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‘चंद’ के बाद अब ‘नंद’ परिवार के लगे पोस्टर:चिल्लूपार के चुनावी मैदान में नई पीढ़ी ने ठोंकी ताल; लगे होर्डिंग

पूर्व कैबिनेट मंत्री स्व. हरिशंकर तिवारी के क्षेत्र चिल्लूपार से चंद परिवार की बहू अस्मिता चंद हर हाल में चुनाव लड़ने का दावा कर चुकी हैं। यह बात सार्वजनिक होने के बाद गोला में ही चंद परिवार के विरोधी नंद परिवार की ओर से भी ताल ठोंक दी गई है। इस परिवार में वर्तमान पीढ़ी के साहिल विक्रम तिवारी ने गोला में जगह-जगह होर्डिंग लगाकर चुनाव लड़ने का दावा किया है। इसपर फोटो साहिल की है लेकिन यह संदेश नंद परिवार गोला की ओर से है। होर्डिंग पर लिखा है-किसमें कितना है दम, अब बताएंगे हम। इसके साथ ही आगाज-ए-2027 भी मोटे अक्षरों में लिखा गया है। यह होर्डिंग लगने के बाद चिल्लूपार क्षेत्र में राजनीतिक चर्चा शुरू हो गई है। इस परिवार का पुराने धुरियापार विधानसभा क्षेत्र में प्रभाव माना जाता है। धुरियापार का एक तिहाई हिस्सा चिल्लूपार में शामिल है। पहले जानिए दोनों परिवारों के बारे में चंद परिवार गोला क्षेत्र का एक क्षत्रिय परिवार है। इसके मारकंडेय चंद उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री रहे हैं। उनके पुत्र सीपी चंद गोरखपुर-महराजगंज स्थानीय निकाय निर्वाचन क्षेत्र से लगातार दो बार से एमएलसी हैं। यह परिवार रियल एस्टेट सहित कई व्यवसाय से जुड़ा है। इसी परिवार से अस्मिता चंद भी आती हैं। वह मारकंडेय चंद के से भाई की बहू हैं। राजनीतिक रूप से ये दो नाम चर्चा में रहते हैं। नंद परिवार गोला क्षेत्र का एक ब्राह्मण परिवार है। इसके डा. अच्युतानंद तिवारी 1984 से 1989 तक धुरियापार से निर्दल विधायक रहे हैं। उसके बाद उन्होंने कांग्रेस व सपा के टिकट पर भी चुनाव लड़ा लेकिन जीत नहीं सके। हालांकि डॉक्टर होने के कारण उनका सामाजिक प्रभाव अच्छा था। जब भी चुनाव लड़े सम्मानजनक वोट उन्हें मिला। उनके भाई विजयानंद तिवारी भी राजनीतिक रूप से सक्रिय रहे। अब विजयानंद के पुत्र साहिल विक्रम तिवारी परिवार की राजनीतिक बागडोर संभाल रहे हैं। दोनों परिवारों के प्रभाव को दिखाते हुए गोला में चंद और नंद चौराहा भी हैं। गोला का पश्चिमी चौराहा चंद चौराहा के नाम से जाना जाता है। यहां से उरुवा, कौड़ीराम, गोला मुख्य बाजार व बड़हलगंज के लिए रास्ता जाता है। नगर पंचायत में भी इस चौराहे का नाम चंद चौराहा दर्ज है। जबकि गोला के ही बेउरी चौराहा को बोलचाल में नंद चौराहा कहा जाता है। हालांकि अभी यह दस्तावेजों में दर्ज नहीं है। 2002 के बाद नहीं लड़े विधानसभा चुनाव
नंद परिवार से अब तक डा. अच्युतानंद तिवारी ही विधानसभा का चुनाव लड़ते आए हैं। उन्होंने आखिरी चुनाव 2002 में धुरियापार से सपा के टिकट पर लड़ा था। इस चुनाव में उन्हें 21 हजार 148 वोट मिले थे। वह चौथे स्थान पर थे। धुरियापार क्षेत्र के सारे प्रभावशाली लोग इस चुनाव में नजर आए थे। बसपा से जयप्रकाश यादव विजयी हुए थे। राजेंद्र उर्फ पहलवान सिंह को दूसरा व मारकंडेय चंद को तीसरा स्थान मिला था। 2022 में बसपा से टिकट मिला, एक महीने में कट गया
