पूर्व सैनिक की पहल पर बन रहा पुल:रिटायरमेंट के बाद सामाजिक कार्य, सेनाध्यक्ष दिल्ली में सम्मानित, खुद दिए 10 लाख रुपए
भारतीय सेना के पूर्व सैनिक सूबेदार और ऑनरेरी कप्तान रविंद्र सिंह यादव को दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में सेनाध्यक्ष ने सराहना पत्र से सम्मानित किया है। मूलतः ग़ाज़ीपुर के रहने वाले रविंद्र सिंह यादव ने सेवानिवृत्ति के बाद भी देश की सेवा जारी रखी। सेनाध्यक्ष ने अपने सराहना पत्र में कहा कि रविंद्र सिंह ने देशभक्ति को सर्वोच्च प्राथमिकता दी। उनका आचरण अन्य पूर्व सैनिकों और देश के नागरिकों के लिए एक आदर्श उदाहरण है। पूर्व सैनिक की पहल से बिना सरकारी मदद के मगई नदी पर 105 फीट लंबा पक्का पुल बनाया जा रहा है। इस अनूठी पहल के लिए सेना प्रमुख ने मंगलवार को दिल्ली में पूर्व सूबेदार रविंद्र सिंह यादव को सम्मानित किया। सेना की इंजीनियरिंग कोर से सेवानिवृत्त रविंद्र सिंह ने सबसे पहले पुल निर्माण के लिए खुद 10 लाख रुपए का योगदान दिया। पुल का शिलान्यास 25 फरवरी 2024 को इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने किया। इसके बाद स्थानीय लोगों ने भी आर्थिक मदद और निर्माण सामग्री देकर इस प्रोजेक्ट में योगदान दिया। यह पुल कयामपुर छावनी सहित दर्जनों गांवों को जोड़ेगा। पुल का निर्माण कार्य लगभग पूरा हो चुका है। केवल एप्रोच और रेलिंग का काम बाकी है। स्थानीय लोगो के मुताबिक, पुल न होने से जिला मुख्यालय की दूरी 10-12 किलोमीटर अधिक तय करनी पड़ती है। थाना मात्र 3 किलोमीटर दूर होने के बावजूद सड़क मार्ग से 15 किलोमीटर का सफर करना पड़ता है। रविंद्र सिंह ने बताया कि सेना से रिटायर होने के बाद जब वे गांव लौटे, तो बांस के पुल पर से एक बालिका को गिरते देखा। इस घटना ने उन्हें पुल बनाने के लिए प्रेरित किया। एक आर्किटेक्ट की मदद से पुल की डिजाइनिंग और निर्माण कार्य किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि इस क्षेत्र में जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा का गांव भी स्थित है। दैनिक भास्कर से बातचीत में यादव ने बताया कि पुल निर्माण में कई चुनौतियां आईं। लेकिन स्थानीय लोगों के समर्थन और दृढ़ संकल्प ने सभी बाधाओं को पार किया। पुल का निर्माण कार्य अब अंतिम चरण में है। केवल अप्रोच रोड और रेलिंग का काम शेष है। यादव ने बताया कि पुल के निर्माण में अब तक लगभग एक करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। यह पुल स्थानीय समुदाय की एकजुटता और सामूहिक प्रयास का प्रतीक बन गया है।
Source: उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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