सुप्रीम कोर्ट बोला-अदालतें पीड़ितों की तकलीफ को अनदेखा न करें:पटना हाईकोर्ट ने शिकायतकर्ता को सुना ही नहीं, जल्दबाजी में अग्रिम जमानत दे दी

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा करना जरूरी है, लेकिन अदालतें पीड़ितों की तकलीफ को नजरअंदाज नहीं कर सकतीं। सुप्रीम कोर्ट ने ये टिप्पणी पटना हाईकोर्ट के मार्च 2024 के उस आदेश को रद्द करते हुए की, जिसमें हत्या के दो आरोपियों को अग्रिम जमानत दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने कहा कि हाईकोर्ट ने यह फैसला बहुत जल्दबाजी में किया और शिकायत करने वाले व्यक्ति को सुने बिना ही जमानत दे दी। कोर्ट ने इसे सही नहीं माना। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि आरोपी चार हफ्ते के भीतर सरेंडर करें और उसके बाद चाहें तो नियमित जमानत के लिए अर्जी लगा सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने माना कि इस मामले में हाईकोर्ट ने हत्या जैसे गंभीर अपराध को हल्के में लिया और बिना ठीक से वजह बताए जमानत दे दी। अदालत ने कहा कि यह जमानत बिल्कुल भी सही नहीं थी, क्योंकि पीड़ित की पत्नी की हत्या दिनदहाड़े हुई थी। कोर्ट ने कहा- व्यक्तिगत आजादी की सुरक्षा जरूरी है, लेकिन अदालतों को यह भी देखना होगा कि पीड़ित को न्याय और सुरक्षा मिले। दोनों के बीच संतुलन बनाना जरूरी है।

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