जापान में पहली बार महिला PM बनेंगी, जानिए भारत, चीन और अमेरिका पर क्या है उनका स्टैंड

जापान में पहली बार महिला PM बनेंगी, जानिए भारत, चीन और अमेरिका पर क्या है उनका स्टैंड

जापान के इतिहास में पहली बार कोई महिला प्रधानमंत्री की कुर्सी संभालने जा रही है. सत्ताधारी लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (LDP) ने पूर्व आर्थिक सुरक्षा मंत्री सना ए ताकाईची को अपनी नई अध्यक्ष चुना है. जापान में बहुमत वाली पार्टी का अध्यक्ष ही प्रधानमंत्री बनता है, इसलिए लगभग तय है कि ताकाईची ही देश की अगली प्रधानमंत्री होंगी.

ताकाईची को पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे का करीबी माना जाता है, जो जापान के सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहे. साने की पहचान एक कंजर्वेटिव नेता की रही है. उन्होंने 10 साल में जापान की अर्थव्यवस्था को दोगुना करने की योजना पेश की है. आइए इसी बहाने जान लेते हैं उनकी विदेश नीति, खासकर भारत, चीन और अमेरिका के संदर्भ में. इन तीनों देशों को लेकर उनकी राय क्या है?

भारत को स्पेशल स्ट्रैटेजिक पार्टनर मानती हैं

भारत और जापान के बीच पहले से ही मजबूत आर्थिक और रणनीतिक संबंध हैं, और ताकाईची इन संबंधों को और बढ़ाने की इच्छुक हैं. उनका मानना है कि दोनों देशों को मिलकर चीन की बढ़ती सैन्य ताकत का मुकाबला करना चाहिए. The Diplomat की एक खबर के मुताबिक उन्होंने ताइवान की यात्रा के दौरान भारत, ताइवान, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और जापान के बीच एक “क्वासी-सुरक्षा गठबंधन” बनाने का प्रस्ताव दिया था, ताकि आपसी हितों की रक्षा की जा सके.

चीन की हैं कट्टर विरोधी

सना ए ताकाईची अपने चीन के खिलाफ कड़े रुख के लिए जानी जाती हैं. वे अक्सर टोक्यो के यासुकुनी श्राइन जाती हैं, जो जापान के युद्ध में मारे गए सैनिकों को सम्मानित करता है और अक्सर पड़ोसी देशों को नाराज़ कर देता है. जैसे पूर्व प्रधानमंत्री आबे ने जापान की सेना को मजबूत करने की दिशा में कदम उठाए थे, वैसे ही ताकाईची भी चीन के खिलाफ देश की सैनिक ताकत बढ़ाने की कोशिश कर रही हैं, क्योंकि वे चीन को अपना मुख्य प्रतिद्वंदी मानती हैं.

ट्रंप के साथ हुए ट्रेड डील से नाखुश

अमेरिका के साथ उनके रिश्ते भी मजबूत हैं, लेकिन वे कुछ व्यापारिक समझौतों पर पुनर्विचार की पक्षधर हैं. उनका मानना है कि जापान को अमेरिका के साथ अपने संबंधों को समान साझेदारी के रूप में देखना चाहिए, न कि एकतरफा निर्भरता के रूप में. ताकाइची हाल ही में ट्रंप प्रशासन के साथ हुए ट्रेड डील के खिलाफ हैं. उन्होंने कहा कि इस पर फिर से बातचीत की जानी चाहिए. दरअसल जापान और अमेरिका के बीच अगस्त में डील हुई थी. इसमें जापान ने अमेरिका में 550 अरब डॉलर का निवेश करने का वादा किया था.

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