रूस में बशर अल असद को जहर देने का दावा, व्लादिमीर पुतिन के दोस्त हैं सीरिया के पूर्व राष्ट्रपति

रूस में बशर अल असद को जहर देने का दावा, व्लादिमीर पुतिन के दोस्त हैं सीरिया के पूर्व राष्ट्रपति

सीरिया के पूर्व राष्ट्रपति बशर अल-असद को रूस में एक बार फिर जान से मारने की कोशिश की गई. असद को अस्पताल ले जाया गया. अब उनकी हालत ठीक बताई जा रही है. असद को 10 महीने पहले सीरिया की सत्ता से हटाया गया था. इसके बाद से ही वह रूस की राजधानी मॉस्को में रह रहे हैं. रूस ने उन्हें और उनके परिवार को अपनी सुरक्षा में रखा हुआ है.

रिपोर्टों के मुताबिक, असद को इसलिए जहर दिया गया ताकि रूस को बदनाम किया जा सके और हत्या का आरोप लगाया जा सके. सीरियाई मानवाधिकार संगठन ने बताया कि असद को मॉस्को के पास के अस्पताल से छुट्टी मिल गई है. असद के भाई माहेर भी अस्पताल में उनसे मिलने गए थे. रूस सरकार ने इस मामले पर अब तक कोई कमेंट नहीं किया है.

पहले भी बाल-बाल बचे थे

इससे पहले भी असद पर रूस में जहर देने की कोशिश की गई थी. उस समय वे अपनी सुरक्षा टीम को यह बता चुके थे कि उनकी तबीयत खराब लग रही है. उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही थी और वे बहुत खांस रहे थे. जांच में पता चला था कि असद के शरीर में जहर था. तुरंत इलाज मिलने की वजह से उनकी जान बच गई.

साल 2024 में असद को सत्ता से बेदखल कर दिया गया, तब वह अपने परिवार के साथ रूस चले आए. बशर के दोस्त और रूसी राष्ट्रपति व्लागिमिर पुतिन ने उन्हें राजनीतिक शरण दी. बशर को सार्वजनिक तौर पर कभी देखा नहीं गया है. सीरिया में नई सरकार ने रूस से असद की वापसी की मांग की है. हालांकि रूस ने असद को सौंपने से इनकार कर दिया है.

असद का पॉलिटिकल करियर

सीरिया में असद परिवार की सत्ता की शुरुआत 1971 में हाफेज अल-असद ने की थी. उन्होंने सैन्य तख्तापलट करके देश पर कब्जा किया और सख्त औशासन चलाया. हाफेज ने खुद को बेहद शक्तिशाली बनाया और भ्रष्टाचार बढ़ा. 2000 में हाफेज की मौत के बाद उनके बेटे बशर राष्ट्रपति बने. बशर पेशे से डॉक्टर थे.

2011 में जब लोगों ने विरोध शुरू किया, तो बशर ने उसे हिंसक तरीके से दबाने की कोशिश की, जिससे सीरियाई गृहयुद्ध शुरू हो गया. ईरान और रूस ने विद्रोह को कुचलने में बशर की मदद की, जिससे वे युद्ध में बढ़त बनाने लगे. असद ने विद्रोहियों से बात नहीं की. वह उन्हें खत्म करना चाहते था. लेकिन 27 नवंबर को विद्रोहियों ने अचानक हमला किया और दमिश्क पर कब्जा कर लिया. असद की सेना हार गई और उन्होंने सीरिया छोड़कर रूस में पनाह ली.

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