Viral Video: इस दुकान के कचरे में है खजाना, खरीदने के लिए लोग देते हैं मुंह-मांगी रकम
सोशल मीडिया पर रोज़ाना अनगिनत वीडियो वायरल होते रहते हैं. कुछ हमें सिर्फ हंसी-ठिठोली का मौका देते हैं, कुछ हैरान कर जाते हैं और कुछ ऐसे होते हैं जो हमारी सोच का दायरा ही बदल देते हैं. हाल ही में ऐसा ही एक वीडियो सामने आया जिसने लाखों लोगों का ध्यान खींचा. इसमें एक नौजवान सुनार ने अपनी दुकान का कचरा कैमरे पर दिखाया. देखने में ये धूल-मिट्टी और टुकड़े भर लगते हैं, लेकिन हकीकत में ये सोने का खज़ाना निकला.
वीडियो में लड़के ने बताया कि कैसे उसकी दुकान से निकला यह कचरा पूरे 12 हज़ार रुपये में बिक गया. सुनकर हर कोई चौंक गया—भला कचरा भी इतनी कीमत का कैसे हो सकता है? दरअसल, सुनार की दुकान का कचरा साधारण नहीं होता. वहां रोज़ाना सोना गलाया जाता है, गहनों की मरम्मत होती है और नए-नए डिज़ाइन तैयार किए जाते हैं. इस पूरी प्रक्रिया के दौरान सोने के बेहद बारीक कण हवा में उड़ते हैं, काम की मेज़ पर गिर जाते हैं या फिर फर्श और कपड़ों की धूल में मिल जाते हैं.
क्या है आखिर ये कचरा?
जो आम इंसान को बेकार धूल लगती है, उसमें अक्सर 1 से 5 प्रतिशत तक सोना छिपा होता है. यही वजह है कि सुनार अपने यहां का सारा वेस्ट बड़े ध्यान से जमा करते हैं. इसमें कटिंग के बचे टुकड़े, फाइलिंग्स, पॉलिशिंग के बाद निकला वेस्ट और यहां तक कि झाड़ू से निकली धूल तक शामिल होती है. यही कचरा बाद में हजारों का मुनाफा दे सकता है.
विशेषज्ञों के अनुसार, एक औसत ज्वेलरी शॉप से हर महीने 100 से 200 ग्राम तक सोने वाला वेस्ट निकल सकता है. इस सोने की बाज़ार में कीमत लाखों तक पहुंच सकती है. वीडियो में दिखे युवक ने भी यही तरीका अपनाया. उसने बताया कि वह दुकान के कोनों की धूल समेटता है, फर्श पर गिरी गंदगी को जमा करता है और समय-समय पर सब एक बैग में भर लेता है. बाद में यही बैग वह रिफाइनर्स या लोकल बायर्स को बेच देता है. वीडियो पर लिखे कैप्शन ने भी सबका ध्यान खींचा—’कचरा नहीं, खजाना है.’
लोगों के रिएक्शन
लोगों ने इस पर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं दीं. किसी ने इसे जुगाड़ का कमाल कहा तो किसी ने जिज्ञासा जताई कि आखिर इसमें से कितना सोना निकल सकता है. असल में यह कहानी सिर्फ एक दुकान की नहीं है. दक्षिण भारत के कई इलाकों में तो यह एक पूरी इंडस्ट्री का रूप ले चुका है.
भारत दुनिया के सबसे बड़े सोने के उपभोक्ताओं में से एक है. यहां हर साल करीब 800 टन सोना इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन कम लोग जानते हैं कि इसका 10 से 15 प्रतिशत हिस्सा वेस्ट के रूप में निकल जाता है. यही वेस्ट बाद में रिफाइनर्स के पास पहुंचता है. रिफाइनर्स इस कचरे को पिघलाकर शुद्ध सोना निकालते हैं और लगभग 80 से 90 प्रतिशत मार्केट प्राइस दुकानदारों को दे देते हैं.
यहां देखिए वीडियो
आखिरकार, यह कहानी हमें यह सिखाती है कि असली मूल्य अक्सर वहां छिपा होता है जहां हम उसे देखने की आदत नहीं रखते. सुनार की दुकान का कचरा, जो बाहर से सिर्फ धूल और गंदगी दिखता है, वास्तव में सोने से भी ज्यादा कीमती साबित हो सकता है. शायद इसीलिए लोग कह रहे हैं—कचरा नहीं, खजाना है.
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