4 बच्चों की मौत का कारण दिमागी बुखार या सिरप:MP की दवा में मिला जहरीला केमिकल राजस्थान की दवा में नहीं; स्वास्थ्य विभाग ने बताई वजहें
राजस्थान में कफ सिरप पीने से 4 बच्चों की मौत के कारण हंगामा मचा हुआ है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने चारों मौत के पीछे अलग-अलग कारण बताए हैं। स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख सचिव गायत्री राठौड़ का कहना है कि इसके पीछे दिमागी बुखार भी हो सकता है। अभी विस्तृत स्तर पर जांच कराई जाएगी। उधर, मध्य प्रदेश में 10 बच्चों की मौत की वजह बताए जा रहे कोल्ड्रिफ कफ सिरप में 48.6% डाईएथिलीन ग्लाइकॉल की मिलावट सामने आई है। हालांकि, राजस्थान में कफ सिरप के 6 सैंपल की जांच में ऐसी कोई मिलावट नहीं मिली है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है कि अगर कफ सिरप जांच में सही है तो फिर सरकारी अस्पतालों में इसके वितरण पर रोक क्यों है? क्या कफ सिरप में खतरनाक केमिकल डाईएथिलीन ग्लाइकॉल था। जांच रिपोर्ट में क्या-क्या मिला और जब सब कुछ सही है तो नए केस थमने का नाम क्यों नहीं ले रहे हैं? पढ़िए इस रिपोर्ट में… सबसे पहले जानते हैं 4 बच्चों की मौत के पीछे विभाग ने क्या वजह बताई अब तक प्रदेश में 4 बच्चों की मौत हुई है, जिसके पीछे परिजन ने सरकारी अस्पतालों में मिलने वाली खांसी की दवाई डेक्सट्रोमेथोरपन हाइड्रोब्रोमाइड (Dextromethorphan Hydrobromide Syrup) को वजह बताया है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने सभी बच्चों की मौत के कारण अलग-अलग बताए हैं। हालांकि, एक कॉमन बात यह भी सामने आ रही है कि अलग-अलग हालात में बच्चों को ये सिरप दी गई थी। 1. सम्राट, भरतपुर : सम्राट को निमोनिया था। जयपुर के जेके लोन अस्पताल में उसकी मौत 22 सितंबर को हो गई। जेके लोन अस्पताल से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार सम्राट की मौत का कारण एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम बताया गया। 2. तीर्थराज, भरतपुर : तीर्थराज खांसी और बुखार (URI) संबंधी बीमारी से पीड़ित था। भरतपुर से जयपुर के जेके लोन अस्पताल रेफर करने के बाद 27 सितंबर को उसकी मौत हो गई। जेके लोन से प्राप्त जानकारी के अनुसार तीर्थराज की मौत एक्यूट एनसिफेलाइटिस के कारण होना बताया गया है। 3. नितियांस शर्मा, सीकर : स्वास्थ्य विभाग ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि सीकर के 4 साल के नितियांस शर्मा को 7 जुलाई को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, चिराना में दिखाया गया था। जो इलाज बच्चे को दिया गया, उसमें डेक्सट्रोमेथोरपन हाइड्रोब्रोमाइड का उल्लेख नहीं है। उसके बाद बच्चे को किसी भी चिकित्सालय में नहीं दिखाया गया। बच्चे की मौत 29 सितंबर हो गई। परिवार का दावा है कि निशुल्क दवा योजना की कफ सिरप पीने से बच्चे की मौत हुई है। 4. अनस, चूरू : 4 अक्टूबर को चूरू निवासी 6 साल के बच्चे अनस की भी मौत हो गई है। अनस के परिजन के अनुसार, 4 दिन पहले बच्चे को खांसी-जुकाम होने पर खांसी का सिरप दिया था। ये सिरप डेक्सट्रोमेथोरपन हाइड्रोब्रोमाइड कॉम्बिनेशन की होने की बात सामने आ रही है। लेकिन जेके लोन हॉस्पिटल के सुपरिटेंडेंट डॉ. आरएन सेरा ने बताया- शुरुआती जांच में पता चला कि बच्चे को दिमागी बुखार था। उसकी हालत गंभीर थी। हमने काफी कोशिश की, लेकिन बच्चे को बचा नहीं सके। राजस्थान में जिस दवा को लेकर बवाल, उसके 6 सैंपल रिपोर्ट में नहीं मिला जानलेवा जहर 1. 