पत्नी का मर्डर करने वाले दरोगा को उम्रकैद:सिर काट कर कौशांबी में फेका था धड़, कोर्ट ने 5 आरोपियों को बरी किया

कानपुर में पत्नी की निर्मम हत्या करने वाले दरोगा ज्ञानेंद्र सिंह को एडीजे-4 शुचि श्रीवास्तव की अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। कोर्ट ने उस पर 60 हजार रुपए जुर्माना भी लगाया है। वहीं, सबूतों के अभाव में अन्य पांच आरोपियों को बरी कर दिया गया।
यह मामला वर्ष 2015 का है, जब दरोगा ने अपनी पत्नी का सिर काटकर शव कौशांबी जिले के महेवा घाट के पास फेंक दिया था। जेवर, घड़ी और टैटू के आधार पर परिजनों ने मृतका की पहचान की थी। करीब 10 साल बाद पीड़ित परिवार को न्याय मिला है। क्या था पूरा मामला
नवीन नगर निवासी विनीता सचान ने बताया कि उनकी बेटी ईशा की शादी 10 मार्च 2013 को कानपुर देहात के मूसानगर थानाध्यक्ष रहे, मूल रूप से चित्रकूट के मऊ थाना अंतर्गत छिवलाहा गांव निवासी ज्ञानेंद्र सिंह के साथ हुई थी। शादी के कुछ समय बाद ही ईशा को पता चला कि ज्ञानेंद्र की पहले से एक शादी हो चुकी है, जिसे उसने छिपाकर ईशा से विवाह किया था। इस बात को लेकर दोनों के बीच लगातार विवाद रहने लगा, जिसके चलते ईशा मायके में रहने लगी थी। दोनों की एक बेटी शनाया भी है। दर्शन के बहाने ले गया, फिर की हत्या
विनीता के अनुसार, 17 मई 2015 को ईशा के मामा ने अपने घर पर समझौता करवाया था। अगले दिन, यानी 18 मई को ज्ञानेंद्र ईशा को लेने मायके पहुंचा और उसे मुक्ता देवी मंदिर दर्शन कराने के बहाने कार से अपने साथ ले गया। रात आठ बजे तक जब दोनों वापस नहीं लौटे, तो विनीता ने फोन किया लेकिन दोनों के मोबाइल स्विच ऑफ मिले। परेशान परिजन काकादेव थाने पहुंचे, लेकिन पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज नहीं की। सर कटी लाश से हुआ खुलासा
एसएसपी के निर्देश पर 19 मई 2015 को काकादेव थाने में अपहरण का मुकदमा दर्ज किया गया। 22 मई को काकादेव पुलिस को सूचना मिली कि कौशांबी जिले के महेवा घाट क्षेत्र में एक सिर कटी लाश बरामद हुई है। ईशा के परिजन जब वहां पहुंचे, तो टैटू, घड़ी और जेवर के जरिए शव की पहचान ईशा के रूप में हुई। इसके बाद मामले में हत्या की धारा जोड़ दी गई और जांच शुरू हुई। इन लोगों को भेजा गया था जेल
पुलिस ने मामले में मुख्य आरोपी दरोगा ज्ञानेंद्र सिंह के साथ-साथ ट्रैवल एजेंसी संचालक मनीष कठेरिया, उसके भाई बच्चा कठेरिया, अर्जुन सिंह, अवंतिका, आदर्श कुमार सविता को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। सभी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई। एडीजीसी बोले- दरोगा को आजीवन कारावास
एडीजीसी प्रदीप बाजपेई ने बताया कि अभियोजन पक्ष की ओर से 11 गवाहों को कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट ने सभी साक्ष्यों और गवाहियों के आधार पर आरोपी दरोगा ज्ञानेंद्र सिंह को दोषी पाया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई। साथ ही उस पर 60000 का जुर्माना भी लगाया गया। वहीं, सबूतों के अभाव में अन्य पांच आरोपियों को बरी कर दिया गया। करीब एक दशक तक चले इस मुकदमे में आखिरकार पीड़ित परिवार को न्याय मिला। एक पुलिस अधिकारी द्वारा किए गए इस जघन्य अपराध ने कानून व्यवस्था पर सवाल उठाए थे, लेकिन अब कोर्ट के फैसले से एक बार फिर यह साबित हुआ कि कानून के हाथ लंबे होते हैं और दोषी को सजा जरूर मिलती है।

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Source: उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर