Ghazipur news: विरासत को संभाला, युवक ने किया यूनीक कलेक्शन… अब विदेशी यूनिवर्सिटी ने दिया ये खास सम्मान
पीएजडी यानी कि डॉक्टरेट की उपाधि हमारे देश में किसी भी शख्स को आसानी से नहीं मिलती है, इसके लिए सालों की मेहनत और शोध की जरूरत होती है. इस उपाधि को किसी को यूं ही नहीं दिया जाता है लेकिन यह उपाधि सम्मान के तौर पर गाजीपुर के कुंवर नसीम रजा सिकरवार को दिया गया है. नसीम रजा साझी विरासत को तो सहेज ही रहे हैं साथ ही वह बहुत ही दुर्लभ चीजों का कलेक्शन भी करते हैं.
नसीम रजा के कलेक्शन को देखकर और उसके प्रति उनकी निष्ठा को देखते हुए यूरो एशियन यूनिवर्सिटी स्टोनिया को डॉक्टरेट की उपाधि देकर सम्मानित किया है. यह कार्यक्रम दिल्ली में आयोजित किया गया था. जिसमें फिल्म एक्टर राहुल रॉय के साथ ही स्टोनिया यूनिवर्सिटी के अधिकारी भी शामिल रहे.
सम्मान पाने के बाद गाजीपुर के रेलवे स्टेशन पर पहुंचे नसीम रजा का उनके चाहने वालों ने भव्य स्वागत किया. बता दें कुंवर नसीम रजा सिकरवार की 12वीं पीढ़ी से पूर्व के पूर्वज हिंदू समाज से आते हैं. जिन्हें वह गर्व से बताते हैं कि हमारे पूर्वज हिंदू थे. बाद में कन्वर्ट होकर मुसलमान हुए हैं और आज भी वे दोनों परिवारों की विरासत को संभाल कर रखे हुए हैं. साथ ही उनके द्वारा पिछले 20-25 सालों से कई तरह के नायाब कलेक्शन का कार्य किया जा रहा है.
कलेक्शन में क्या-क्या?
फारसी दस्तावेज, पांडुलिपियां, डाक टिकट, शादियों का कार्ड, ईंट के साथ ही कई ऐसे नायाब कलेक्शन हैं जिसे देखने और सुनने के बाद लोगों को एक बार सोचने को मजबूर होना पड़ता है कि एक अदना सा इंसान कैसे इतने सारे कलेक्शन अकेले किया होगा? इतना ही नहीं इन्होंने अपनी मेहनत से कलेक्शन से लेकर कलेक्शनालय तक का सफर पूरा कर लिया है. इन्हीं सब उपलब्धियों को देखते हुए पूर्व में इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में भी इनका नाम दर्ज हो चुका है.
मिल चुके हैं और भी अवॉर्ड
यूरो एशियन यूनिवर्सिटी स्टोनिया के द्वारा कुंअर मुहम्मद नसीम रज़ा सिकरवार को उनके उत्कृष्ट योगदान और उत्कृष्ट नेतृत्व के लिए मानद उपाधि से अलंकृत किया जाना है. बताते चलें कि वे जनपद गाजीपुर के ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षणकर्ता है और दुर्लभ वस्तुओं के कलेक्शन कर उन्होंने एक कलेक्शनालय स्थापित कर दिया है. दर्जनों राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार नसीम रजा को मिल चुके हैं. इतना ही नहीं उनका नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड और एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज किया जा चुका है.
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