29 सितंबर को सबसे पहला सैंपल सीकर से लिया गया। बैच नंबर केएल-25/148, जिसकी मैनुफैक्चरिंग जून 2025 में हुई और एक्सपायरी मई-2027 थी। इस सैंपल को जांच में स्टैंडर्ड क्वालिटी का पाया गया। फार्मा कंपनी द्वारा 13.5 एमजी का दावा किया था और जांच में 13.11 एमजी पाई गई। यानी फार्मा कंपनी के दावे के अनुसार 97 फीसदी सही पाया गया। 2. इसी तरह 29 सितंबर को भरतपुर से इस सिरप का बैच नंबर केएल-25/147 का सैंपल लिया गया। यहां भी फार्मा कंपनी द्वारा सिरप में क्लेम किए दावे का 96 फीसदी कंटेंट मिला। 3. तीसरा सैंपल झुंझुनूं से बैच नंबर केएल-25/ 250 का लिया गया। इसकी रिपोर्ट में 97 फीसदी दवा स्टैंडर्ड पाई गई। 4. चौथा सैंपल आरएमएससी जयपुर से लिया गया। बैच नंबर केएल-25/148 का सैंपल भी 99 फीसदी क्लेम के साथ स्टैंडर्ड पाया गया। 5. पांचवां सैंपल भी आरएमएससी जयपुर से 29 सितंबर को लिया गया। बैच नंबर एल-25/0226ए फार्मा कंपनी द्वारा क्लेम किए गए कंटेंट का 102 फीसदी पाया गया। 6. छठा सैंपल भी आरएमएससी जयपुर से बैच नंबर केएल-25/147 का सैंपल लिया गया। खास बात यह है कि ये सैंपल भी ड्रग टेस्टिंग लैब में पास हो गए। फार्मा कंपनी द्वारा क्लेम किए गए कंटेंट का 103 फीसदी पाया गया। इन सभी 6 सैंपल की टेस्टिंग जयपुर स्थित सरकारी लैब में कराई गई। लैब की जांच में Propylene Glycol, Ethylene Glycol, Diethylene Glycol और Glycerol नहीं मिला है। ये सभी खतरनाक केमिकल की श्रेणी में आते हैं। जिस कंपनी की दवाई, उसके 42 सैंपल पहले हो चुके फेल केसन फार्मा की डेक्सट्रोमेथोरपन दवा के जिन बैचों के नमूने लिए गए थे, ड्रग टेस्टिंग लैब से सभी 6 सैंपल स्टैंडर्ड क्वालिटी के पाए गए हैं। लेकिन फिर भी एहतियातन विभाग ने इस कंपनी द्वारा सप्लाई की जा रही सभी 19 प्रकार की दवाओं के उपयोग और वितरण को अग्रिम आदेशों तक रोक दिया है। यहीं से सवाल खड़ा होता है कि अगर जांच में सिरप स्टैंडर्ड क्वालिटी की है तो फिर रोक क्यों? यहां उल्लेखनीय बात ये है कि फार्मा कंपनी के जिन बैच की दवाई को लेकर हंगामा है, उसकी 1 लाख 33 हजार डोज अब तक बांटी जा चुकी हैं। जयपुर बेस्ड केसन फार्मा जो डेक्सट्रोमेथोरपन दवा की सप्लाई कर रही है, उस कंपनी के 2012 से अब तक 10 हजार 119 सैंपल लिए गए हैं। इनमें से 42 सैंपल अमानक पाए जा चुके हैं। कोरोना काल में तो कंपनी की एक दवा के ही 39 सैंपल फेल हुए थे। इसके अलावा 3 और सैंपल अब तक अमानक पाए गए हैं। राजस्थान से ज्यादा मध्यप्रदेश में मौतें, खांसी की दवाई में डाईएथिलीन ग्लाइकॉल की मिलावट खांसी की सिरप से मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में भी 10 बच्चों की मौत सामने आई है। तमिलनाडु के ड्रग डिपार्टमेंट के अधिकारियों की जांच में कोल्ड्रिफ नाम की एक कफ सिरप में 48.6% डाईएथिलीन ग्लाइकॉल की मिलावट की बात सामने आ रही है। हालांकि, राजस्थान की खांसी की सिरप डेक्सट्रोमेथोरपन की जांच में डाईथाइलीन ग्लायकॉल केमिकल नहीं मिला है। आखिर यह केमिकल क्या है जो बच्चों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है, इसको लेकर सीनियर प्रोफेसर फार्माकोलॉजी और टोंक मेडिकल कॉलेज प्रिंसिपल डॉ. लोकेंद्र शर्मा से बात कर कई सवालों के जवाब जाने… सवाल : डाईएथिलीन ग्लाइकॉल क्या है? जवाब : डाईएथिलीन ग्लाइकॉल एक इंडस्ट्रियल केमिकल है। इसे कफ सिरप में नहीं मिलाया जाता है। क्योंकि ये टॉक्सिक (जहरीला) होता है। सवाल : क्या दवा बनाने वाली कंपनियां डाईथाइलीन ग्लायकॉल का इस्तेमाल करती हैं? जवाब : संभवत: नहीं। लेकिन कुछ मामलों में फार्मा कंपनी गलती से या मिलावटी केमिकल सप्लाई होने से मिलावट कर सकती है। डाईएथिलीन ग्लाइकॉल सस्ता होने के कारण कुछ लोग इस्तेमाल कर सकते हैं। सवाल : खांसी के सिरप में कौन से सेफ केमिकल उपयोग में लिए जाते हैं? जवाब : ग्लिसरॉल को सेफ केमिकल माना जाता है। खांसी की सिरप में इसकी कुछ मात्रा उपयोग में ली जाती है। सवाल : डाईएथिलीन ग्लाइकॉल केमिकल कितना खतरनाक होता है? जवाब : कई तरह की परेशानियां खड़ी हो सकती हैं। किडनी डैमेज होना, सांस की परेशानी हो सकती है और मरीज कोमा में भी जा सकता है। शुरुआत में उल्टी-दस्त भी हो सकते हैं। चक्कर आना, जी घबराना जैसी शिकायतें हो सकती हैं। सवाल : राजस्थान में जिस सिरप से बच्चों की तबीयत खराब होने की बात कही जा रही है, क्या उसमें डाईएथिलीन ग्लाइकॉल को मिलाया गया है। जवाब : नहीं, राज्य सरकार की जांच में सामने आ चुका है कि सभी सैंपल स्टैंडर्ड क्वालिटी के मिले हैं। उनमें डाईएथिलीन ग्लाइकॉल या अन्य कोई केमिकल नहीं मिला है। स्वास्थ्य विभाग का केंद्र को जवाब- तकनीकी समिति कर रही है विस्तृत अध्ययन राजस्थान में बच्चों की मौत के मामले को लेकर रविवार को केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने वीसी बुलाई थी। इस दौरान स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख सचिव गायत्री राठौड़ ने बताया कि दवाओं के उपयोग, बच्चों में सामने आ रहे लक्षणों और विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत जांच करने के लिए तकनीकी समिति भी गठित कर दी है। यह समिति बच्चों में सामने आ रहे लक्षणों, उन्हें दिए जा रहे इलाज सहित विभिन्न पक्षों पर जांच और अनुसंधान कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि प्रदेश के नामी शिशु रोग विशेषज्ञों और अन्य विशेषज्ञों से भी इस प्रकरण को लेकर चर्चा की जा रही है। कई विशेषज्ञों ने अवगत भी कराया है कि इस मौसम में बच्चों में कई बार दिमागी बुखार, निमोनिया, सांस में तकलीफ जैसे मामले सामने आते हैं, जिनसे बच्चों की मौत हो जाती है। हमारा प्रयास है कि बच्चों की मौत के वास्तविक कारणों का पता लगाया जाए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं नहीं हों और बचाव के लिए आवश्यक उपाय सुनिश्चित किए जा सकें। …. खांसी के सिरप से बच्चों की मौत से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… राजस्थान में खांसी का सिरप पीकर चौथे बच्चे की मौत:परिवार वालों का दावा- सरकारी हॉस्पिटल से मिली दवा मासूमों को दी थी, इसके बाद हालत बिगड़ी राजस्थान में खांसी की सिरप पीने से होने वाले मौतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। शनिवार को चूरू से जयपुर लाए गए 6 साल के मासूम ने दम तोड़ दिया। परिवार का दावा है कि बच्चे को सरकारी हॉस्पिटल से मिली सिरप पिलाई गई थी। इसके बाद उसकी हालत बिगड़ गई थी। इससे पहले 2 भरतपुर और एक सीकर के बच्चे के साथ भी ऐसा ही हो चुका है। इन बच्चों को भी सरकारी हॉस्पिटल की सिरप पिलाई गई थी। उसके बाद उनकी जान चली गई थी…(CLICK कर पढ़ें)
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