‘पंडित छन्नूलाल ने हरिहरपुर गांव को दिलाई थी पहचान’:भतीजा बोला-पद्म सम्मान मिलने पर खुशी से झूम उठे थे, आज अकेला महसूस कर रहे

आजमगढ़ के हरिहरपुर घराने के रहने वाले पद्म विभूषण पंडित छन्नूलाल मिश्रा का गुरुवार को निधन हो गया। पंडित छन्नूलाल मिश्र आजमगढ़ के हरिहरपुर गांव के रहने वाले थे। और विगत 30 वर्षों से वह काशी में रह रहे थे। इन 30 वर्षों में भले ही वह काशी में रहते थे पर गांव का रिश्ता आज भी कायम रहा। यही कारण है कि प्रतिवर्ष दो बार अपने पुश्तैनी घर पर आते थे। और पूजा पाठ करके चले जाते थे। आज जब उनकी मौत हो गई है। तो पूरे गांव में सन्नाटा पसरा हुआ है। गांव के बड़ी संख्या में लोग वाराणसी जा चुके हैं। गांव का हर व्यक्ति दुखी है। ऐसे में दैनिक भास्कर ने गांव के लोगों और करीबी परिजनों से बातचीत की। इस बातचीत में परिजनों और करीबियों का दर्द छलक पड़ा। आईए जानते हैं परिजनों और करीबियों ने क्या कहा। भतीजा बोला- अपने को अधूरा महसूस कर रहे हैं हम लोग दैनिक भास्कर से बातचीत करते हुए हरिहरपुर गांव के रहने वाले शीतला प्रसाद मिश्र जो कि रिश्ते में पंडित छन्नूलाल मिश्रा के भतीजे लगते। उनका कहना है कि चाचा की मौत के बाद हम सभी लोग स्तब्ध हैं। पंडित छन्नूलाल मिश्र मजबूत स्तंभ थे विगत 30 वर्षों से भले ही वह काशी में रह रहे थे। पर वर्ष में चार बार गांव में अपने पुश्तैनी मकान में पूजा पाठ करने आते थे। दूर रहने के बाद भी अपने गांव और गांव वालों को नहीं भूले। इसी गांव में पाल बड़े और यहीं से आगे बढ़े। जब पद्म विभूषण और पद्म भूषण सम्मान मिला तो पूरा गांव प्रदेश अपने आप को गौरवान्वित महसूस करने लगा। आज जब उनकी मौत हो गई है। तो पूरा संगीत जगत शोक में डूब गया है और हम सभी लोग अपने को अधूरा महसूस कर रहे हैं। भांजा बोला- आज भी कायम है गांव से रिश्ता दैनिक भास्कर से बातचीत करते हुए पंडित छन्नूलाल मिश्रा के भांजे सतीश मिश्रा ने बताया कि मां 30 वर्ष से भले ही वाराणसी में रहते थे पर गांव का रिश्ता आज भी कायम था। यही कारण है कि आज जब उनकी मौत हो गई तो गांव के बड़ी संख्या में लोग अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए वाराणसी जा चुके हैं। पंडित छन्नूलाल मिश्रा के निधन से जो क्षति संगीत को है उसकी भरपाई करना मुश्किल है। नाती बोला- उनके जाने पर बहुत दुख है वही दैनिक भास्कर से बातचीत करते हुए पंडित छन्नू लाल मिश्रा के नाती शिवम मिश्रा का कहना है कि बाबा के जाने का बहुत दुख है। बाबा ने हरिहरपुर घराने को पहचान दिलाई यही कारण है 2022 में प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हरिहरपुर में संगीत महाविद्यालय की सौगात दी है। और लगभग बनकर तैयार भी हो गया है। ऐसे में निश्चित रूप से बाबा की कमी हम लोगों को महसूस होती रहेगी।पंडित छन्नूलाल मिश्र का ‘खेले मसाने में होली…’ गीत आज भी हर किसी की जुबां पर है। पंडित छन्नूलाल मिश्र की चार बेटियां और एक बेटा है और एक बेटी का 4 साल पहले निधन हो चुका है। आजमगढ़ से निकलकर काशी को बनाया कर्मभूमि आजमगढ़ के हरिहरपुर के रहने वाले पंडित छन्नूलाल मिश्र ने धर्म नगरी काशी को अपनी कर्मभूमि बनाया। काशी में रहकर शास्त्रीय संगीत में महारथ हासिल की। साल 2000 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 2010 में पद्मभूषण सम्मान से सम्मानित किया गया। 2014 में वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रस्तावक बने। 2021 में उन्हें पद्मविभूषण सम्मान से नवाजा गया। इसके बाद हरिहरपुर घराने में सम्मान का जश्न भी मनाया गया था।

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