गोरखपुर मणप्पुरम फाइनेंस कंपनी के प्रबंधक समेत 6 पर FIR:असली के बदले नकली सोना रखकर 13.98 लाख की जालसाजी

गोरखपुर में गोल्ड लोन देने वाली गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी मणप्पुरम फाइनेंस लिमिटेड में लाखों का धांधली का मामला सामने आया है। कंपनी के एरिया हेड ने रेती रोड और राप्तीनगर शाखाओं में कार्यरत शाखा प्रबंधक, सहायक शाखा प्रबंधक समेत छह कर्मचारियों पर गबन का आरोप लगाया है। कंपनी का कहना है कि इन अधिकारियों ने गिरवी रखे असली सोने की ज्वेलरी को नकली वस्तुओं से बदलकर लगभग 13.98 लाख रुपये का नुकसान पहुंचाया है। कोतवाली थाने में आरोपियों पर केस दर्ज कर लिया गया। पुलिस मामले की जांच कर रही है। पुलिस के मुताबिक- बस्ती हेड आफिस में कार्यरत अभिषेक त्रिपाठी, निचलौल महराजगंज में कार्यरत शैलेश कुमार, गोरखपुर में कार्यरत दिवाकर सिंह, बक्शीपुर शाखा में कार्यरत अमन तिवारी, बस्ती में कार्यरत मालती और गोरखपुर में कार्यरत आशीष त्रिपाठी को आरोपी बनाया गया है। सभी को गबन, विश्वासघात व जालसाजी का आरोपी बनाया गया। ये था पूरा मामला
कंपनी के एरिया हेड व केरल निवासी राजू सिंह ने पुलिस को दिए प्रार्थना पत्र में बताया कि 8 फरवरी 2022 को राप्तीनगर शाखा में आकस्मिक ऑडिट के दौरान यह गड़बड़ी सामने आई। ऑडिटर ने पाया कि 432.8 ग्राम यानी 48 आइटम स्वर्णाभूषणों की जगह शून्य शुद्धता वाले आभूषण रखे गए थे। यह घोटाला शाखा प्रबंधक और सहायक प्रबंधक की मिलीभगत से हुआ है, क्योंकि स्वर्ण की सुरक्षा और शाखा सेफ की चाबियां इन्हीं दोनों के पास रहती हैं। जांच में सामने आया कि रेटी रोड शाखा से 879 ग्राम स्वर्ण को 29 नवंबर 2021 को सिस्टम में राप्तीनगर शाखा के नाम ट्रांसफर दिखाया गया, लेकिन वास्तविक हस्तांतरण 14 दिसंबर 2021 को हुआ। खास बात यह कि शाखा प्रबंधक या सहायक प्रबंधक की जगह कनिष्ठ सहायक आशीष त्रिपाठी ने स्वर्ण ले जाकर जमा कराया और राप्तीनगर शाखा प्रबंधक अभिषेक त्रिपाठी ने बिना सत्यापन के उसे स्वीकार कर लिया। इस दौरान शाखा के संरक्षक दिवाकर सिंह, मालती शुक्ला और अमन तिवारी भी जिम्मेदारी पर थे। कंपनी का आरोप है कि इन सभी ने मिलकर षड्यंत्रपूर्वक असली स्वर्णाभूषणों को नकली वस्तुओं से बदल दिया और व्यक्तिगत लाभ उठाया। इससे न केवल कंपनी को वित्तीय हानि हुई बल्कि उसकी प्रतिष्ठा पर भी आंच आई है। कंपनी ने थाना कोतवाली और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक गोरखपुर को लिखित शिकायत दी है। आरोप है कि स्थानीय स्तर पर अभियुक्तों ने पुलिस को प्रभावित कर प्राथमिकी दर्ज नहीं होने दी। अब एसएसपी के आदेश पर पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है।
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