सुल्तानपुर में मिल्लत कानफ्रेंस का आयोजन, उलमा एक मंच पर:पंजाब बाढ़ पीड़ितों की मदद पर चर्चा, नशे से दूर रहने की अपील

सुल्तानपुर में रविवार को अल्पसंख्यक अधिवक्ता कल्याण ट्रस्ट द्वारा एक निजी मैरिज लॉन में ऐतिहासिक मिल्लत कानफ्रेंस का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन में मुस्लिम समाज के सभी वर्गों के उलमा एक मंच पर एकत्रित हुए। यहां पंजाब में आई बाढ़ आपदा के पीड़ितों की मदद पर चर्चा की गई और सहायता कार्य की शुरुआत भी की गई। इस अवसर पर मौलाना उस्मान कासमी, मौलाना मदारूस सलाम, मौलाना कसीम कासमी, मौलाना मोहम्मद अहमद, मौलाना सैयद आसिफ नकवी और मौलाना वसी मोहम्मद सहित कई उलमा मौजूद रहे। सभी ने मिलकर समाज को आगे ले जाने और एक बेहतर समाज बनाने पर विचार-विमर्श किया। कार्यक्रम का संचालन आमिल सुल्तानपुरी ने किया। अधिवक्ता मोहर्रम अली ने मीडिया से बातचीत करते हुए युवाओं से नशे से दूर रहने की अपील की। उन्होंने कहा कि युवाओं को पहले खुद को स्थापित करना है और शिक्षा के क्षेत्र सहित हर क्षेत्र में आगे बढ़ना है। उन्होंने जोर दिया कि स्वस्थ रहने पर ही प्रगति संभव है, इसलिए नशे और बुरी आदतों से दूर रहकर पढ़ाई पर ध्यान दें, क्योंकि शिक्षा से ही दीन और दुनिया दोनों में सफलता मिलेगी। इसी क्रम में अजीमुर्रहमान खान ने पंजाब में आई भयानक बाढ़ का जिक्र किया, जिसे 100 साल बाद आई सबसे भीषण बाढ़ बताया। उन्होंने बताया कि इस आपदा में कई लोग बेघर हो गए थे और उनके पास खाने को कुछ नहीं था। उन्होंने कहा कि सम्मेलन में मौजूद सभी धनी व्यक्तियों, व्यापारियों और वकीलों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और इंसानियत के नाते, बिना किसी जाति या धर्म के भेदभाव के, सभी बाढ़ पीड़ितों की खाने-पीने से लेकर कपड़ों तक हर संभव मदद की। जमाते इस्लामी हिन्द के जिलाध्यक्ष हाजी कमालुद्दीन ने मिल्लते इस्लामिया को संबोधित करते हुए कहा कि कुरान घर में होने और आखिरी रसूल का कलमा पढ़ने के बावजूद मुस्लिम समाज बुराइयों का शिकार है। उन्होंने नशे और अन्य बुराइयों में लिप्त होने पर चिंता व्यक्त की और कहा कि समाज पर उंगलियां उठ रही हैं। उन्होंने मुसलमानों से देश में खड़े होकर ‘मीनार-ए-नूर’ बनने का आह्वान किया, चेतावनी दी कि यदि वे नहीं सुधरेंगे तो हालात बद से बदतर हो जाएंगे। इस अवसर पर पूर्व विधायक सफ़दर रजा, सपा नेता शकील अहमद, एडवोकेट शबीहुल हसनैन, डॉ. हादी रजा, एडवोकेट माशूक अली, अजीम किदवाई, सिराज अहमद भोला, गुलाम मोईनुद्दीन, मौलाना सुहैल आदि मौजूद रहे।

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