क्या राष्ट्रगान 52 सेकंड में ही पूरा करना जरूरी, श्रेया घोषाल के गाने पर क्यों छिड़ी बहस?

क्या राष्ट्रगान 52 सेकंड में ही पूरा करना जरूरी, श्रेया घोषाल के गाने पर क्यों छिड़ी बहस?

सोशल मीडिया पर राष्ट्रगान बहस का विषय बन गया है. इस विवाद की शुरुआत हुई है सिंगर श्रेया घोषाल के उस वीडियो से जिसमें वो राष्ट्रगान जन, गण, मन… गाते हुए नजर आ रही हैं. वीडियो को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर वीरू यादव नाम के वेरिफाइड आकउंट ने शेयर करते हुए लिखा, भारत का राष्ट्रगान रवींद्रनाथ टैगोर ने लिखा. पहली बार उनकी भतीजी सरला देवी चौधरानी ने गाया. 1911 में उस के बाद बहुत लोगों ने अपनी आवाज दी, लेकिन आज श्रेया घोषाल को राष्ट्रगान गाते हुए सुना तो ऐसा लगा राष्ट्रगान को नया जन्म दे दिया. बहुत खूबसूरत आवाज है.

श्रेया घोषाल ने वीडियो में राष्ट्रगान को 1 मिनट 7 सेकंड में खत्म किया है. इस पर X यूजर भाविका कपूर ने आपत्ति जताई है. उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा, भारत के राष्ट्रगान के लिए एक सख्त प्रोटोकॉल लागू है. पूरा संस्करण 52 सेकंड के अंदर समाप्त होना चाहिए. गायन क्षमता दिखाने के लिए इसे धीमा करने का कोई भी प्रयास अनुचित और निर्धारित दिशा-निर्देशों के विरुद्ध है. धीमा करना और तेज़ करना, दोनों ही प्रोटोकॉल का उल्लंघन माना जाता है और इसे अनादर माना जा सकता है.

पोस्ट में लिखा कि कुछ अवसरों, जैसे खेल आयोजनों में, लगभग 20 सेकंड के छोटे संस्करण की अनुमति है. हालांकि, राष्ट्रगान की गति में बदलाव की सख्त मनाही है. यह मामला गृह मंत्री के ध्यान में लाया जाना चाहिए.अब सवाल है कि राष्ट्रगान को लेकर क्या नियम है, क्या है 20 सेकंड और 52 सेकंड को लेकर गाइडलाइन, कहां पर कौन सा वर्जन गाया जा सकता है.

इस वीडियो पर छिड़ी बहस

कितने सेकंड में खत्म होना चाहिए राष्ट्रगान?

गृह मंत्रालय की तरफ से राष्ट्रगान को लेकर गाइडलाइन तय की गई है. नियम कहता है, इसके दो वर्जन हैं. पहला 52 सेकंड वाला वर्जन. यह राष्ट्रगान का पूर्ण रूप है और इसे गाने अथवा बजाने में लगभग 52 सेकंड का समय लगना चाहिए. हालांकि, यह समय बढ़ सकता है या नहीं, या फिर किसी को ज्यादा समय लगने पर दंडित किया जाएगा या नहीं, गाइडलाइन में इसको लेकर कोई जिक्र नहीं किया गया है. वहीं, दूसरा शॉर्ट वर्जन है जिसे 20 सेकंड में खत्म किया जाता है.

52 सेकंड वाला वर्जन ऐसा है.

जन-गण-मन अधिनायक जय हे,

भारत भाग्य विधाता,

पंजाब-सिन्धु-गुजरात-मराठा,

द्राविड़ उत्कल-बंग,

विंध्य हिमाचल यमुना गंगा,

उच्छल जलधि तरंग,

तब शुभ नामे जागे,

तब शुभ आशिष मांगे,

गाहे तब जय गाथा,

जन-गण-मंगलदायक जय हे,

भारत भाग्य विधाता,

जय है, जय है, जय है,

जय जय जय जय हे.

यह वर्जन कुछ खास मौकों पर गाया जाता है. जैसे. सिविल और सैनिक सम्मान समारोहों के अवसर पर, सलामी शस्त्र के दौरान, परेड के समय, औपचारिक राजकीय समारोहों या सरकार द्वारा आयोजित अन्य समारोहों और मेस समारोहों में राष्ट्रपति के आने पर. इसके अलावा आकाशवाणी से राष्ट्र के नाम राष्ट्रपति के संदेश प्रसारित किए जाने से ठीक पहले और बाद में, राज्यपाल/उपराज्यपाल के अपने राज्य/संघ शासित क्षेत्र में औपचारिक राजकीय समारोहों में आने पर, जब राष्ट्रीय झंडे को परेड में लाया जाए और नौसेना में ध्वजारोहण के समय इसे गाया जा सकता है.

क्या कहती है गाइडलाइन?

गाइडलाइन कहती है, जब कभी राष्ट्रगान को गाया या बजाया जाए तब श्रोतागण सावधान होकर खड़े रहें, लेकिन जब समाचार या फिल्म देखने के दौरान राष्ट्रगान फिल्म के अंश के रूप में बजाया जाता है तो दर्शकों से खड़े होने की अपेक्षा नहीं की जाती क्योंकि खड़े होने से राष्ट्रगान के गौरव में वृद्धि होने की अपेक्षा फिल्म के प्रदर्शन में बाधा पड़ती है और अशांति पैदा होती है. राष्ट्रीय ध्वज के फहराए जाने की तरह यह भी लोगों के विवेक पर छोड़ दिया गया है कि वे राष्ट्रगान को मनमाने ढंग से न गाएं बजाएं.

कब गाया जाता है 20 सेकंड वाला वर्जन?

कुछ खास मौकों पर राष्ट्रगान की पहली और अंतिम पंक्तियों को गाया जाता है. राष्ट्रगान का संक्षिप्त पाठ मेस में किसी के सम्मान में पेय पान करते समय बजाया जाएगा.

ऐसा है शॉर्ट वर्जन

जन-गण-मन अधिनायक जय हे

भारत-भाग्य विधाता.

जय है, जय है, जय है,

जय जय जय जय हे.

इस संक्षिप्त संस्करण को गाने या बजाने में लगभग 20 सेकंड का समय लगना चाहिए.

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