2022 में डा. अच्युतानंद के भाई डा. विजयानंद तिवारी को बसपा ने चिल्लूपार से अपना प्रत्याशी बनाया था। इस परिवार ने एकजुट होकर प्रचार भी शुरू कर दिया लेकिन एक महीने के भीतर ही टिकट बदल दिया गया। बसपा ने राजेंद्र उर्फ पहलवान सिंह को चुनाव लड़ाया था। चर्चा में है साहिल विक्रम की होर्डिंग
अस्मिता चंद की काफिले की गाड़ियों के पीछे लिखा है-चिल्लूपार दिखाएगा दम, 2027 लड़ेंगे हम। इसके जवाब में नंद परिवार के साहिल विक्रम तिवारी ने होर्डिंग लगवाई है। उनके होर्डिंग पर लिखा है-किसमें कितना है दम, अब बताएंगे हम। नीचे नंद परिवार लिखा गया है। साहिल की यह होर्डिंग चर्चा में है। कुछ समय पहले तक वह कांग्रेस में पदाधिकारी थे लेकिन इस समय किसी राजनीतिक दल में सक्रियता नजर नहीं आती। लेकिन होर्डिंग देखकर अंदाजा लगाया जा रहा है कि वह बसपा से दावेदारी करने की कोशिश कर सकते हैं। फिलहाल उनकी यह होर्डिंग क्षेत्र में चर्चा का विषय है।
साहिल का कहना है कि उनके परिवार ने बड़े पैमाने पर रोजगार दिया है। इसका असर भी चुनाव में नजर आएगा। यह है नंद परिवार 1920 में भगवान दत्त तिवारी डिप्टी इंसपेक्टर आफ स्कूल थे। उनके पुत्र श्याम सुंदर तिवारी डिप्टी एक्साइज सुप्रिंटेंडेंट थे। उनके तीन पुत्र शिव शंकर तिवारी, उमाशंकर तिवारी व रमाशंकर तिवारी थे। उमाशंकर व रमाशंकर मदन मोहन मालवीय के शिष्य रहे। उमाशंकर तिवारी के तीन पुत्र घनानंद तिवारी 1960 से 1967 तक गोला के चेयरमैन रहे। दूसरे पुत्र डा. अच्युतानंद तिवारी केजीएमसी से एमबीबीएस में 1957 बैच के गोल्ड मेडलिस्ट रहे। 1984 से 1989 तक विधायक रहे। तीसरे पुत्र डा. विजयानंद तिवारी पूर्व ब्लाक प्रमुख व जिला पंचायत सदस्य रहे। घनानंद तिवारी के 5 पुत्र हैं। उनमें डा. अनिल तिवारी चिकित्सक हैं। सुनील तिवारी सामाजिक कार्यों से जुड़े हैं। डा. अनूप तिवारी चिकित्सक हैं। सुशील व सुधीर तिवारी व्यवसायी हैं। डा. अच्युतानंद तिवारी के अतुल तिवारी नर्सिंग होम संचालक हैं। डा. प्रवीण तिवारी शिक्षक नेता हैं। पीयूष तिवारी इंजीनियर हैं। डा. विजयानंद तिवारी के दो पुत्र हें। शार्दुल विक्रम तिवारी यूपीसीडा कानपुर के प्रबंधक हैं। साहिल विक्रम तिवारी कांग्रेस पार्टी के पूर्व जिला महासचिव हैं। नंद परिवार के सदस्य की हो गई थी हत्या नंद परिवार के सदस्य प्रफुल्ल तिवारी की 1992 में हत्या कर दी गई थी। वह एक्साइज कमिश्नर रहे भास्कर दत्त तिवारी के पुत्र थे। इस हत्या के बाद चंद परिवार से विरोध बढ़ गया था। प्रफुल्ल तिवारी के दो भाई और हैं। परिवार से किसी सदस्य के चुनाव मैदान में आने पर पूरा परिवार साथ नजर आता है।


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