मेरठ की मशहूर रामचंद सहाय की नानखताई:जो कोयले की आँच पर पककर बनती है खास, 1904 में हुई थी शुरूआत

मिठाई की दुनिया में नानखताई का अपना ही एक अलग स्थान है, लेकिन जब बात मेरठ की रामचंद सहाय की नानखताई की हो तो यह और भी खास बन जाती है। दशकों पुरानी यह दुकान आज भी अपने पारंपरिक स्वाद और बनाने के अनोखे तरीके की वजह से मशहूर है। यहाँ नानखताई को आज भी कोयले की धीमी आँच पर सेका जाता है, जिससे इसकी खुशबू और कुरकुरापन बाकी नानखताइयों से बिल्कुल अलग होता है। कोयले की आँच देती है असली स्वाद जहाँ आजकल ज़्यादातर जगहों पर ओवन और मशीनों से नानखताई बनाई जाती है, वहीं रामचंद सहाय की नानखताई अब भी परंपरागत तरीके से कोयले पर तैयार होती है। कोयले की धीमी आँच पर जब नानखताई सिकती है तो उसकी सुगंध पूरे मोहल्ले में फैल जाती है। यही वजह है कि यहाँ की नानखताई खाने वाले कहते हैं—”ये स्वाद कहीं और नहीं मिलेगा।” नुस्खा जो पीढ़ियों से वही है रामचंद सहाय की नानखताई बनाने का तरीका आज भी वैसा ही है जैसा उनके दादा-पड़दादाओं के समय था। हलवाई सबसे पहले बड़े मटके जैसे बर्तनों में घी डालते हैं। इन टिक्कियों को फिर लोहे की ट्रे में सजाकर कोयले की आँच पर रखा जाता है। धीरे-धीरे यह फूलने लगती हैं और ऊपर से हल्की दरारें पड़ जाती हैं, जो नानखताई की पहचान मानी जाती हैं। क्यों है इतनी मशहूर मेरठ का जायका आज भी त्योहारों, शादियों या रोज़मर्रा के नाश्ते के लिए लोग रामचंद सहाय की नानखताई घर ले जाना नहीं भूलते। चाहे देश-विदेश में रहने वाले पुराने ग्राहक हों या पहली बार मेरठ आने वाले पर्यटक, सभी इस नानखताई का स्वाद ज़रूर चखते हैं। यही वजह है कि यह मिठाई अब मेरठ की पहचान बन चुकी है।

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