परीक्षा नियंत्रक की नियुक्ति अवैध, CM से शिकायत:शिक्षा सेवा चयन आयोग के परीक्षा नियंत्रक को हटाने की मांग कर रहे प्रतियोगी छात्र

उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग की अध्यक्ष प्रोफेसर कीर्ति पांडे की इस्तीफ़े के बाद अब परीक्षा नियंत्रक पर भी गाज गिर सकती है। परीक्षा नियंत्रण के की नियुक्ति पर सवाल उठ रहे हैं।प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति ने शिक्षा सेवा चयन आयोग के परीक्षा नियंत्रक की नियुक्ती को अवैध बताते हुए हटाने की मांग की है।प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के मीडिया प्रभारी प्रशान्त पाण्डेय ने मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर परीक्षा नियंत्रक के पद पर बने रहने पर सवाल खड़ा करते हुए उन्हें कार्यमुक्त कर उन्हें हटाने की मांग की है। साथ ही उनके मूल विभाग में भेजने की मांग की बात की जा रही है। जानिये, कैसे अवैध हुई देवेंद्र प्रताप सिंह नियुक्ति प्रशान्त पाण्डेय ने कहा,”उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग के परीक्षा नियंत्रक नियम विरुद्ध अपने पद पर बने हैं ऐसे में अयोग की छवि के साथ साथ सरकार की भी छवि धूमिल हो रही है।देवेंद्र प्रताप सिंह को 1997 को जिला सेवा योजन अधिकारी के पद पर नियुक्त किया गया था। उन्हें 2 सितंबर 2019 को उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय, प्रयागराज का परीक्षा नियंत्रक नियुक्त किया गया था। यह 5 साल की अवधि जो 2024 में समाप्त होनी थी। इस पद के लिए ग्रेड पे 7600 निर्धारित था, उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग में प्रति नियुक्ति 23 सितंबर 2024 को हुई 3 वर्ष के लिए, या विश्वविद्यालय परीक्षा नियंत्रक के रूप में उनकी निर्धारित सेवा अवधि तक ,जो पहले पूर्ण होगा उस सेतक के लिए प्रति नियुक्ति किया गया था,इनको राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय से 3 अक्टूबर 2024 को सेवा समाप्त करते हुए कार्यमुक्त कर दिया गया। मुक्त विश्वविद्यालय ने 6 मार्च 2024 के अपने पत्र में इनके कार्यकाल को नवीनीकृत करने का अनुरोध किया था , जिसके संबंध में 5 फरवरी 2025 के एक पत्र द्वारा उनकी नियुक्ति को पदभार ग्रहण करने की तिथि से 5 साल के लिए पूर्व व्यापी रूप से नवीनीकृत किया गया था, लेकिन मुक्त विश्वविद्यालय के कुल सचिव ने 20 फरवरी 2025 को शासन को सूचित किया कि देवेंद्र प्रताप सिंह को 3 अक्टूबर 2024 को कार्य मुक्त किया जा चुका है, इसलिए 5 फरवरी 2025 को उनका नवीनीकरण विरोधाभासी है। शासन ने रद्द कर दिया था इनका नवीनीकरण मुक्त विश्वविद्यालय के पत्र के बाद कि स्थिति को देखते हुए उत्तर प्रदेश शासन ने इनके नवीनीकरण के आदेश को 27 मई 2025 को रद्द कर दिया जिससे विश्वविद्यालय में देवेंद्र प्रताप की निर्धारित सेवा अवधि समाप्त हो गई। अब राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय में देवेंद्र प्रताप सिंह की सेवा अवधि समाप्त हो चुकी है इसलिए उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग में परीक्षा नियंत्रक के पद पर उनके प्रति नियुक्ति स्वतः समाप्त हो जाती है। इस प्रकार उन्हें आयोग का परीक्षा नियंत्रक बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। मांग की गई है कि नियम विरुद्ध शिक्षा सेवा चयन आयोग के परीक्षा नियंत्रक बने देवेन्द्र प्रताप सिंह को उनके पद से हटा कर उनके मूल विभाग में भेजा जाए।

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