रावण दहन से ठीक पहले मेरठ में झमाझम बारिश:रामलीला कमेटियों की बढ़ी टेंशन, आयोजक बोले- भगवान राम के हवाले की पूरी व्यवस्था
रावण दहन को चंद घंटे शेष है और बारिश ने दस्तक दे दी है। मेरठ में झमाझम बारिश शुरू हो गई है जिसने रामलीला कमेटियों की टेंशन बढ़ा दी है। हालांकि यह भी दावा किया जा रहा है कि पुतले खड़े होने के बाद नुकसान की संभावना बहुत कम रह जाती है। फिलहाल सभी बारिश बंद होने की कामना कर रहे हैं। अब एक नजर शहर की रामलीलाओं पर जिले में लगभग 32 स्थान पर रावण दहन और मेले का आयोजन हो रहा है। 2 दिन पहले अचानक मौसम में बदलाव ने रामलीला कमेटियों की चिंता बढ़ा दी थी, जिस कारण तैयारी को रफ्तार देने में समय लग गया। मौसम विभाग की ओर से मौसम खराब होने की संभावना जताई गई थी। दोपहर 12 बजे तक सब कुछ ठीक रहा लेकिन फिर अचानक मौसम बदलना शुरू हो गया। शाम ठीक 4:30 बजे शुरू हुई बारिश दोपहर में मौसम बदलने लगा लेकिन रामलीला कमेटियों ने अपनी तैयारी को नहीं रोका। उनका केवल यही मानना था कि एक बार तीनों पुतले खड़े हो जाएंगे तो फिर बारिश भी दिक्कत नहीं करेगी। इसलिए तेजी से पुतलों को खड़ा करने का काम शुरू हुआ। सूरजकुंड पार्क में भी हर वर्ष रावण कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले जलते हैं। इसलिए यहां भी तैयारी चल रही थी। करीब 4:30 बजे अचानक मौसम बदला और बारिश शुरू हो गई। खाली होते चले गए रामलीला मैदान मेरठ शहर की बात करें तो दिल्ली रोड रामलीला ग्राउंड के अलावा छावनी स्थित भैसाली रामलीला ग्राउंड, राजबान, कैसेरुखेड़ा और सूरजकुंड समेत लगभग दर्जन भर स्थान पर बड़े आयोजन होते हैं। जैसे ही बारिश शुरू हुई, बादल भी गड़गड़ाने लगे। कुछ ही देर में दशकों से भरे मैदान खाली हो गए। कुछ लोगों के चेहरे पर मायूसी भी दिखाई दी। एक घंटे की बारिश में भी नहीं होगा नुकसान सूरजकुंड पर रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले बनाने वाले मेहताब का कहना है कि उनके द्वारा बनाए गए हर पुतले में प्लास्टिक लगाई गई है। इसलिए एक घंटे की बारिश में भी इन पुतलों को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा। सबसे ज्यादा दिक्कत तब होती है जब पुतले जमीन पर पड़े होते हैं। अगर वह गीले हो जाए तो उनको खड़ा कर पाना संभव नहीं होता। यहां तीनों पुतले खड़े हो चुके हैं और उनको फाइनल टच दिया जा रहा है।
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