आरपीएफ डॉग को 32 सप्ताह की ट्रेनिंग दी जाती:6 माह की उम्र में भर्ती, कठिन प्रक्रिया से गुजरना पड़ता; जानें ट्रेनिंग का पूरा प्रोसेस

प्रयागराज आरपीएफ लाइंस के ग्राउंड में 18वीं अखिल भारतीय डॉग चैंपियनशिप समाप्त हो चुकी है। लेकिन दर्शकों के जेहन में डॉग के डिस्प्लिन की यादें आज भी तरोताजा हैं। देश भर में आरपीएफ करीब 425 प्रशिक्षित स्वान (डॉग्स) काम कर रहे हैं। ये डॉग्स विस्फोटक, नशा और अन्य गैरकानूनी वस्तुओं की खोज में मदद करते हैं। डॉग्स विंग मे इनकी रैंक सब इंस्पेक्टर से कॉन्स्टेबल की होती है। स्निफिंग, ट्रैकिंग डिवाइस, औपचारिक वर्दी, लीश, हेल्पर उपकरण आदि इनके साथ होते हैं। क्रिमिनल्स पर आरपीएफ स्वान कैसे काल बनकर अपराध को नियंत्रित करते हैं, इसकी एक झांकी दिखाई गई। आइए अब डॉग्स के स्मार्ट डिस्प्लिन की खास ट्रेनिंग प्रोसेस पढ़िए.. डॉग हैंडलर अमित कुमार ने बताया कि उन्होंने मैक्स को 6 महीने की उम्र में ट्रेनिंग देना शुरू किया था। आरपीएफ डॉग्स में भर्ती की उम्र 6 माह होती है। इस उम्र मे खास प्रजाति के डॉग को भर्ती कर उन्हें 32 सप्ताह के कठिन ट्रेनिंग प्रोसेस से गुजरना होता है। इस ट्रेनिंग को कई चरणों में बांटा जाता है, जिसमें कुत्ते की सूंघने की क्षमता, आज्ञाकारी, आत्मविश्वास और व्यवहार को समझदारी से विकसित किया जाता है। पहले 4-6 सप्ताह सबसे पहले 3 से 6 महीने के पिल्लों का चयन किया जाता है, जिनकी नस्ल खासतौर पर लेब्राडोर रिट्रीवर, जर्मन शेफर्ड, बेल्जियन मालिनोइस या डोबरमैन होती है। पिल्लों का स्वास्थ्य जांचा जाता है और उनकी खेलने की इच्छा (प्ले ड्राइव) को जांचा जाता है। इसके बाद हैंडलर और कुत्ते के बीच मजबूत भरोसे का रिश्ता बनाने पर जोर दिया जाता है, जिससे डॉग ट्रेनिंग के लिए तैयार हो। 6 से 8 हफ्ते के प्रशिक्षण इंसान के बीच समाजीकरण इस चरण में कुत्ते को बुनियादी ऑर्डर जैसे “बैठो”, “रुको”, “आओ” ये सब सिखाया जाता है। साथ ही खिलौने छुपाकर उन्हें खोजने की चीजें दी जाती हैं, जिससे उनकी सूंघने की क्षमता का विकास हो। समाजीकरण पर भी ध्यान दिया जाता है, ताकि कुत्ता नए माहौल, आवाजों और लोगों के साथ सहज हो सके। सूंघने की प्राइमरी ट्रेनिंग (8-16 हफ्ते) कुत्ते को खास गंध, नमक, मसाले, इंसान (किसी खास व्यक्ति या वस्तु की गंध) की पहचान कराई जाती है। शुरुआत में उसे आसान और खुले इलाकों में गंध ढूंढने के लिए भेजा जाता है। सही गंध की पहचान करने पर उसे पुरस्कार दिया जाता है। इस चरण में वह सीखता है कि गंध खोजने पर उसे खुशी मिलती है। मध्यम स्तर की स्निफिंग ट्रेनिंग (16-24 हफ्ते) ट्रेनिंग को अब और कठिन बनाया जाता है। कुत्ता अब गंध को भीड़-भाड़, अलग-अलग मौसम और विभिन्न जगहों पर पहचानने के लिए प्रशिक्षित होता है। साथ ही, अलग-अलग गंधों के बीच सही गंध पहचानने की क्षमता विकसित की जाती है। इस दौरान उसे रुकावटों और अवरोधों के बीच भी अपना काम पूरा करना सिखाया जाता है। रियल द लाइफ ट्रेनिंग (24-32 हफ्ते) इस अंतिम चरण में कुत्ते को वास्तविक ऑपरेशन जैसे भीड़-भाड़, वाहन जांच और विस्फोटक या नशीले पदार्थ खोजने की ट्रेनिंग दी जाती है। उसे बिना किसी पुरस्कार के केवल कमांड से काम करना सिखाया जाता है। कुत्ते के शारीरिक स्वास्थ्य और मानसिक मजबूती पर विशेष ध्यान दिया जाता है। जवानों के साथ परेड में कदम ताल की ट्रेनिंग ट्रेनिंग के आखिरी चरण में प्रशिक्षित डॉग्स को आरपीएफ के जवानों के साथ परेड में कदम ताल करने का तौर-तरीका सिखाया जाता है। खास बात यह है कि इस ट्रेनिंग प्रोसेस मे डॉग को करतब सिखाया जाता है, ताकि वह इंसान के बीच रहकर दूसरे डॉग से अलग दिखाई पड़े। सीनियर के सामने सैल्यूट करने की ट्रेनिंग इसमें सबसे प्रमुख रूप से हैंडलर के सीनियर अफसर के सामने आने पर कैसे उन्हें सैल्यूट करना है, कैसे अपने हैंडलर के पास रहकर उसकी गतिविधि पर रिएक्ट करना, लेटना, बैठना, सस्पेक्ट ऑब्जेक्ट को पकड़ने के लिए चुस्ती दिखना और रिंग फायर से गुजरना शामिल है। तनाव कम करने के लिए बलून बस्ट करना सिखाया जाता इस कठिन व थका देने वाली ट्रेनिंग प्रोसेज मे डॉग को तनाव मुक्त रखने के लिए बलून बस्ट करना सिखाया जाता है। जिससे डॉग का तनाव कम हो और वह फ्रेंडली माहौल में काम कर अपने बेस्ट परफार्मेंस को दे सके। प्रयागराज में आरपीएफ का क्षेत्रीय स्निफिंग डॉग ट्रेनिंग सेंटर सुरक्षा के लिहाज से अत्यंत महत्वपूर्ण केंद्र है। यहां बड़े आयोजनों जैसे मेले, पर्व और अन्य सुरक्षा अभियानों के लिए स्निफर डॉग्स को प्रशिक्षित किया जाता है। खाने में दिया जाता प्रोटीन युक्त आहार

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Source: उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर