वाराणसी में कांग्रेस के मतदाता अधिकार सम्मेलन पर रोक:पराड़कर भवन ने की बुकिंग कैंसिल, सड़क पर संवाद करेंगे नेता
वाराणसी में कांग्रेस के “वोट चोरी के खिलाफ मतदाता अधिकार सम्मेलन” को आयोजन से ठीक कुछ घंटे पहले बड़ा झटका लग गया। शनिवार को दोपहर 1:30 बजे पराड़कर स्मृति भवन में होने वाले कार्यक्रम की बुकिंग शुक्रवार शाम को कैंसिल कर दी गई। भवन प्रबंधन ने सभागार का सिस्टम खराब होने का हवाला देते हुए कार्यक्रम की अनुमति देने से इनकार कर दिया। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि उन्होंने कई बार आग्रह किया और शुल्क भी जमा किया गया था, लेकिन इसके बावजूद अचानक अनुमति वापस ले ली गई। भवन प्रबंधन ने शुल्क लौटाने की बात कहते हुए साफ कर दिया कि सम्मेलन यहां नहीं हो सकता। कांग्रेस ने प्रशासन पर मनमानी का लगाया आरोप
बुकिंग रद्द होने के बाद कांग्रेस ने प्रशासन पर मनमानी और दबाव में काम करने का आरोप लगाया। कांग्रेस महानगर अध्यक्ष राघवेंद्र चौबे ने कहा कि “जब पराड़कर भवन में कार्यक्रम नहीं करने दिया गया तो काशी की जनता सड़क और पार्क पर जुटेगी। लोकतंत्र में सम्मेलन और संवाद का अधिकार छीना नहीं जा सकता।” सड़क पर होगा संवाद
कांग्रेस ने ऐलान किया कि अब यह सम्मेलन सड़क पर किया जाएगा। पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत शनिवार को दोपहर 12 बजे वाराणसी पहुंचेंगी और करीब 1 बजे मैदागिन क्षेत्र के आसपास जनता से संवाद करेंगी। कांग्रेस महासचिव सुनील सहस्रबुद्धे भी कार्यक्रम में मौजूद रहेंगे। जनसंवाद में बनारस और आस-पास के नागरिकों, किसानों, छात्रों, बुनकरों, महिलाओं और नौजवानों को बुलाया गया है। कांग्रेस का कहना है कि वोट चोरी के खिलाफ आंदोलन को जनता के बीच से ही ताकत मिलेगी। वोट चोरी का मुद्दा और प्रशासन की सतर्कता
सम्मेलन का मुख्य विषय वोट चोरी था। कांग्रेस का कहना है कि बिहार में जिस तरह संगठित तरीके से वोट चोरी को हथियार बनाया गया, अब उत्तर प्रदेश अगला निशाना है। इसे जनता तक पहुंचाना और समय रहते रोकथाम करना जरूरी है। यही वजह रही कि जैसे ही इस मुद्दे पर चर्चा की बात सामने आई, प्रशासन सतर्क हो गया। शुक्रवार शाम से ही मैदागिन और कोतवाली इलाके में सुरक्षा बल तैनात कर दिया गया है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष का हमला
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने भाजपा और प्रधानमंत्री पर सीधा निशाना साधा। उन्होंने कहा-लोकतंत्र में संवाद और सम्मेलन रोकना संविधान का गला घोंटने जैसा है। भाजपा और प्रधानमंत्री घबराए हुए हैं कि कहीं उनकी पोल न खुल जाए। उन्होंने आगे कहा-हम प्रशासन की धमकी और दबाव से रुकने वाले नहीं हैं। मतदाता सूची में हो रही गड़बडिय़ों को जनता के सामने लाया जाएगा। साथ ही नागरिकों से सुझाव लेकर आगे की रणनीति तय की जाएगी ताकि आने वाले चुनाव में पारदर्शिता बनी रहे और जनता की भागीदारी सुनिश्चित हो। जनता से सीधे जुड़ने की कोशिश
कांग्रेस ने स्पष्ट कर दिया है कि चाहे सभागार मिले या न मिले, जनता से संवाद हर हाल में होगा। लगभग 200 से ज्यादा लोगों की भागीदारी की संभावना है। यह सम्मेलन राजनीतिक होने के साथ-साथ सामाजिक रूप से भी अहम माना जा रहा है क्योंकि इसमें सीधे मतदाता अधिकार और चुनावी पारदर्शिता की बात होगी।
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