कानपुर के करोड़पति लेखपाल पर शिकंजा कसना शुरू:एंटी करप्शन टीम ने किया तलब, 60 करोड़ से ऊपर की बताई गई थी सपत्ति

सरकारी नौकरी से मिली आमदनी सीमित थी, मगर संपत्ति किसी उद्योगपति से कम नहीं थी। आलीशान मकान, एक गेस्ट हाउस, दर्जनों बीघा जमीन… ये किसी कारोबारी की कहानी नहीं, बल्कि कानपुर के लेखपाल आलोक दुबे की है। अब ये ही ऐशो-आराम उनके गले की फांस बनती जा रही है। अब एंटी करप्शन विभाग ने उन्हें आय से अधिक संपत्ति के मामले में पूछताछ के लिए तलब किया है।
60 करोड़ से अधिक की संपत्ति बताई जा रही है
जानकारी के मुताबिक, आलोक दुबे पर लगभग 60 करोड़ रुपए की संपत्ति का आरोप है, जो उनकी वैध आय से कहीं अधिक बताई जा रही है।
उनकी संपत्तियों में शहर और देहात दोनों इलाकों में कई प्लॉट, मकान और कृषि भूमि शामिल हैं। जांच में खुलासा हुआ है कि उन्होंने बेनामी नामों से जमीन खरीदने-बेचने का बड़ा खेल खेला।
कागजों से करते थे हेराफेरी
जिला प्रशासन के अनुसार, आलोक दुबे ने रिंग रोड परियोजना के दौरान भूमि अधिग्रहण में भी अनियमितताएं की थीं। आरोप है कि उन्होंने कई किसानों की जमीन अपने रिश्तेदारों और परिचितों के नाम पर खरीदकर बाद में ऊंचे दामों पर बेच दी। जांच में यह भी सामने आया है कि उन्होंने 50 से 60 बेनामी नामों से संपत्तियां दर्ज कराईं, जबकि उनके परिवार के नाम पर ही 35 बीघा जमीन मिली है।
जिलाधिकारी ने लिखा था पत्र
मामले की गंभीरता देखते हुए जिलाधिकारी जितेन्द्र प्रताप सिंह ने इस पर कार्रवाई की सिफारिश की थी, जिसके बाद एंटी करप्शन विभाग ने तफ्तीश शुरू की। विभाग के अधिकारियों ने लेखपाल को विस्तृत पूछताछ के लिए बुलाया है।
आलोक दुबे की सेवा पृष्ठभूमि भी दिलचस्प रही है। वर्ष 1993 में लेखपाल के रूप में नियुक्त हुए दुबे, लंबे समय तक सदर तहसील में तैनात रहे। वर्ष 2015 से 2022 तक वे लेखपाल संघ के तहसील अध्यक्ष भी रहे। हाल ही में उन्हें कानूनगो के पद पर पदोन्नत किया गया था, लेकिन उन्होंने पद ग्रहण नहीं किया।
सूत्रों के अनुसार, उन्होंने प्रभाव और नेटवर्क बनाए रखने के लिए सदर तहसील से ही जुड़ाव बनाए रखा। फिलहाल, जांच टीम ने कई दस्तावेजों को खंगालना शुरू कर दिया है और दुबे से उनकी संपत्तियों के स्रोत पर विस्तृत जवाब मांगा गया है। विभागीय सूत्रों के अनुसार, प्राथमिक रिपोर्ट तैयार की जा रही है और जल्द ही चार्जशीट दाखिल की जाएगी।

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