गंगा की लहरों पर सफर, जाम से निजात… मुंबई-गोवा की तर्ज पर पटना में वाटर मेट्रो में क्या खास
गंगा की लहरों पर सफर और जाम का भी झमेला नहीं, आसानी से अपने गंतव्य तक यात्री पहुंच पाएंगे. जी हां, बिहार की राजधानी पटना में सार्वजनिक परिवहन के क्षेत्र में जल्द ही एक नई क्रांति होने जा रही है. गंगा नदी पर आधारित वाटर मेट्रो सेवा शुरू होने वाली है, जिससे न केवल शहर में सड़क यातायात के जाम से राहत मिलेगी, बल्कि यह पर्यावरण के अनुकूल परिवहन का विकल्प भी साबित होगा.
केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने 28 जून, 2025 को इस महत्वाकांक्षी परियोजना की घोषणा की थी. परियोजना के तहत गंगा नदी पर इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड फेरी सेवा का संचालन किया जाएगा. इसका पहला इलेक्ट्रिक जहाज एमवी गोमधरकुंवर कोलकाता से पटना के गायघाट स्थित जेटी तक पहुंच चुका है. अधिकारियों के अनुसार, दशहरा 2025 से पहले इसका परिचालन शुरू होने की संभावना है. यह सेवा पटनावासियों को गंगा के किनारे एक तेज, सुरक्षित और स्थायी परिवहन विकल्प उपलब्ध कराएगी.
वाटर मेट्रो परियोजना का मॉडल कोच्चि जल मेट्रो पर आधारित है. 2023 में शुरू हुई कोच्चि जल मेट्रो अब तक 40 लाख से अधिक यात्रियों को परिवहन कर चुकी है और शहरों में जल-आधारित सार्वजनिक परिवहन की व्यवहार्यता को साबित कर चुकी है. मुंबई और गोवा में हाल के वर्षों में सफल जल पर्यटन और जल परिवहन मॉडल को ध्यान में रखते हुए, पटना में भी यह सेवा शुरू की जा रही है.
जाम से लोगों को मिलेगी राहत
पटना शहर में वाहनों की अधिकता और सीमित सड़क विस्तार के कारण अधिकांश मार्गों पर भीड़भाड़ आम बात है. विशेष रूप से गंगा नदी के समानांतर पूर्व-पश्चिम दिशा में स्थित क्षेत्र यातायात जाम से अक्सर प्रभावित रहते हैं. शहर की बढ़ती आबादी और भौगोलिक अड़चनें इस बात को और गंभीर बनाती हैं कि पारंपरिक सड़क परिवहन के अलावा नए और आधुनिक समाधान की आवश्यकता है.
पटना राष्ट्रीय जलमार्ग-1 (NW-1) के किनारे स्थित है, जो इलाहाबाद से हल्दिया तक फैला हुआ है. इसके कारण यह अंतर्देशीय जल परिवहन परियोजनाओं के लिए आदर्श स्थल माना जाता है. भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI) ने कोच्चि मेट्रो रेल लिमिटेड (KMRL) को व्यवहार्यता अध्ययन के लिए नियुक्त किया है. प्रमुख घाटों पर प्रारंभिक सर्वेक्षण पूरा हो चुका है, जिसमें यात्रियों की मांग, जल की गहराई और टर्मिनल बिंदुओं का मूल्यांकन किया गया.
908 करोड़ की लागत से परियोजना
पटना जल मेट्रो परियोजना के लिए 908 करोड़ रुपए का समझौता बिहार सरकार और भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण के बीच हुआ है. इस परियोजना का उद्देश्य बेहतर कनेक्टिविटी स्थापित करना और शहर में शहरी जल परिवहन को बढ़ावा देना है.
पटना के चार संभावित मार्ग और 10 प्रमुख स्थल चुने गए हैं. परियोजना के पहले चरण में दीघा घाट से कंगन घाट तक जल मेट्रो सेवा शुरू की जाएगी. इस 21 किलोमीटर लंबे मार्ग पर गांधी घाट, गायघाट और कंगन घाट पर फेरी रुकेगी.
वाटर मेट्रो में चलने वाले इलेक्ट्रिक जहाज का डिजाइन यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है. जहाज में पर्याप्त बैठने की सुविधा है और 25 से अधिक लोग खड़े होकर भी सफर कर सकते हैं. इसका डिजाइन रोजमर्रा के यात्रियों के लिए ही नहीं, बल्कि देशी और विदेशी पर्यटकों के लिए भी अनुकूल है. अधिकारियों के अनुसार, यह सेवा गंगा तट पर क्रूज पर्यटन को भी बढ़ावा देगी और पटना को स्मार्ट शहरी जल परिवहन प्रणाली का मॉडल शहर बनाने में मदद करेगी.
जानें वाटर मेट्रो प्रोजेक्ट के क्या हैं चैलेंज
गंगा नदी में मौसमी तलछट और जल स्तर में उतार-चढ़ाव जैसी चुनौतियां नौका यातायात के लिए जोखिम पैदा कर सकती हैं. मौजूदा नौका सेवाएं अक्सर असुरक्षित और अनियमित हैं. इन सेवाओं को आधुनिक मानकों के अनुरूप उन्नत करने के लिए बहु-एजेंसी समन्वय, नियामक ढांचा और नए सुरक्षा प्रोटोकॉल की आवश्यकता होगी.
फिर भी, इलेक्ट्रिक नौकाओं के उपयोग से कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी और यह शहर में वायु प्रदूषण को कम करने में मदद करेगी. अधिक लोग जल मेट्रो का उपयोग करेंगे, तो शहर की सड़कों पर भीड़ कम होगी और यात्रा की गति बढ़ेगी.पटना जल मेट्रो सेवा न केवल दैनिक यात्रियों के लिए सुविधा बढ़ाएगी, बल्कि गंगा नदी के किनारे पर्यटन को भी नया आयाम देगी.
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