बच्चों की मौतों में डॉक्टर बड़े कसूरवार:4 साल से छोटे बच्चों को नहीं देनी थी सिरप; मृतकों में 5 की उम्र 4 साल, दो इनसे कम के
मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा में 32 दिनों में किडनी फेल होने से 11 मासूमों की मौत हो गई। 1 से 5 साल तक के इन बच्चों को सर्दी, खांसी और बुखार हुआ था। सभी बच्चे एक ही डॉक्टर के पास पहुंचे। डॉक्टर ने दवाई लिखी और मेडिकल संचालक पत्नी ने दवाई दी। बच्चों ने दवाई पी और बुखार उतर गया, खांसी ठीक हो गई, लेकिन दो दिन बाद पेशाब बंद हो गई। परिवारवालों ने छिंदवाड़ा से लेकर नागपुर तक इलाज करवाया, लेकिन उनकी जान नहीं बच पाई। आरोप है कि बच्चों की ऐसी हालत डॉक्टर की लिखी एक कफ सिरप से हुई, जिसे 4 साल से कम उम्र के बच्चों को नहीं देनी थी। मामले में सीएम डॉ. मोहन यादव ने छिंदवाड़ा में हुई 11 बच्चों की मौतों को दुखद बताते हुए 4-4 लाख की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है। दैनिक भास्कर ने इलाज करने वाले डॉक्टर से सीधा सवाल किया… 4 साल से छोटे बच्चों को वह कफ सिरप क्यों दी, पढ़िए यह रिपोर्ट सबसे पहले पूरा घटनाक्रम…
परासिया से करीब 15 किमी दूर बाग बर्गीया के रहने वाले 4 साल के शिवम राठौड़ की 16 अगस्त को तबीयत खराब हुई। परिजन के मुताबिक, बच्चे को हल्का बुखार और सर्दी, खांसी हुई थी। एक दिन बुखार नहीं उतरा तो परासिया में रेलवे स्टेशन रोड स्थित डॉक्टर प्रवीण सोनी को दिखाया। उन्होंने बुखार के साथ कफ सिरप लिखी। दवाई अपने ही मेडिकल स्टोर (अपना मेडिकल) से दी। दवा देने के बाद बच्चे का बुखार उतर गया। तीन दिन लगातार दवाई दी। चौथे दिन बच्चा फिर से रोने लगा। उसने बताया कि पेट में दर्द हो रहा है। बच्चे का पेट फूल रहा था। पैर में सूजन आ गई थी। बच्चा जोर लगा रहा था, लेकिन पेशाब नहीं उतर रही थी। तत्काल बच्चे को डॉ. सोनी के पास लेकर पहुंचे। डॉक्टर ने चेक कर कहा, जांचें करनी होगीं, आप बच्चे को परासिया सिविल अस्पताल में भर्ती करवा दो। ब्लड समेत अन्य जांचें हुईं, जिसमें कुछ इन्फेक्शन आया। पेशाब नहीं आने पर बच्चे को नली लगाई गई। दो दिनों तक सुधार नहीं होने पर बच्चे को जिला अस्पताल छिंदवाड़ा रेफर कर दिया गया। यहां जांच में किडनी इन्फेक्शन का पता चला। तीन दिन भर्ती रहने के बाद हालत में सुधार नहीं हुआ तो परिजन नागपुर ले गए। यहां 2 सितंबर को बच्चे की मौत हो गई। सभी केस में यही हुआ। बच्चों ने कफ सिरप पिया। तबीयत ठीक हुई। तीन-चार दिन बाद पेट दर्द और पेशाब बंद हो गई। हालत बिगड़ी और 10 से 15 दिन अस्पताल में रहने के बाद मौत हो गई। नागपुर में जांच में पाया गया कि सभी बच्चों की मौत का मुख्य कारण किडनी फेल होना है। अस्पताल में किडनी से संबंधित सैंपल तो लिए गए, लेकिन किसी भी बच्चे का पोस्टमॉर्टम नहीं हुआ। भास्कर के सवाल, डॉक्टर का जवाब… रिपोर्टर : आप शिशु रोग विशेषज्ञ हैं। परासिया के करीब सभी बच्चे इलाज के लिए आते हैं। कितने साल से प्रैक्टिस कर रहे हैं?
डॉ. प्रवीण सोनी : 38 साल से प्रैक्टिस कर रहा हूं। रिपोर्टर : जिस कफ सिरप से बच्चों की तबीयत खराब हुई, वह सिरप आप कब से लिख रहे हैं?
डॉ. प्रवीण सोनी : 15 सालों से मैं यह दवाई बच्चों को लिख रहा हूं। रिपोर्टर : पहले कभी इस प्रकार की शिकायत आई है?
डॉ. प्रवीण सोनी : पहले ऐसी कोई वारदात नहीं हुई है। रिपोर्टर : कफ सिरप के संबंध में प्रशासन की ओर से कोई सफाई मांग गई है?
डॉ. प्रवीण सोनी : अब तक तो सफाई नहीं मांगी गई है? रिपोर्टर : सरकारी डॉक्टर होने के बाद भी आप प्राइवेट क्लीनिक संचालित कर रहे हैं?
डॉ. प्रवीण सोनी : सरकारी अस्पताल में ड्यूटी पूरी करने के बाद प्राइवेट क्लीनिक चलाता हूं। रिपोर्टर : अपना फार्मा का नाम जो सामने आया है, वह आपकी ही फर्म है?
डॉ. प्रवीण सोनी : अपना फार्मा मेरी वाइफ के नाम पर है। मेडिकल स्टोर पहले एक लड़का देखता था। उसने कुछ गलती की थी, इसके बाद पत्नी प्रीति सोनी संभालने लगी। रिपोर्टर : प्रशासनिक अधिकारी ने इस मामले में आपसे जानकारी ली है?
डॉ. प्रवीण सोनी : मुख्य चिकित्सा अधिकारी दो बाद दौरा कर चुके हैं। उन्होंने दवाई को लेकर एक विज्ञप्ति भी जारी की थी। रिपोर्टर : अपना फार्मा के नाम से जितना काम चल रहा है, सब आपसे ही जुड़े हैं?
डॉ. प्रवीण सोनी : नहीं, ऐसा कहना गलत होगा। कोई व्यक्ति ने ऐसा नाम पेटेंट तो नहीं करवाया है न। रिपोर्टर : जबलपुर से दवाई सीधे आपके पास आती थी या फिर किसी मीडिएटर के जरिए?
डॉ. प्रवीण सोनी : एक सिस्टम होता है, उसी के जरिए दवा आती है। रिपोर्टर : जो सिरप आप लिख रहे थे, उसके कंटेंट के बारे में आपको जानकारी थी?
डॉ. प्रवीण सोनी : कवर में कॉपी कंटेंट तो लिखा होता है, जो बात हिडन (छिपी) रहती है, उसे कोई नहीं बताता है। रिपोर्टर : … आपको कहना है कि यह गलती हिडन कंटेंट के कारण हुई है?
डॉ. प्रवीण सोनी : मे बी.. क्योंकि जो कंटेंट लिखे हैं, वह एग्जैक्ट है। इस तरीके के बाजार में कम से कम 50 सिरप हैं। रिपोर्टर : प्रशासन ने जो 12 कफ सिरप जब्त कर जांच के लिए भेजे हैं, वे कौन से हैं?
डॉ. प्रवीण सोनी : मुझे इस बारे में कोई आइडिया नहीं है। नागपुर चाइल्ड अस्पताल से दो दवाई के संबंध में बताया गया था। परिवार बोला- किसी ने पीएम के लिए नहीं कहा
1 अक्टूबर को संध्या भोसम की मौत पर जब परिजनों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि इलाज के दौरान उनसे किसी प्रशासनिक अधिकारी ने संपर्क तक नहीं किया। पोस्टमॉर्टम क्यों नहीं करवाया। प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि आप लोगों ने मना कर दिया था। इस पर संध्या के पिता का कहना था कि उनसे प्रशासनिक स्तर पर किसी ने न संपर्क किया और न ही पोस्टमॉर्टम करवाने के लिए कहा। एसडीएम बोले- परिजन पीएम को राजी नहीं हुए
संध्या के परिजनों के आरोप पर परासिया एसडीएम शुभम यादव ने कहा- परिजनों से इसको लेकर बात की गई थी, लेकिन वे पोस्टमॉर्टम के लिए राजी नहीं हुए। सभी की मौत नागपुर के अस्पताल में हुई है। हमारे द्वारा पत्राचार हुआ, लेकिन परिवार के मना करने से पोस्टमॉर्टम नहीं किया जा सका। घर-घर जाकर सर्वे करवा रहा प्रशासन
एसडीएम शुभम यादव ने बताया कि परासिया क्षेत्र की आबादी 2.84 लाख है। इनमें लगभग 25 हजार 5 साल से कम उम्र के बच्चों की संख्या है। स्वास्थ्य विभाग के जमीनी अमले के द्वारा लगातार घर-घर जाकर सर्वे किया जा रहा है। बुखार,सर्दी और खांसी से पीड़ित 4658 बच्चों की जांच कराई गई है। इनमें 411 बच्चों की रिपोर्ट आ गई है, जो की नॉर्मल हैं। मेडिकल इमरजेंसी को देखते हुए बच्चों के लिए अलग से आईसीयू वार्ड बनाया गया है। छिंदवाड़ा कलेक्टर ने सिरप पर रोक लगाई, दो दिन बाद ट्रांसफर
बच्चों के मौत के मामले में तत्कालीन छिंदवाड़ा कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह ने जांच रिपोर्ट के आधार पर दोनों सिरप पर रोक लगा दी गई थी। उन्होंने अभिभावकों से इसका प्रयोग न करने की सलाह दी गई थी। मेडिकल इमरजेंसी के बीच दवाइयां पर रोक तो लगा दी गई, लेकिन आदेश के दो दिन बाद ही छिंदवाड़ा कलेक्टर का तबादला भोपाल कर दिया गया। मेडिकल स्टोर पर दूसरी बार जांच करने पहुंची टीम
परासिया के स्टेशन रोड स्थित डॉ. प्रवीण सोनी के निजी क्लीनिक में शुक्रवार को एक बार फिर औषधि जांच टीम पहुंची। 5 दिन पहले भी भोपाल से आई, टीम जिले की औषधि टीम जांच के लिए पहुंची थी। यहां दवा के सैंपल लिए गए थे। मामले में दिल्ली और भोपाल से आई महामारी नियंत्रण टीम लगातार ऐसे क्षेत्रों में पहुंच रही है, जहां से बच्चों की मौत की खबर आ रही है। 4-4 लाख की सहायता, कमलनाथ बोले- 50 लाख दो
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि छिंदवाड़ा जिले में कोल्ड्रिफ कफ सिरप के कारण बच्चों की हुई मृत्यु अत्यंत दुखद है। कोल्ड्रिफ कफ सिरप की जांच रिपोर्ट आने पर मध्यप्रदेश में इस सिरप की बिक्री को पूर्णता प्रतिबंधित कर दिया गया है। प्रदेश में अभियान के तौर पर छापामारी कर कोल्ड्रिफ सिरप को जब्त किया जा रहा है। जनसंपर्क विभाग ने मुख्यमंत्री के हवाले से कहा है कि छिंदवाड़ा में इस सिरप के कारण जिन 11 बच्चों को मृत्यु हुई है, उनके परिजन को 4-4 लाख रुपए की आर्थिक सहायता दी जाएगी। साथ ही बच्चों के इलाज का पूरा खर्च राज्य सरकार उठाएगी। उधर, पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पीड़ित परिवार को 50 लाख रुपए की आर्थिक मदद देने की मांग की है। जांच नमूने पाए गए अमान्य
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि छिंदवाड़ा की घटना संज्ञान में आने पर कोल्ड्रिफ सिरप के सैंपल जांच के लिए भेज गए थे। शनिवार सुबह जांच रिपोर्ट में नमूने अमान्य पाए गए। इसलिए कोल्ड्रिफ सिरप के विक्रय को पूरे प्रदेश में प्रतिबंधित कर दिया गया है। राज्य स्तर पर भी इस मामले में संयुक्त जांच टीम बनाई गई है। दोषियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। जांच में पाई गई 48.6% डाइएथिलीन ग्लाइकॉल की मात्रा
तमिलनाडु के औषधि नियंत्रक, द्वारा कोल्ड्रिफ सिरप को “नॉट ऑफ़ स्टैण्डर्ड क्वालिटी(एनएसक्यू)” घोषित किया गया है। शासकीय औषधि विश्लेषक, औषधि परीक्षण प्रयोगशाला, चेन्नई के परीक्षण अनुसार इस सिरप में डाइएथिलीन ग्लाइकॉल की मात्रा पाई गई 48.6% पाई गई है, जो एक जहरीला तत्व है और स्वास्थ्य के लिए गंभीर रूप से हानिकारक है। नियंत्रक खाद्य एवं औषधि प्रशासन डॉ. दिनेश कुमार मौर्य ने प्रदेश के वरिष्ठ औषधि निरीक्षक एवं औषधि निरीक्षकों को निर्देश दिए हैं कि दवा का विक्रय एवं वितरण तत्काल प्रभाव से बंद किया जाए। यदि यह दवा उपलब्ध हो तो इसे तुरंत सील कर लिया जाए तथा नष्ट नहीं किया जाए, जैसा कि औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940 और नियमों में प्रावधान है। संबंधित औषधि के नमूने संकलित कर परीक्षण के लिए शासकीय औषधि प्रयोगशालाओं को भेजे जाएं। कोल्ड्रिफ सिरप के अन्य बैचेस भी यदि उपलब्ध हों तो उन्हें भी सील कर नमूने परीक्षण के लिए भेजे जाएं। जनहित को देखते हुए मेसर्स स्रेसन (Sresan) फार्मास्यूटिकल द्वारा निर्मित सभी अन्य औषधियों की बिक्री एवं उपयोग भी तत्काल प्रभाव से रोक दी गई है और इनके नमूने कानूनी परीक्षण के लिए संकलित किए जा रहे हैं। साथ ही प्रदेश में इस दवा की आवाजाही पर सख्त निगरानी के निर्देश हैं।
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