चामुंडा मंदिर में स्कंदमाता की पूजा,:महाआरती में हजारों श्रद्धालु, “स्वच्छता ही सेवा” संदेश के साथ नवरात्र का पांचवां दिन
शारदीय नवरात्र के पांचवें दिन संभल के सिद्धपीठ श्रीचामुंडा देवी मंदिर में मां स्कंदमाता की पूजा-अर्चना की गई। इस अवसर पर सुबह 07:25 बजे महाआरती का आयोजन हुआ, जो 08:15 बजे संपन्न हुई। इसमें हजारों श्रद्धालु शामिल हुए। मंदिर परिसर में “स्वच्छता ही सेवा” पखवाड़े के तहत मां दुर्गा की तस्वीर के साथ बनाई गई रंगोली ने श्रद्धालुओं का ध्यान आकर्षित किया। शनिवार को मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप मां स्कंदमाता की आराधना कर श्रद्धालुओं ने मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना की। सम्राट पृथ्वीराज चौहान की कुलदेवी मां चामुंडा देवी का यह मंदिर एक सिद्धपीठ है, जहां संभल और आसपास के जनपदों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु मन्नतें मांगने आते हैं। महंत मुरली सिंह ने बताया कि पांचवें दिन की महाआरती के मुख्य यजमान नवीन गुप्ता थे। इस बार 10 दिवसीय नवरात्र में प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु मंगला आरती के बाद रात 12 बजे तक दर्शन के लिए आ रहे हैं। श्रद्धालु शशांक शर्मा ने बताया कि मां चामुंडा का मंदिर संभल के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। नगर पालिका परिषद संभल की ओर से “स्वच्छोत्सव 2025” के अंतर्गत “स्वच्छता ही सेवा” की रंगोली बनाकर “स्वच्छ संभल-स्वस्थ संभल” का संदेश दिया गया। यह पहल मंदिर परिसर में स्वच्छता के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से की गई। देवी दुर्गा के पांचवें स्वरूप स्कंदमाता की आराधना नारी शक्ति और मातृ शक्ति का सजीव चरित्र है। स्कंदकुमार (कार्तिकेय) की माता होने के कारण इन्हें स्कंदमाता कहा जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, तारकासुर को वरदान था कि उसकी मृत्यु केवल भगवान शंकर के शुक्र से उत्पन्न पुत्र द्वारा ही हो सकती है। इसी कारण देवी पार्वती का भगवान शंकर से विवाह हुआ, जिससे कार्तिकेय का जन्म हुआ और उन्होंने तारकासुर का वध किया। सनातन संस्कृति में शिव-पार्वती के इस मांगलिक मिलन को विवाह परंपरा का प्रारंभ माना जाता है। तस्वीरें देखिए…
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