UN में चीन और रूस को लगा तगड़ा झटका, ईरान के लिए लाए थे प्रस्ताव
ईरान के परमाणु प्रोग्राम को लेकर फिर प्रतिबंध लगने जा रहे हैं. ईरान पर संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों को फिर से लागू करने में देरी के लिए रूस और चीन ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र में एक मसौदा पेश किया था. ये प्रस्ताव को 15 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में विफल हो गया. प्रस्ताव पर सिर्फ 4 देशों ने पक्ष में मतदान, जबकि 9 देशों ने इसे नकार दिया और दो देशों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया.
इस मसौदे में संयुक्त व्यापक कार्य योजना (JCPOA) को अगले अप्रैल तक छह महीने के लिए बढ़ाने की मांग की गई थी, साथ ही परिषद के प्रस्ताव 2231 (2015) को भी शामिल किया गया था, जिसने इसे मंजूरी दी थी. साथ ही इसमें ईरान और अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के बीच सहयोग जारी रखने की भी बात थी.
जिसके बाद ईरान पर फिर से प्रतिबंध लगाने का रास्ता साफ हो गया है. फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन ने तेहरान पर लगाया है कि वह 2015 के समझौते का उल्लंघन कर रहा है, जिसके मकसद उसे परमाणु बम बनाने से रोकना था. ईरान पर संयुक्त राष्ट्र के सभी प्रतिबंध शनिवार रात 8 बजे फिर से लागू हो जाएंगे. हालांकि ईरान ने इन सभी आरोप को खारिज किया है.
अमेरिका ने किया मतदान का स्वागत
रॉयटर्स के मुताबिक संयुक्त राष्ट्र में एक अमेरिकी अधिकारी ने बताया कि वाशिंगटन मतदान के नतीजों का स्वागत करता है. लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि इससे बाद में कूटनीति के जरिए से प्रतिबंधों को हटाने की संभावना खत्म नहीं होती.
वहीं संयुक्त राष्ट्र में फ्रांसीसी दूत ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंधों की वापसी का मतलब तेहरान के साथ कूटनीति का अंत नहीं होगा. हालांकि, दूत ने कहा कि ईरान ने इस कदम को टालने के लिए कोई संकेत नहीं दिया है, बल्कि सब कुछ स्थगित करने का विकल्प चुना है.
The United Nations Security Council has REJECTED the resolution to prevent ‘snapback’ sanctions against Iran from coming into effect
Only Russia, China, Algeria and Pakistan voted in favor
UN sanctions WILL come back this weekend pic.twitter.com/ttPFMDZ0LN
— RT (@RT_com) September 26, 2025
रूस संयुक्त राष्ट्र सदस्य के रुख से आहत
रूस के प्रतिनिधि दिमित्री पोल्यान्स्की ने मसौदे के खिलाफ वोट देने वाले देशों पर बोलते हुए कहा, “अब, ये साफ हो गया और कोई भ्रम नहीं बचा है. इन देशों ने साफ कर दिया है कि इतने सालों से ईरानी परमाणु कार्यक्रम के मुद्दे पर कूटनीतिक समाधान पर ध्यान केंद्रित करने के उनके सभी आश्वासन सिर्फ शोर-शराबा थे.”
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