शिक्षकों ने टीईटी अनिवार्यता के खिलाफ सांसद को सौंपा ज्ञापन:प्रधानमंत्री, केंद्रीय शिक्षा मंत्री से हस्तक्षेप की मांग की

अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ के आह्वान पर उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने मंगलवार को सेवारत शिक्षकों के लिए टीईटी अनिवार्यता के खिलाफ सांसद अवधेश प्रसाद को ज्ञापन सौंपा। संगठन ने प्रधानमंत्री और केंद्रीय शिक्षा मंत्री से इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है। जिलाध्यक्ष डॉ. संजय सिंह के नेतृत्व में संगठन ने सांसद अवधेश प्रसाद के सहादतगंज स्थित आवास पर उनसे मुलाकात की। शिक्षकों की मुख्य मांग है कि सेवारत शिक्षकों को टीईटी अनिवार्यता से मुक्त किया जाए, विशेषकर सुप्रीम कोर्ट के उस निर्णय के संबंध में जिसमें अगस्त 2010 से पूर्व नियुक्त शिक्षकों के लिए टीईटी को अनिवार्य किया गया है। सांसद अवधेश प्रसाद ने शिक्षकों को आश्वासन दिया कि सरकार शिक्षा और शिक्षकों के मुद्दों को गंभीरता से लेती है। उन्होंने कहा कि शिक्षकों की समस्याओं का समाधान प्राथमिकता पर किया जा रहा है, ताकि वे सरकारी विद्यालयों में बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान कर सकें। सांसद ने यह भी कहा कि विपक्ष सरकार से अगस्त 2010 से पूर्व नियुक्त शिक्षकों की टीईटी अनिवार्यता के माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश से राहत दिलाने के लिए पहल करेगा। उन्होंने आश्वासन दिया कि वे स्वयं केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से मिलकर इस मुद्दे पर बात करेंगे और आगामी संसद सत्र में इस गंभीर प्रकरण को पूरी ताकत से उठाएंगे। डॉ. संजय सिंह ने बताया कि हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शिक्षकों को कैशलेस चिकित्सा की सुविधा प्रदान की है, जिसकी मांग शिक्षक कई दशकों से कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती सरकारों ने इस मांग पर ध्यान नहीं दिया था। जिलाध्यक्ष डॉ संजय सिंह ने कहा कि इस आदेश के आने के बाद शिक्षक समाज अत्यंत ही तनाव ग्रस्त एवं भयभीत है। यह अत्यंत ही निराशा जनक है कि जो शिक्षक पिछले बीस से पच्चीस वर्षों से पूरी निष्ठा व समर्पण के साथ अपनी सेवा दे रहा है आज अचानक से उसको कहा जाता है कि आप दो वर्ष के अंतर्गत शिक्षक पात्रता पास करिए अन्यथा आपकी सेवा को समाप्त कर दिया जाएगा।

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