पंजाबी सिंगर का गांव सदमे में:अखंड पाठ कराया जा रहा, लोग मोहाली में डटे; स्टेज पर पिता के निधन की सूचना पर भी गाते रहे जवंदा

पंजाबी सिंगर राजवीर जवंदा की नाजुक हालत से उनका लुधियाना स्थित पैतृक गांव पौना के लोग सदमे में हैं। 27 सितंबर को जैसे ही जवंदा के बारे में पता चला तो घर-घर अरदास शुरू हो गई। लोग गुरुद्वारा साहिब पहुंच गए। इसके बाद अब जवंदा की सलामती के लिए लोगों ने सिधवां कलां में छठवें गुरु हरगोबिंद राय जी के चरण छू गुरुद्वारा साहिब में अखंड पाठ रखवाया है। दैनिक भास्कर एप की टीम गांव पौना पहुंची तो जवंदा का पैतृक घर बंद मिला। गांव के ज्यादातर लोग मोहाली में ही डटे हुए हैं, जहां के फोर्टिस अस्पताल में जवंदा 3 दिन से एडवांस लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं। जवंदा के कॉन्स्टेबल से सिंगर बनने और स्टेज पर पिता की मौत की सूचना जैसे कई अनसुनी घटनाओं से जुड़ी ये ग्राउंड रिपोर्ट पढ़िए… दूरदर्शन टीम से पहली तारीफ मिली
गांव पौना में गुरुद्वारा साहिब के ग्रंथी गुरमीत सिंह मिले। गुरमीत बताते हैं- जब राजवीर छोटा था तो उनकी मां परमजीत कौर गांव की सरपंच हुआ करती थीं। तब दूरदर्शन की टीम मेरा पिंड–मेरा खेत की शूटिंग करने गांव में आई। उसकी कुछ शूटिंग राजवीर के घर भी हुई। तब दूरदर्शन की टीम के सामने राजवीर ने 2 लाइनें गाईं तो टीम के सदस्यों ने उसे शाबाशी दी और कहा कि तेरी आवाज अच्छी है। वहीं से उसका सिंगिंग की तरफ झुकाव हुआ। उसने रियाज शुरू कर दिया। पंजाबी यूनिवर्सिटी से MA किया
राजवीर ने जगराओं के सन्मति विमल जैन स्कूल से स्कूली पढ़ाई की। फिर जगराओं के DAV कॉलेज से ग्रेजुएशन किया। इसके बाद पढ़ाई के लिए पटियाला गए। जहां पंजाबी यूनिवर्सिटी से थिएटर एवं टेलीविजन में MA की डिग्री हासिल की। पिता पुलिस में थे, खुद भी कॉन्स्टेबल भर्ती हुए
राजवीर के पिता कर्म सिंह पंजाब पुलिस में असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर थे। इसलिए राजवीर का झुकाव भी पंजाब पुलिस की तरफ हुआ। राजवीर 2011 में पंजाब पुलिस में कॉन्स्टेबल के तौर पर भर्ती हुए। उन्होंने जगराओं में ड्यूटी भी की। मगर, सिंगिंग का शौक भी बरकरार रहा। करीब 8 साल बाद 2019 में जब राजवीर को लगा कि अब सिंगिंग में करियर की लाइन क्लियर है तो उन्होंने पुलिस की नौकरी छोड़ दी। स्टेज पर मिली थी पिता की मौत की सूचना, फिर भी गाते रहे
साल 2020-21 में जब दिल्ली बॉर्डर पर किसान आंदोलन हुआ तो राजवीर भी किसानों के समर्थन में पहुंचे। यहां राजवीर आंदोलन में बैठे किसानों के लिए स्टेज पर मुफ्त गाने गाते थे। एक दिन जब वे गाना गा रहे थे तो उनके पिता की मौत हो गई। उसी वक्त उन्हें सूचना दी गई लेकिन राजवीर कार्यक्रम खत्म होने तक स्टेज पर गाना गाते रहे। परफॉर्मेंस खत्म होने के बाद राजवीर ने सबको पिता के निधन की बात बताई और तेजी से पिता के अंतिम संस्कार के लिए गांव निकल गए। गांव के बच्चों के लिए मिठाइयां लाते
ग्रंथी गुरमीत सिंह बताते हैं कि राजवीर जवंदा या उसके परिवार का कोई भी सदस्य गांव आता तो गुरुद्वारा साहिब में अरदास करने जरूर आते हैं। राजवीर अक्सर दिन के समय गुरुद्वारा साहिब में आते हैं और मिठाइयां व अन्य खाने की चीजें लेकर आते। अरदास करने के बाद वो कहते थे इसे बच्चों को बांट देना। उनका बच्चों से विशेष लगाव है। बाबा रोडू से मन्नत मांगी, जवंदा ठीक हुए तो शराब की बोतल चढ़ाएंगे
गांव के जसबीर सिंह ने कहा- मेरी नानी का जवंदा के घर बहुत आना-जाना है। उन्हें जब पता चला तो उसकी नानी भी जवंदा की मां से मिलकर आई है। जवंदा ने हमेशा जरूरतमंदों का साथ दिया है। उनके परिवार ने बाबा रोडू शाह के दरबार में मन्नत मांगी है कि बाबा जी जवंदा को ठीक करदे तो वह दरबार में शराब की बोतल चढ़ाएंगे। हादसे को लेकर सरपंच ने 4 अहम बातें बताईं राजवीर जवंदा की सिंगिंग जर्नी के बारे में जानिए…

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