गाजीपुर ददरी घाट पर आस्था के नाम पर गंदगी:श्रद्धालु और सफाईकर्मी दोनों जिम्मेदार, गंगा घाटों पर कूड़े का अंबार

गाजीपुर के ददरी घाट पर गंगा स्नान और पूजा-अर्चना के लिए पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की लापरवाही और सफाई कर्मियों की कथित अनदेखी के कारण गंदगी फैल रही है। आस्था के इस केंद्र पर पूजा के बाद फूल-मालाएं, मूर्तियां और अन्य कचरा गंगा में प्रवाहित किया जा रहा है, जिससे घाट की पवित्रता और स्वच्छता प्रभावित हो रही है। घाट पर मौजूद तस्वीरों में भी साफ देखा जा सकता है कि श्रद्धालु मां गंगा का आशीर्वाद लेते हुए पूजा कर रहे हैं, वहीं आसपास गंदगी का अंबार लगा हुआ है। श्रद्धालु अपने घरों को तो साफ-सुथरा रखते हैं, लेकिन घरों का कूड़ा गंगा में या घाट के किनारे फेंक देते हैं। ददरी घाट निवासी सोनी मल्लाह ने बताया कि प्रशासन द्वारा घाट पर कूड़ा डालने के लिए बनाए गए डस्टबिन और गड्ढों का उपयोग कोई नहीं करता। इसके परिणामस्वरूप गंगा तट के आस-पास कूड़ा-कचरा जमा हो जाता है और घाट की सुंदरता बिगड़ जाती है। उन्होंने कहा कि यदि श्रद्धालु थोड़ी जिम्मेदारी दिखाएं तो घाट फिर से स्वच्छ और आकर्षक बन सकता है। गौरतलब है कि गाजीपुर में ददरी घाट, कलेक्टर घाट, चेतनाथ घाट, स्टीमर घाट और रामघाट सहित पांच अस्थाई घाट बनाए गए हैं। इन सभी घाटों की सफाई की जिम्मेदारी नगर पालिका के सफाई कर्मियों को सौंपी गई है।
हालांकि, स्थानीय लोगों का कहना है कि सफाई कर्मियों की उपस्थिति घाटों पर कभी दिखाई नहीं देती। वे बताते हैं कि यह कहना मुश्किल है कि सफाई कर्मी कब आते हैं और क्या काम करते हैं, क्योंकि गंदगी की स्थिति जस की तस बनी रहती है।
वहीं ददरी घाट निवासी जयप्रकाश नारायण श्रीवास्तव ने कहा कि गंगा घाटों की गंदगी के लिए श्रद्धालु स्वयं भी जिम्मेदार हैं। केवल सरकार या सफाई कर्मियों के भरोसे घाटों को स्वच्छ नहीं रखा जा सकता। उन्होंने कहा कि पूजा की सामग्री और मूर्तियां गंगा में विसर्जित करना धार्मिक आस्था से जुड़ा हो सकता है, लेकिन इसके दुष्परिणामों को समझना जरूरी है। जब तक हर व्यक्ति खुद जागरूक नहीं होगा, तब तक गंगा और उसके घाटों की सफाई संभव नहीं है।

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