ज्ञानवापी मूलवाद से वादमित्र हटाने की अर्जी पर सुनवाई टली:33 साल पुराने केस में रिवीजन पर आपत्ति, 6 अक्टूबर को फैसला संभावित
वाराणसी के जिला एवं सत्र न्यायालय के सिविल जज कोर्ट में ज्ञानवापी मूलवाद की सुनवाई आज टल गई। केस में वादमित्र को हटाने और नए पक्षकार को लेकर कोर्ट में दोनों पक्ष पेश होने थे लेकिन सुनवाई नहीं हो सकी। लॉर्ड विश्वेश्वर के केस के पक्षकार और प्रतिवादी अपनी दलीलें दे चुके हैं, जिस पर अगली तारीख 6 अक्टूबर को सुनवाई होगी। उधर, पिछली तिथि पर बेटियों की ओर से अधिवक्ता आशीष श्रीवास्तव ने बहस की थी। जिसमें दलील दी थी कि प्रार्थना पत्र पर अभी आपत्ति आनी थी। कोई एक सुनवाई में उक्त अर्जी को निरस्त कर दिया गया। जो विधि के अनुरूप नहीं थीं। वाद मित्र एक निजी ट्रस्ट के पदाधिकारी हैं और काशी विश्वनाथ मंदिर से निजी ट्रस्ट का कोई लेना-देना नहीं है। आज फिर इस पर बहस होगी इस मामले में मुकदमे के वादी रहे हरिहर पांडेय के निधन के बाद उनकी बेटियों मणिकुंतला तिवारी, नीलिमा मिश्रा और रेनू पांडेय की ओर से पक्षकार बनाए जाने की रिवीजन याचिका भी सुनी जाएगी। उधर, इस वाद में अनुष्का तिवारी की ओर से भी दाखिल प्रार्थना पत्र सुनवाई करते हुए कोर्ट उसे आगे बढ़ाएगा। अदालत में ज्ञानवापी के पुराने मामले के वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी को हटाने संबंधित रिवीजन अर्जी पर सुनवाई अब 6 अक्टूबर को होगी। एक अन्य आवेदन ट्रांसफर करने के लिए दाखिल पुनः विचार अर्जी पर भी सुनवाई होगी। दोनों अर्जी पर संबंधित रिवीजन अर्जी पर वाद मित्र ने आपत्ति दाखिल की है। अधिवक्ता अनुष्का तिवारी ने स्थानांतरण आवेदन वर्तमान पुनर्विचार याचिका (रिव्यू) दायर की है, वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी द्वारा लगातार स्थानांतरण का विरोध किया। जिला जज ने स्थानांतरण संबंधित आवेदन खारिज कर दिया था। आदेश पारित होने के बाद कई नए और महत्वपूर्ण तथ्य और दस्तावेज सामने आए हैं। जिनमें विभिन्न तीर्थस्थलों के महंतों और पुजारियों सहित कई हिंदू भक्तों द्वारा दायर हलफनामे शामिल हैं। ये एक जनप्रतिनिधि वाद है, जिसे स्वर्गीय पंडित सोमनाथ व्यास, प्रो. रामरंग शर्मा और हरिहर पांडेय द्वारा दाखिल किया गया था। यह सिविल जज सीनियर डिवीजन (एफटीसी) न्यायालय में लंबित है। क्योंकि यह मामला प्रमुख है और इसमें जनता की भगवान विश्वेश्वर (विश्वनाथ) के प्रति भावना का प्रतिबिंबित किया गया है। तीन बहनों की ओर से दाखिल प्रार्थना पत्र पर अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद के वकील रईस अहमद व एखलाक अहमद ने उनके पक्षकार बनाए जाने पर आपत्ति की थी। उनके अनुसार वादमित्र पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है, इससे पहले भी पक्षकार बनाने के आवेदन के पांच प्रार्थना पत्र खारिज किए जा चुके हैं। हरिहर पांडेय की पुत्रियों का प्रार्थना पत्र अदालत ने 11 जुलाई को निरस्त कर दिया था।
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