आरएसएस का शताब्दी वर्ष:विजयदशमी पर पथ संचलन, हापुड़ में स्वयंसेवकों ने किया शक्ति प्रदर्शन

हापुड़ में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने विजयदशमी उत्सव उत्साहपूर्वक मनाया। संघ के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें बाल स्वयंसेवकों से लेकर वरिष्ठ स्वयंसेवकों तक ने पूर्ण गणवेश में भाग लिया। कार्यक्रम की शुरुआत प्रभु श्रीराम के चित्र पर पुष्पार्चन और शस्त्र पूजन के साथ हुई। भारत माता की प्रार्थना के बाद स्वयंसेवकों ने रेलवे पार्क से पथ संचलन शुरू किया। यह संचलन रामगंज, श्रीनगर, पटेलनगर, पार्क लेन, रेलवे रोड और फीगंज रोड से होकर गुजरा। रास्ते में स्थानीय नागरिकों ने पुष्पवर्षा कर स्वयंसेवकों का स्वागत किया। हापुड़ योग संस्थान के योग शिक्षक राजेश अग्रवाल ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की और स्वयंसेवकों को शताब्दी वर्ष की बधाई दी। अग्रवाल ने कहा कि यह वर्ष न केवल संघ की यात्रा का उत्सव है, बल्कि राष्ट्र निर्माण में इसके योगदान का स्मरण भी है। उन्होंने बताया कि सौ साल पहले एक छोटे विचार के रूप में शुरू हुआ संघ आज एक विशाल संगठन के रूप में राष्ट्र को मजबूती प्रदान कर रहा है। मुख्य वक्ता संघ के जिला कार्यवाह पंकज ने अपने संबोधन में प्रभु श्रीराम के आदर्श जीवन को प्रेरणा स्रोत बताया। उन्होंने स्वयंसेवकों से त्याग, धर्म और न्याय की रक्षा जैसे मूल्यों को आत्मसात कर समाजसेवा करने का आह्वान किया। पंकज ने कहा कि पराया धन मिट्टी के समान मानना और महिला सम्मान को सर्वोच्च स्थान देना ही हमारे जीवन के मार्गदर्शक सिद्धांत होने चाहिए। उन्होंने संघ के पंच परिवर्तन—पर्यावरण, सामाजिक समरसता, कुटुंब प्रबोधन, स्व का बोध और नागरिक कर्तव्य के महत्व पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने ने बताया कि डॉ. हेडगेवार ने 1925 में विजयदशमी के दिन संघ की स्थापना की थी। तब से लेकर आज तक संघ ने अनेक संघर्षों, प्रतिबंधों और आपातकाल का सामना किया है, लेकिन इसका कार्य निरंतर जारी रहा। वर्तमान में संघ के 40 से अधिक अनुषांगिक संगठन विभिन्न क्षेत्रों में समाज सेवा कर रहे हैं। इस अवसर पर बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक, मातृशक्ति और संघ कार्यकर्ता उपस्थित रहे, जिनमें मयूर, सचिन, तरुण बाटला, दिनेश, पंकज, राजेंद्र, गुलशन, आदित्य, राजीव, मानव, युगांश व रोहन प्रमुख रहे।

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