काशी में 500 वर्षों के रामलीला पर मंडराया संकट:बाल कलाकारों के साथ आयोजकों ने किया विरोध,बोले-खोला जाये बैरिकेडिंग

काशी की 500 वर्षों पुरानी ऐतिहासिक लाटभैरव रामलीला इन दिनों अस्तित्व के संकट से जूझ रही है। लाटभैरव से सरैया मार्ग पर निर्माणाधीन फ्लाईओवर के चलते रास्ता बंद हो जाने से रामलीला का मंचन प्रभावित हो गया है। बुधवार को नाराज रामलीला प्रेमियों, समिति कार्यकर्ताओं और बाल कलाकारों ने प्रतीकात्मक विरोध प्रदर्शन कर प्रशासन से मार्ग खुलवाने की मांग की। समिति के व्यास ने लगाया भेदभाव का आरोप लाटभैरव रामलीला के व्यास पंडित दयाशंकर त्रिपाठी ने बताया कि लाटभैरव डॉट पुल के पास फ्लाईओवर निर्माण के कारण सेतु निगम द्वारा मार्ग पर की गई बैरिकेडिंग ने रामलीला स्थल तक पहुंचना लगभग असंभव बना दिया है। उन्होंने बताया कि हाल ही में मुहर्रम के जुलूस और बाबा लाटभैरव विवाहोत्सव के दौरान सेतु निगम ने बैरिकेडिंग हटा दी थी और यह आश्वासन दिया था कि रामलीला सम्पन्न होने तक मार्ग खुला रहेगा। लेकिन जैसे ही विवाहोत्सव समाप्त हुआ, बैरिकेडिंग पुनः लगा दी गई, जिससे लीला स्थल तक जाने का मुख्य मार्ग बंद हो गया। कलाकारों संग आयोजकों ने किया विरोध इस अवरोध के कारण बुधवार को रामलीला का मंचन रोकना पड़ा, जिससे क्षेत्र में श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों में नाराजगी फैल गई। विरोध स्वरूप रामलीला में भाग ले रहे बाल कलाकारों—राम, लक्ष्मण और सीता के वेश में—ने भी मंच के बाहर बैठकर प्रशासन के खिलाफ प्रतीकात्मक विरोध दर्ज कराया। समिति के कार्यकर्ताओं ने इसे काशी की संस्कृति और आस्था पर चोट करार दिया। पंडित दयाशंकर त्रिपाठी ने चेतावनी देते हुए कहा कि शुक्रवार को प्रस्तावित पारंपरिक नक्कटैया शोभायात्रा जो इसी मार्ग से होकर गुजरती है, अब असंभव लग रही है। उन्होंने सेतु निगम पर लापरवाही और जनता की आस्था से खिलवाड़ का आरोप लगाते हुए कहा कि यदि प्रशासन शीघ्र हस्तक्षेप नहीं करता है तो समिति और स्थानीय लोग व्यापक जनआंदोलन के लिए बाध्य होंगे। जिलाधिकारी से हस्तक्षेप का उठाया मांग समिति ने जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। पंडित त्रिपाठी ने कहा, “यह रामलीला तुलसीदास जी के काल से चली आ रही परंपरा है। इसका बंद होना केवल एक आयोजन का रुकना नहीं होगा, बल्कि काशी की सांस्कृतिक पहचान और आस्था पर गहरा आघात होगा।” स्थानीय निवासियों और रामलीला प्रेमियों का कहना है कि इस ऐतिहासिक लीला को बचाना प्रशासन की जिम्मेदारी है। यदि जल्द ही समाधान नहीं निकला, तो आने वाले दिनों में आंदोलन और तेज किया जाएगा।

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Source: उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर