‘आज दबाव के चक्कर में युवा कर रहे सुसाइड’:प्रयागराज के मोटिवेशनल स्पीकर धीरज मिश्रा युवाओं आत्महत्या से रोकने का कर रहे प्रयास
पिछले कुछ वर्षाें में युवाओं द्वारा सुसाइड किए जाने के मामले तेजी से बढ़े हैं। यदि समय रहते युवाओं को मोटिवेट कर दिया जाए तो शायद ऐसे युवाओं की जान बचाई जा सकती है। यह कहना है प्रयागराज के मोटिवेशन स्पीकर धीरज मिश्रा का। धीरज, पिछले करीब 15 वर्षों से इस पहल को आगे बढ़ा रहे हैं। जगह जगह युवाओं के बीच में जाते हैं और उन्हें मोटिवेट करते हैं। युवा विभिन्न प्रकार के दबावों के चक्कर में आज सुसाइड कर रहा है। दैनिक भास्कर ने इस संबंध में धीरज मिश्रा से विशेष बातचीत की। उन्होंने कहा, यदि आंकड़ों की बात की जाए तो मौजूदा समय में युवा सुसाइड करने के मामले में सबसे आगे हैं। इसे रोकने के लिए घर से पहल होनी चाहिए। उन्हें भी बच्चों की मनोदशा को समझा होगा। बच्चों पर अनावश्यक दबाव डालने से बचें पैरेंट्स मोटिवेशनज स्पीकर धीरज मिश्रा पैरेंट्स को भी आगाह करते हैं। वह कहते हैं अपने बच्चों पर अनावश्यक रूप से दबाव न दें। बच्चों की भी बात सुनी जाए तो बेहतर हो। अमूमन देखा जाता है कि बच्चे अपने मां बाप से खुलकर बात करने में हिचकते हैं, ऐसा बिल्कुल नहीं होना चाहिए। वह कहते हैं, “आज का समय बहुत तेजी से बदल रहा है। हम सब प्रगति की ओर तो बढ़ रहे हैं, लेकिन कहीं न कहीं मानवीय संवेदनाएं पीछे छूटती जा रही है। यही कारण है कि आज बचपन का स्वरूप बदल रहा है और यह बदलाव मानवता निर्माण के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है। आज का दौर जिस स्थिति में है वो एक मानव जनित आपदा से कम नहीं है क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति सिर्फ और सिर्फ अपने बारे में सोच रहा है।” बच्चों को पर्याप्त समय दें माता-पिता धीरज मिश्रा कहते हैं, बच्चों को स्वस्थ वातावरण तभी संभव है जब बच्चों को पर्याप्त समय, संवाद और प्यार मिले। माता-पिता सोचते तो बहुत हैं पर अपने अनुसार और दूसरों से तुलना के आधार पर। जबकि उनकी सोच बच्चों की क्षमता और परिस्थिति के अनुसार होना चाहिए। वे बच्चों के लिए पैसा, सुविधाएं और अच्छे स्कूल तो दे रहे हैं लेकिन बच्चा जो सबसे ज़्यादा चाहता है वो नहीं दे रहे हैं.. सुनने वाला कान और अपनापन भरा स्पर्श। मोबाइल की लत से समाज से दूर हो रहा बच्चा धीरज मिश्रा ने कहा, बच्चे आज समाज से दूर हो गए हैं क्योंकि उनके हाथ में मोबाइल है। खेल के मैदान में दोस्त नहीं, कहानी सुनाने के लिए दादा-दादी और नाना-नानी नहीं हैं, सुरक्षा के लिए पड़ोसी नहीं हैं। इसके पीछे से सबसे बड़ा कारण एकल परिवार है। नौकरी करने वाले मां बाप सुबह आफिस चले गए तो पता चला कि बच्चा एक नौकर की देखरेख में अकेले घर पर है। इसके लिए मां बाप को अपने बच्चों को समय देना है।
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