता हूँ, तो इतिहास की कठोरता को महसूस करते हैं।”

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