स्टेट बैंक ऑफ इंडिया पर एक लाख रुपए हर्जाना:हाईकोर्ट ने कहा-अनुकंपा नियुक्ति के आवेदन को 5 साल लटकाए रखा था
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अनुकंपा नियुक्ति का आवेदन पांच साल तक लटकाए रखने पर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया पर एक लाख रुपए हर्जाना लगाया है। हालांकि कोर्ट ने नियुक्ति की मांग में दाखिल याचिका विलंब के आधार पर खारिज़ कर दी है। यह आदेश न्यायमूर्ति अजय भनोट ने बांदा के प्रिंसू सिंह की याचिका पर दिया है। याची के पिता बैंक कर्मचारी थे। 2019 में सेवा काल में उनकी मृत्यु हो गई। याची कि मां ने अनुकम्पा नियुक्ति के लिए बैंक को प्रत्यावेदन दिया। बार-बार प्रत्यावेदन देने के बावजूद बैंक ने कोई निर्णय नहीं लिया, जिसके बाद यह याचिका दाखिल की गई। याची का कहना था कि 16 मार्च 2021 को लागू संशोधित योजना जिसमें आवेदन के लिए छह महीने की समय सीमा दी गई थी, उस पर लागू नहीं होती क्योंकि उसने पहला आवेदन पिता की मृत्यु के छह महीने के भीतर ही दिया था। हाईकोर्ट ने कहा कि अनुकंपा नियुक्ति के मामलों में अनुचित सहानुभूति या अति उदार दृष्टिकोण की अनुमति नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने कहा कि नियुक्ति के लिए आवेदन दाखिल करने में देरी या न्यायालय के समक्ष याचिका करने में विलंब से यह अनुमान लगाया जाता है कि परिवार के सामने मौजूद तत्काल वित्तीय संकट समाप्त हो गया है। कोर्ट कहा कि याची अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद कई वर्षों तक पारिवारिक मुकदमेबाजी में व्यस्त रहा और न्यायालय आने में उसने जानबूझकर देरी की, न कि किसी विकट परिस्थिति के कारण। याची अपने अधिकारों के प्रति जागरूक था और उसके पास न्यायालय आने के लिए पर्याप्त संसाधन थे। कोर्ट ने कहा कि याची की लापरवाही क्षमा योग्य नहीं है। इस आधार पर कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने याची के आवेदन पर जल्द निर्णय न लेने के लिए भारतीय स्टेट बैंक पर एक लाख रुपए हर्जाना लगाया है।
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