पहले दिन नहाय-खाय और दूसरे दिन खरना के बाद कल छठ पूजा का तीसरा दिन सबसे विशेष माना जाता है। इसे “संध्या अर्घ्य” या “संध्या घाट पूजा” कहा जाता है। इस दिन व्रती शाम के समय अस्त होते सूर्य (अस्ताचलगामी सूर्य) को अर्घ्य देते हैं। कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि को पड़ने वाला यह दिन छठ पूजा का तीसरा और सबसे महत्वपूर्ण चरण होता है। इस दिन व्रती महिलाएं किसी नदी, तालाब या पोखर के जल में खड़े होकर अस्त होते सूर्य देव और छठी मैया को श्रद्धापूर्वक जल अर्पित करते हैं। भक्त बांस के सूप में ठेकुआ, विभिन्न मौसमी फल, गन्ना और अन्य पारंपरिक प्रसाद सजाकर डूबते हुए सूर्य देव को पहला अर्घ्य देते हैं। धार्मिक मान्यता है कि सांध्य अर्घ्य न सिर्फ व्रती के लिए आध्यात्मिक शुद्धिकरण का प्रतीक है, बल्कि यह मानसिक शांति और जीवन में स्थिरता का भी लाता है। भास्कर की इस रिपोर्ट में जानिए सांध्य अर्घ्य क्यों बेहद खास माना गया है, खरना करने के बाद कैसे शुरू होता है 36 घंटे का निर्जला व्रत…ऊपर क्लिक करें वीडियो…
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