केरल-हाईकोर्ट जांच के बाद मिला सबरीमाला का 4 किलो सोना:चोरी की शिकायत करने वाले की बहन के घर में ही था; मंदिर को सौंपी

केरल के सबरीमाला मंदिर के द्वारपालकों की मूर्ति से चोरी हुई सोने की प्लेटों(पीडम) को त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड ने शिकायतकर्ता की ही बहन के घर से बरामद किया है। विजिलेंस टीम के अधिकारी ने इसकी जानकारी रविवार को दी। टीडीबी विजिलेंस और सुरक्षा के पुलिस अधीक्षक सुनील कुमार वी के नेतृत्व में एक टीम ने शनिवार को तिरुवनंतपुरम के वेंजरामूडु इलाके में स्पॉन्सर उन्नीकृष्णन पोट्टी की बहन के घर से पीडम बरामद किया। उन्नीकृष्णन पोट्टी बेंगलुरु के रहने वाले हैं। उन्होंने 2019 में मंदिर के द्वारपालक मूर्तियों की प्लेटों पर सोने की परत चढ़ाने का ऑफर दिया था। 2020 में कोविड के दौरान काम हुआ पूरा सोने की परत चढ़ाने का काम 2020 में पूरा हुआ और मूर्ति के नीचे रखा जाने वाला पीडम कोविड-19 महामारी के कारण नियमों के चलते भक्तों के माध्यम से टीडीबी अधिकारियों को सौंपा गया था। लेकिन बाद में पोट्टी ने आरोप लगाया कि पीडम मंदिर में मौजूद नहीं है। इसके बाद हाइकोर्ट के निर्देश पर जांच शुरू हुई। टीम ने अरनमुला के टीडीबी स्ट्रांग रूम की तलाशी ली, लेकिन पीडम नहीं मिला। पीडम पोट्टी के एक वर्कर के पास रखा गया था। मीडिया रिपोर्ट्स के बाद वर्कर ने पोट्टी को बताया कि पीडम उसके पास था और फिर उसे स्पॉन्सर की ही बहन को दे दिया था। विजिलेंस एसपी सुनील कुमार ने न्यूज एजेंसी पीटीआई से कहा- हमने पीडम बरामद कर लिया है और इसे सबरीमाला पहुंचा दिया है। क्या होता है पीडम… पीडम (या पीठम) दक्षिण भारत में उस बेस को कहते हैं जिसपर किसी देवता या देवी की मूर्ति रखी होती है। ये किसी भी धातु की हो सकती है या इसपर सोने की परत चढ़ाई जाती है। सोमवार को हाईकोर्ट ने लगाई फटकार 17 सितंबर को केरल हाईकोर्ट ने इस मामले में स्वतः संज्ञान लिया था। सोमवार को प्लेट मिलने के बाद रिपोर्ट हाईकोर्ट को सौंपी गई। मामले में जस्टिस राजा विजयराघवन वी और जस्टिस के वी जयकुमार की डिवीजन बेंच ने सुनवाई की। कोर्ट ने त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड की कड़ी आलोचना की है। अदालत ने कहा है कि बोर्ड ने मंदिर की कीमती सामान का सही रजिस्टर नहीं रखा, जिससे गड़बड़ियां छिपाने में मदद मिली। अदालत ने देखा कि भक्तों द्वारा दिए गए आभूषण और सिक्कों का रिकॉर्ड रजिस्टर में रखा जाता है, जिसमें डिस्क्रिप्शन, तारीख, प्राप्ति और क्वालिटी लिखी जाती है। लेकिन कोडीमारम, द्वारपालक मूर्तियां, पीडम जैसी अन्य चीजों का कोई रिकॉर्ड नहीं है। अदालत ने नोट किया कि इन सामानों को किसी को देने की भी कोई एंट्री नहीं है। द्वारपालक मूर्तियों को दोबारा लगाते समय उनका वजन भी रिकॉर्ड नहीं किया गया, जो जानबूझकर हुआ जिससे 4 किलो सोने की कमी सामने न आए। छत पर सोने की परत चढ़ाने के रजिस्टर भी गायब कोर्ट ने कहा कि 1999 में श्रीकोविल की छत पर सोने की परत चढ़ाने के काम का रजिस्टर भी गायब है। कारीगरों के अनुसार तब 30 किलो से ज्यादा सोना इस्तेमाल हुआ था, लेकिन कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं है। अदालत ने निर्देश दिया कि एक्सपर्ट की मदद से मंदिर की सभी कीमती चीजों की पूरी इन्वेंटरी और मूल्यांकन किया जाए। देवस्वम बोर्ड के अधिकारियों की लापरवाही की भी जांच की जाए। मामले की अगली सुनवाई अब अक्तूबर के अंत में होगी। ———————

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